पिछले कुछ दिनों से परेशान हूँ, सोशल नेट्वर्किंग साईट्स पर नववर्ष की शुभकामनाओं से.. ऑरकुट पर मेरे जितने भी मित्र हैं लगभग उन सभी को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ, अगर वे मेरे वर्चुअल मित्र हैं तब भी वे आम वर्चुअल मित्र की श्रेणी में नहीं आते हैं.. मगर फेसबुक पर कई लोग ऐसे हैं जिन्हें मैं व्यक्तिगत...
Friday, December 31, 2010
Monday, December 20, 2010
Wednesday, December 15, 2010
दो बजिया बैराग का एक और संस्करण
एक जमाने के बाद इतने लंबे समय के लिए घर पर हूँ.. एक लंबे समय के बाद मैं इतने लंबे समय तक खुश भी हूँ.. खुश क्यों हूँ? सुबह-शाम, उठते-बैठते इनकी शक्लें देखने को मिल जाती है.. सिर्फ इतना ही बहुत है मेरे लिए.. इतना कि मुझे अपने Loss of Payment का भी गम नहीं.. जी हाँ, Loss of Payment पर छुट्टियाँ लेकर घर...
Friday, December 10, 2010
Tuesday, December 07, 2010
घंटा हिंदी ब्लॉगजगत!!
हिंदी ब्लॉगिंग, हिंदी ब्लॉगिंग, हिंदी ब्लॉगजगत!!हिंदी ब्लॉगिंग, हिंदी ब्लॉगिंग, हिंदी ब्लॉगजगत!!हिंदी ब्लॉगिंग, हिंदी ब्लॉगिंग, हिंदी ब्लॉगजगत!!हिंदी ब्लॉगिंग, हिंदी ब्लॉगिंग, घंटा हिंदी ब्लॉगजगत!! अधिकाँश हिंदी में ब्लॉग लिखने वाले पता नहीं कब तक हिंदी ब्लॉगिंग को शैशव अवस्था में मान कर एक्सक्यूज देते...
Monday, December 06, 2010
Tuesday, November 16, 2010
ताला
आज मैंने उसे बड़े गौर से देखा.. कल्पना अक्सर लोगों को कुछ अधिक ही जहीन बना देती है.. हकीकत से अधिक खूबसूरत भी कल्पना ही बनाती है और कल्पना ही उनमे महान होने का अहसास भी जगाती है.. शायद मैं भी खुद एक कल्पना सा होता जा रहा हूँ, यथार्थ से कहीं दूर.. एक अलग जहान अपनी सी भी लगती है..वह अभी भी वैसी ही थी जैसी...
Friday, November 05, 2010
ड्राफ्ट्स
१:"आखिर मैं कहाँ चला जाता हूँ? अक्सर कम्प्युटर के स्क्रीन पर नजर टिकी होती है.. स्क्रीन पर आते-जाते, गिरते-पड़ते अक्षरों को देखते हुए भी उन्हें नहीं देखता होता हूँ क्या? या फिर उन्हें देख कर भी ना देखते हुए मैं अपनी एक अलग दुनिया बुनता रहता हूँ और रह-रह कर उस दुनिया से इस दुनिया तक के बीच सामंजस्य बनाने...
Thursday, November 04, 2010
Sunday, October 31, 2010
पुराने डायरी का पन्ना
यह बातें मैंने ३० जून २०१० को लिखी थी.. लिखते वक्त जाने किन बातों को सोचते हुए इतनी तल्खियत में लिख गया था.. आज ना वे बातें याद हैं और ना ही उन बातों के पीछे कि तल्खियत.. फिर भी इसे जस का तस आप तक भेज रहा हूँ..अब अच्छी कहे या बुरी, मगर जनाब आदत तो आदत होती है.. और जो छूट जाये वह आदत ही क्या? जैसे मेरी...
Saturday, October 23, 2010
किस्सों में बंधा एक पात्र
हर बार घर से वापस आने का समय अजीब उहापोह लिए होता रहा है, इस बार भी कुछ अलग नहीं.. अंतर सिर्फ इतना की हर बार एक-दो दिन पहले ही सारे सामान तैयार रखता था आखिर में होने वाली हड़बड़ी से बचने के लिए, मगर अबकी सारा काम आखिरी दिन के लिए ही छोड़ दिया.. साढ़े बारह बजे के आस-पास घर से निकलना भी था और आठ साढ़े...
Wednesday, October 20, 2010
पटनियाया पोस्ट!!
किसी शहर से प्यार करना भी अपने आप में अजीब होता है.. मुझे तो कई शहरों से प्यार हुआ.. सीतामढ़ी, चक्रधरपुर, वेल्लोर, चेन्नई, पटना!!! पटना इन सबमें भी कुछ अव्वल दर्जे का.. सोलह हजार पटरानियों में रुक्मणि जैसा रुतबा!! जवानी के दिनों में हौसलाअफजाई से लेकर आवारागर्दी तक.. सब जाना पटना से.. अब लगभग सात-आठ...
Monday, October 18, 2010
हम ! जो तारीख राहों में मारे गए.
अधिक कुछ नहीं कहूँगा, बस ज़िया मोहयुद्दीन की आवाज़ में यह नज़्म सुनिए :तेरे होंठो के फूलों की चाहत में हम,तार के खुश्क टहनी पे वारे गए..तेरे हाथों के शम्मों की हसरत में हम,नीम तारीख राहों में मारे गए.. सूलियों पर हमारे लबों से परे,तेरे होंठों की लाली लपकती रही..तेरी जुल्फ़ों कि मस्ती बरसती रही,तेरे...
Saturday, October 16, 2010
Wednesday, October 13, 2010
Sunday, October 10, 2010
Friday, September 17, 2010
एक अधूरी कविता
उस दिन जब तूने छुवा थाअधरों से और किये थेकुछ गुमनाम से वादे..अनकहे से वादे..चुपचाप से वादे..कुछ वादियाँ सी घिर आयी थी तब,जिसकी धुंध में हम गुम हुए से थे..कुछ समय कि हमारी चुप्पी,आदिकाल का सन्नाटा..अपनी तर्जनी सेमुझ पर कुछ आकार बनाती सी,फिर हवाओं मेंउस आकार का घुलता जाना..किसी धुवें की तरह..अभी मैं भी...
Sunday, September 12, 2010
Tuesday, September 07, 2010
Saturday, August 21, 2010
क्यों पार्टनर, आपकी पोलिटिक्स क्या है?
"Oh! So you are from Lalu's place?"यह एक ऐसा जुमला है जो बिहार से बाहर निकलने पर जाने कितनी ही बार सुना हूँ.. मानो बिहार में लालू के अलावा और रहता ही ना हो.. वह चाहे कोई भी हो, उसे जैसे ही पता चलता है कि यह बन्दा उत्तर भारत से है तो स्वाभाविक तौर से वह पूछ बैठता है कि कहाँ से हो? उत्तर बिहार के रूप...