१. पापा बैठे हैं तो भला बैठे क्यों हैं? (मैं कहाँ बैठूँगा? जी हाँ, जहाँ मैं बैठूँगा उसे उसी वक्त वहीं बैठना होता है..)
२. पापा खड़े हैं तो भला खड़े क्यों हैं? (अब पापा जहाँ खड़े हैं वहीं मैं भी खड़ा रहूँगा.. पापा को हटाओ वहाँ से..)
३. पापा घूम रहे हैं तो घुमते क्यों हैं? (पापा नहीं घूमेंगे, मैं घूमूँगा..)
४. पापा खाना क्यों खा रहे हैं? (पापा घर का सारा खाना खा लेंगे.. उन्हें खाने के लिए कुछ मत दो..)
५. पापा पानी क्यों पी रहे हैं? (पापा सारा पानी पी जायेंगे, तो मैं क्या पियूँगा? उन्हें मत दो पानी पीने के लिए..)
मुझे तो इसी बात का संतोष है कि चलो इसे कम से कम अभी ये तो पता नहीं है कि पापा सांस भी लेते हैं.. नहीं तो इसे आपत्ती होगी कि पापा सारा हवा खतम कर देंगे.. फिर मैं कैसे सांस लूँगा?
नखरे इतने हैं इस लड़के के कि मत पूछो.. ऐसे दादी के पास नहीं जाएगा, क्योंकि दादी गोद में लेकर घुमाती नहीं है.. लेकिन अगर इसके छोटे पापा इसकी दादी के पास जाकर बैठ जायेंगे तो इसके तन-बदन में आग लग जाती है.. "पापा पप्प.. केछू आं!! पापा पप्प.. केछू आं!! पापा नै, केछू आं!!(पापा को भप्प कर दिया, और केशू बैठेगा वहाँ.. पापा नहीं, केशू हाँ!!)"
कैसे केशू अपने पापा को 'पप्प' करता है उसका एक नमूना इस वीडियो में आप देख सकते हैं.. कभी कभी बेचारा शरमा शरमा कर भी 'पप्प' करता है..
उसके पापा और उसके बीच के वार्तालाप का एक हिस्सा आप को पेश करता हूं..
सीन 1 :
- केशू, पता है तुमको?
- आं!!
- अरे, ये तो पापा को भी नहीं पता है.. तुमको क्या पता है?
- आं!!
सीन 2 :
- केशू, पता नहीं तुमको?
- नई..
- पापा को भी नई पता है बेटा!!(उदास वाला शक्ल बना कर)
- नई.. ऊंहेंहेंहें..(ठुनकना चालू, कि पापा बताओ)
सीन 3 :
भोरे भोरे, जब केशू का उन्घी भी नहीं टूटा रहता है, भाकुवाया रहता है, तब उसे कार दिखा कर बहलाया जाता है.. पड़ोस के घर में खड़े कार.. तू तार(टू कार).. अगर आपको वो किस्सा होगा तो आप भी इस 'टू' का रहस्य जान जायेंगे.. अगर नहीं जानते हैं तो इस पन्ने से घूम आयें..
तो मुआमला आज भोरे का ही है.. आज भोरे टू कार नहीं, फोर कार लगी हुई थी.. अब केशू को पापा के साथ कार नहीं देखनी थी.. उसे तो दादा के साथ देखनी थी कारें..
- हम भी देखेंगे फोर कार..(केशू के पापा कि आवाज)..
- नई..
- आं.. पापा आं, केशू नई!!
- ऊंहेंहेंहें...
- अच्छा, पापा नई देखेंगे फोर कार.. केशू देखेगा..
अभी भी हम तीन बालकनी में खड़े हैं.. कार कि ओर तीनों ही देख रहे हैं.. मगर कार सिर्फ केशू और उसके दादा ही देख रहे हैं.. उसके पापा नहीं.. उसे डर है कि पापा कहीं सारे कार को देखकर खतम ना कर दें..
सीन 4 :
आज केशू अपने खिलौना गिटार पर सू-सू कर दिया.. उसके पैंट में उसका सू-सू लगा हुआ है उसकी चिंता नहीं.. मगर पहले उसके गिटार को पहले साफ़ करो..
सू-सू करने के बाद उसकी एक समस्या और भी रहती है.. कहीं उसके पैंट बदलने के बीच में उसका छू-छू उसके पापा कुवा(कौवा) को ना दे दें..
चलिए, इस अलिफलैला के किस्से और भी हैं सुनाने को.. अभी तो हम सुनते ही रहेंगे इन किस्सों को.. :)
केछु को बोल देंगे की छोटे पापा को डंडा लेकर मारो जब तंग करता है तो...
ReplyDeleteपछांत भप्प :D
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ReplyDeleteकेछू को न टहलाइये, बड़ा होकर नहीं तो आपको बहुत टहलायेगा।
ReplyDelete@ Zeal जी - मैं जो कहना चाह रहा था वह यहाँ मैं नहीं कहूँगा.. कम से कम उन बातों को इस पोस्ट पर कह कर अपने इस पोस्ट कि अहमियत खत्म नहीं करूँगा.. शायद आप व्यग्रता में इन्तजार नहीं कर सकीं और अपनी बात यहाँ कह गई हैं.. मैं इन्तजार करता हूं इंदु जी द्वारा आपके कमेन्ट के पब्लिश करने तक का.. बात वहीं की जायेगी..
ReplyDeleteप्रवीण जी, ये लड़का तो अभी से ही टहला रहा है सभी को.. आगे जाने क्या क्या हो!! :)
ReplyDeleteबच्चे मन के सच्चे.:) आगे आगे देखिये होता है क्या.
ReplyDeleteये बढ़िया है " उसे डर है कि पापा कहीं सारे कार को देखकर खतम ना कर दें.."
ReplyDeleteमज़ा आ गया. बच्चों के दिमाग में क्या-क्या बैठ जाता है पूछो मत. मेरी दीदी के बेटे को मुझसे बड़ी परेशानी होती थी. शीतल जितना प्यार करती है, वो उतना ही चिढ़ता है. मारने के बहाने ढूँढता रहता है नालायक.
केशू के दो का किस्सा तो जानती ही हूँ, पर मेरा उससे मिलने का बहुत मन है. क्यूट बच्चा :-)
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
ReplyDeleteआशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।ThanksOnline Medical Transcription
PD...bhapppp
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
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