Friday, December 21, 2007

इंटरनेट और बढती दूरियां

मुझे आज भी वो दिन याद है जब मेरे पापाजी की घड़ी का समय कुछ आगे-पीछे हो जाता था तो वो बीबीसी के समाचार सेवा का लाभ उठा कर अपनी घड़ी का समय मिलाते थे। फिर वो दिन भी आया जब घर में बुद्धु बक्से का आगमन हो गया और दूरदर्शन के समाचार सेवा का लाभ उठाया जाने लगा।

पर अब तो जमाना है गूगल देव का। मैं हर दिन सुबह-सुबह नेट पर बैठते ही सबसे पहले गूगल महाराज का आशीर्वाद लेता हूं और उस पर सर्च करता हूं "Indian Time" और मुझे बिलकुल सही समय मिल जाता है। और ऐसा बस मैं ही नहीं करता हूं, मेरे साथ बैठ कर काम करने वाले मेरे कई मित्र भी यही करते हैं।

फिर दूसरा कदम होता है Sametime और Lotus Notes पर Login करके अपने ठीक बगल में बैठने वाले अपने मित्र को गुड मार्निंग बोलने का। जबकि वो मेरे इतना पास बैठता है कि मैं बस अपनी कुर्सी को घुमा कर फ़ुसफ़ुसा कर भी उसे कुछ कहूं तो वो उसे सुन सकता है। अगर मैं उससे पहले पहूंच गया हूं तो ये काम उसका होता है। अब जैसे आज जो हमारे बीच कुछ बाते हुई हैं उसका ब्योरा मैं यहां दे रहा हूं।

Sherin Iranimosh : hi, gm..
Prashant Priyadarshi : gm.. hru? wats up there?
Sherin Iranimosh : f9 buddy.. nothin much more.. wat bout u?
Prashant Priyadarshi : same here.. :) wat we have to do today?
Sherin Iranimosh : i don't know, lets check it with our PL.. ping him and let me know..
Prashant Priyadarshi : sure yar.. ok then bfn..


ठीक इसी तरह दोपहर के भोजन के समय हम फिर से बाते करते हैं, और उस समय हमारी बातें कुछ ऐसे होती है।

Prashant Priyadarshi : lunchhh???????
Sherin Iranimosh : after 10 minutes..
Prashant Priyadarshi : ok.. i'll wait..


अब आपके क्या विचार हैं इस नेट सभ्यता पर? आप लोग भी अपनी कुछ यादों को जीवंत करते हुये बतायें कि आप अपने नौकरी के शुरुवाती दिनों में अपने साथी का कैसे अभिवादन करते थे।

1 comment:

  1. शुरुवाती दिनों में अपने साथी का कैसे अभिवादन करते थे।
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    अभिवादन? एक घण्टे की बस जर्नी के बाद दफ्तर मेँ ब्रीफकेस पटक सीधे चाय की दुकान का रुख करते थे। वहीं मुलाकात होती थी सहकर्मियों से!

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