Saturday, April 23, 2011

ये सिस्टम जो हमें भ्रष्ट होने पर मजबूर करता है

इस पोस्ट को पढ़ने से पहले आप इस लिंक को देख सकते हैं अगर आपने फेसबुक पर अपना कोई अकाउंट खोल रखा है तो.. इस लिंक को पढ़ने के बाद आप इस पोस्ट को अच्छे से समझ सकेंगे..

अभी कल ही की बात है, अजित अंजुम जी ने अपने फेसबुक पर Absolute Honesty कि बात की थी.. उनका सवाल कुछ यूँ था :
वहाँ मैंने लिखा था :
Prashant Priyadarshi मैं कहूँगा.. आपने जितनी बातें लिखी हैं कम से कम उस पर अभी तक तो खड़ा उतर ही रहा हूँ.

Prashant Priyadarshi मैं फिलहाल डंके की चोट पर यह कह रहा हूँ क्योंकि मेरी तनख्वाह अभी उतनी तो है ही कि मुझे वह सब करने की जरूरत पड़े.. और मौके भी मिले हैं.. मगर अभी तक तो मैंने किसी तरह का Tax नहीं मारा है और ना ही कोई फर्जी बिल दिखा कर पैसे निकाले हैं.



हो सकता है कि अजित जी के कुछ पैमाने रहे हों Absolute Honesty की, मगर मेरी समझ में उनके मुताबिक मैं भले ही Absolute Honesty की कसौटियों पर खड़ा उतर रहा हूँ मगर खुद अपनी ही नजर में नहीं.. मैं यहाँ बात करना चाहता हूँ कि किस-किस समय मुझे यह सिस्टम एवं समाज भ्रष्ट होने पर मजबूर किया था..

पहली घटना - एक दफे बैंगलोर में MG Road के पास मैं अपने दोस्त की मोटरसायकिल से गुजर रहा था, जब ट्रैफिक पुलिस ने मुझे हाथ देकर रोका.. पुरे दल-बल के साथ कम से कम 25-30 पुलिस वाले रहे होंगे.. जिसने मुझे हाथ देकर रोका था उसने मुझसे वाहन संबंधित सारे कागजात मांगे, जो मेरे पास थे और मैंने दिखाया.. उसे देखने के बाद उसने बोलना शुरू किया की "तुमने रेड लाईट तोडा(जबकि वहाँ कोई लाल बत्ती नहीं थी), तुम्हारी गाडी हाई स्पीड पर थी(मैं उस समय 30-35 से अधिक गति से नहीं जा रहा था), वन वे में उलटे तरफ से जा रहे थे(मैं सही था).." कुल मिलाकर लगभग ढाई हजार के जुर्माने कि बात की उसने.. उसने कहा की जाकर मजिस्ट्रेट से मिल लो(सनद रहे, कि सभी वहाँ मौजूद थे और सभी मिले हुए थे).. मजिस्ट्रेट का कहना था कि पहले थाने जाना होगा, इत्यादि-इत्यादि.. फिर एक पुलिस ने मुझे साईड ले जाकर मुझे कहा की 500 दे दो, तो तुम्हारे ढाई हजार बच जायेंगे और झंझट भी नहीं होगा.. मेरी चेन्नई जाने वाली बस छूट ना जाए इस कारण मैंने जो भी मेरे पास उस समय था वह ले दे कर वहाँ से पीछा छुडाना ही पसंद किया.. मैंने उस दिन 300 रूपये घूस दिए, जो अकारण ही थे.. यह लगभग ढाई साल पहले की घटना है..

दूसरी घटना - चेन्नई रेलवे स्टेशन के ठीक सामने वाले सिग्नल पर यू टर्न(U Tern) लेने की आज्ञा है.. लगभग साल भर पहले की घटना है.. U Tern लेने के लिए हरी बत्ती जल रही थी और मैंने U Tern लिया.. उसी वक्त मेरी गाड़ी बंद हो गई, और वापस शुरू करने में लगे 1-2 सेकेण्ड में ही ट्रैफिक पुलिस ने आकर मेरी गाड़ी की चाभी निकाल ली.. और फिर से वही सब शुरू हो गया जो बैंगलोर में हो चुका था.. तब भी मेरे पास सारे कागज़ थे, मगर पिछले बार के अनुभव से जो मैंने सीखा था वह यह की सीधा सौ की पत्ती पकड़ा दो, कम से कम दो सौ बचेंगे..

तीसरी घटना जो कई दफे घट चुकी है - अब जब कभी ट्रैफिक पुलिस हाथ देती है रोकने के लिए तो बिना रुके वहाँ से आगे बढ़ जाता हूँ, ऐसे दिखाते हुए की मैंने देखा ही नहीं कि उसने रूकने के लिए कहा था.. क्योंकि अंजाम मुझे पता है.. दीगर बात यह है कि मैं अपने सारे कागजात अब भी साथ रखता हूँ..

चौथी घटना - लगभग दस साल पहले कलकत्ता से दुर्गापुर जाते समय बिना टिकट यात्रा की थी.. वह यात्रा भी मजबूरीवश करनी पड़ी थी.. मुझे जल्द से जल्द दुर्गापुर पहुंचना था, और सबसे पहले आने वाली ट्रेन "कालका मेल" थी जिसका यात्री स्टेशन दुर्गापुर नहीं था, वह ट्रेन वहाँ अपने कर्मचारी बदलने के लिए रूकती थी.. जब मैंने कलकत्ता के टिकट खिडकी पर 'मेल' ट्रेन के लिए दुर्गापुर तक का टिकट माँगा तो उसने कहा कि आज सिर्फ एक ही 'मेल' ट्रेन वहाँ से होकर जाती है, मगर उसका स्टेशन वहाँ का नहीं है.. तुम्हें आगे तक का टिकट लेना होगा.. मेरे पास आगे के स्टेशन तक के देने के लिए पैसे नहीं थे, सो मैंने बहुत आग्रह किया की जनरल टिकट पर तो ट्रेन का नाम नहीं होता है.. आप कृपया टिकट दे दें.. अंततः टिकट नहीं मिलने की स्थिति में मैं बेटिकट यात्रा किया..

फिलहाल अपने इतने ही कुकर्म याद आ रहे हैं जब मैंने कानूनी रूप से कुछ गलत कार्य किया था.. कुछ किस्से हर किसी पास होंगे, यहाँ बांचे कि कब आपने मजबूरीवश कोई क़ानून तोडा हो अथवा भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया हो!!


Wednesday, April 20, 2011

नम्मा चेन्नई!!!!

मुझे कई लोग मिले हैं जो मुझे चेन्नई शहर से प्रेम करते देख मुझे ऐसे देखते हैं जैसे कोई अहमक हूँ मैं.. बहस करने वाले भी कई मिले हैं जो यह गिनाने को आतुर रहते हैं कि चेन्नई में क्या-क्या खराबियां हैं.. मेरे पास उनसे अधिक वजहें होती हैं इससे इश्क में डूबने के बजाये इसके की मैं इससे नफरत करूँ.. वैसे भी मुझे यह समझ में नहीं आता है कि कोई किसी शहर से नफरत कैसे कर सकता है? आप किसी शहर के उन लोगों से नफरत कर सकते हैं जो आपके लिए बुरें रहे हों.. आप शहर की गन्दगी से नफरत कर सकते हैं.. किसी शहर की गर्मी से नफरत कर सकते हैं.. मगर पूरे शहर से ही नफरत!! आश्चर्यजनक!! मेरे लिए भी कुछ शहर ऐसे हैं जहाँ की यादें हमेशा मुझे उदास ही करती हैं और अवसाद में धकेलने की कोशिश करती है, मगर फिर भी उन शहरों से नफरत तो कभी ना कर सका मैं.. हाँ कुछ उदासीन जरूर हो चुका हूँ उन शहरों से!!

चेन्नई एक ऐसा शहर है जिसने मुझे जिंदगी की पहली कमाई की पहली रोटी का बंदोबस्त किया, अब इतने बड़े अहसान को मैं भूल जाऊं, इतना अहसानफरामोश नहीं हो सकता हूँ मैं.. पटना मेरे रगों में रचा-बसा है, धीरे-धीरे यह शहर भी रगों में दौड़ने का अहसास जगाने लगा है.. पटना शहर की तरह इस शहर में उस लड़की का कोई निशान नहीं, यह भी एक अलग सुकून देता है, इस शहर में जिन्दा रहने को..

कई तरह के संघर्षों का साक्षी यह शहर, इसका नशा इतनी जल्दी नहीं उतरने वाला है.. अंतर्द्वंदों से लेकर ज़माने की लड़ाई तक.. यूँ तो जमाने से लड़ने का जज्बा पटना शहर से ही सीख कर चला था मगर खुद से लड़ने का तरीका इसी शहर के एकाकीपन ने सिखाया.. अकेले घर में बैठे-ठाले अचानक से बाईक उठाकर रात के तीन बजे माउंट रोड पर बिना मतलब का 30-40 km का चक्कर लगाना, सुनसान सड़क पर 90+ की रफ़्तार से भागना और अचानक से 20-25 की गति पकड़ कर चलना.. बिना किसी डर भय के की कुछ बुरा घट सकता है मेरे साथ.. सुरक्षा की यह भावना किसी और शहर में कभी नहीं मिली.. सिटी बसों को उन पतली गलियों से निकलते हुए भी आज तक कभी किसी बड़े दुर्घटना का गवाह बनते नहीं देखा.. हमारे घर वाली लगभग अनजान सी गली(गूगल मैप में जो एक पतली सी रेखा में अंकित है) में भी सुबह-सुबह नगरपालिका के कर्मचारियों को सफाई करते देखने का मौका उनकी कर्मठता को ही दर्शाता है..


मेरे रहने की जगह लाल लकीर में

कुछ बुरे अनुभव भी हुए हैं यहाँ मगर वह उन सारे अच्छे अनुभवों के सामने बहुत कम अनुपात में है.. वैसे भी बुरे अनुभव तो हर शहर के हैं, जहाँ कहीं मैं गया हूँ.. आजकल चेन्नई अपनी प्रसिद्द गर्मी के उफान पर है, ज्यों-ज्यों उमस वाली गर्मी बढती जा रही है, इसका नशा भी सर चढ़कर बोलने लगता है..



नोट : आज अचानक से इस वीडियो पर पहुँच गया, इसे देखते हुए जो ख्याल मन में आये उसे यहाँ लिख भी दिया..

Wednesday, April 06, 2011

जब लोग आपको भूलने लगें

अमरत्व प्राप्त किये व्यक्तियों को लोग भूलते नहीं हैं
सदियों तक जेहन में बसाये रखते हैं
समय की गर्द भी उसे
अनश्वर बनाये रखती है
जैसे
मुहम्मद इब्न 'अब्दुल्लाह
गौतम बुद्ध, राम अथवा महावीर इत्यादि

लोग आपको भूलने लगें उसके कुछ लक्षण
आप अचानक से अदृश्य हो जाते हैं
आपकी आवाज भी मौन हो जाती है
लोग गोष्ठियों में किसी को बुलाना भूलते हैं,
तो अक्सर वह आप ही होते हैं
आप अचानक से स्मृतिपटल से मिट गए होते हैं
स्पष्ट शब्दों में आप नकारे गए होते हैं

जब आप खुद को भी भूलने लगे
तभी समझें की हुआ है
आपका नवजन्म
कुछ नया करने को
समय चक्र को चीर कर, आगे बढ़ने को
आपने आज धारण किया है यह अनश्वर शरीर!!


Monday, April 04, 2011

विश्व कप के बाद, भारतीय टीम, सट्टाबाजार शिवसेना और पूनम पांडे

केवल भारतीय टीम के लिए ही न्यूड होगी पूनम पांडे.. यह सुनते ही शिवसेना एवं अन्य भारतीय संगठनों में गुस्सा व्याप्त हो गया.. विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है की वे इसलिए कुपित हैं की सिर्फ भारतीय टीम ही क्यों? टीम ऐसे ही नहीं जीतती, जिताना पड़ता है, और इस तरह हर भारतीय भी उतना ही हकदार है इस कप का.. वे बार-बार यही सवाल पूछ रहे हैं की सिर्फ भारतीय टीम ही क्यों? वहीं यह खबर सुनते ही भारतीय टीम में खुशी व्याप्त हो गई है.. "द मोस्ट एलिजिबल बैचलरों" से सजी भारतीय टीम अभी से ही पास के एक ठर्रे से पाउच मंगवा चुकी है ऐसा सुनने में आया है..

लोग युवराज सिंह के कहे उस बात पर भी कयास लगा रहे हैं जब उन्होंने रवि शास्त्री के एक सवाल के जवाब में कहा था "I wish I could tell you, how we are going to celebrate." कहीं उनका इशारा पूनम पांडे की ओर तो नहीं था? उनके चेहरे कि सौम्य मुस्कान को भी लोग अब कुटिल साबित करने का प्लान बना रहे हैं.. वहीं वे खिलाड़ी जिनकी शादी हो चुकी हैं वे अपनी पत्नियों की चिरौरी कर रहे हैं की वे उन्हें भी उस समारोह में जाने दे..

सहवाग अपना रिलायंस फोन बंद रखने की योजना बनाये हुए हैं, उनका सोचना है की अगर ठीक उसी बक्त पर उनकी माँ का फोन आ गया तो? उनके पास तो वीडियो कॉल की सुविधा भी है जिस पर मैदान से वह अपनी माँ से आशीर्वाद लेते हैं.. वहीं सचिन परेशान हैं कि अपने बच्चों को क्या कह कर समझायेंगे? उनके लिए पत्नी से बड़ी समस्या अपने बच्चों की है.. धोनी ने कुछ भी कहने से साफ़ मन करते हुए कहा "No comments please."

श्रीसंत को हरभजन ने पहले प्यार से समझाया कि वहाँ बच्चों का आना मना है, और उनके ना मानने पर एक थप्पड़ फिर से जड़ दिया.. चूंकि यह सब परदे के पीछे की घटना है, सो श्रीसंत भी परदे के पीछे जा-जा कर अपने आंसू पोछ रहे हैं.. कोहली अपना वह क्रीम बार-बार मल रहे हैं जो उन्हें गोरा बनाती है.. कोहली इस बात से परेशान हैं की महीने भर लगातार मैदान पर खेलने की वजह से वह काले हो गए हैं.. उन्होंने BCCI के समक्ष यह बात उठाई है की सारे मैच रात में ही खेले जाएँ..

वहीं सट्टा बाजार में इस बात पर करोड़ों के सट्टे लग चुके हैं की पूनम पांडे कपड़े उतारेंगी या नहीं!! गोपनीय सूत्रों से पता चला है की सट्टा बाजार का भाव 0.57 का है की पूनम पांडे अपना वादा याद रखेंगी.. 1.83 का भाव इस पर है की वे भारत में ही ऐसा करेंगी.. वहीं 2.32 का भाव इस पर है की वे पेरिस में ऐसा करेंगी.. 5.18 का भाव इस पर है की वह किसी तीसरे देश में ऐसा करेंगी.. सट्टा बाजार के कुछ सटोरिये तो इस बात पर भी सट्टा लगाने को तैयार थे की कोई और ही यह कारनामा अंजाम ना दे दे, मगर पाकिस्तानी टीम की सलाह पर वे इस बात पर सट्टा नहीं लगाया गया..