Friday, December 31, 2010

बधाईयों की किंकर्तव्यविमूढ़ता

पिछले कुछ दिनों से परेशान हूँ, सोशल नेट्वर्किंग साईट्स पर नववर्ष की शुभकामनाओं से.. ऑरकुट पर मेरे जितने भी मित्र हैं लगभग उन सभी को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ, अगर वे मेरे वर्चुअल मित्र हैं तब भी वे आम वर्चुअल मित्र की श्रेणी में नहीं आते हैं.. मगर फेसबुक पर कई लोग ऐसे हैं जिन्हें मैं व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता हूँ और वे लोग ही वर्चुअल शब्द के खांचे में फिट बैठते हैं.. अब ऐसे में जब कोई नववर्ष की शुभकामनाएं भेजते हैं तो मेरे लिए यह किंकर्तव्यविमूढ़ वाली स्थिति हो जाती है.. बधाई के उत्तर में या तो सिर्फ औपचारिकता के लिए आप भी उन्हें उसी तरह कि शुभकामनाएं भेजें, अथवा कुछ भी जवाब ना देकर खुद को एक घमंडी व्यक्ति के रूप में स्थापित कर लें..

मुझसे औपचारिकता निभाना किसी भी क्षण में बेहद दुष्कर कार्य रहा है, और उससे अच्छा खुद को एक अहंकारी व्यक्ति कहलाना अधिक आसान लगता है.. मजाक में कहूँ तो, "अगर मनुष्य एक सामजिक प्राणी है तो मुझमें शत-प्रतिशत मनुष्य वाला गुण शर्तिया तौर से नहीं है.." :)

ऐसा नहीं कि यह सिर्फ नववर्ष के समय ही होता है.. लगभग ऐसी ही स्थिति जन्मदिन की शुभकामनाएं पाते समय भी होती है, ऐसी ही स्थिति होली और दिवाली के समय भी होती है.. मेरे विचार में सभी जानते हैं कि कौन सही में उनका शुभचिंतक है, कौन नहीं है और कौन मात्र औपचारिकता निभाने के लिए बधाई सन्देश भेजते हैं.. अधिकाँश समय मैं भी बधाई सन्देश भेजता हूँ, आखिर सामाजिकता मुझे भी निभानी चाहिए, ऐसे ख्यालात में.. अब ऐसे में मुझे यह मात्र एक तरह का ढोंग जैसा लगने लगता है..

मेरे यह सब लिखने के पीछे का कारण मेरे फेसबुक पर मेरे किये गए अपडेट के उत्तर में आये सन्देश हैं.. मैंने लिखा था कि "Closing my FB for two days to escape from all virtual new year wishes." मेरे कई मित्रों ने प्यार भरी झिडकी सुनाई, उनकी कही बातें मुझे आपत्ति तो कतई नहीं लगा.. इस लेख को उसकी सफाई ही मान लें..

कई लोग मुझे यह कह सकते हैं कि मात्र एक बधाई सन्देश के आदान-प्रदान में ऐसी कंजूसी क्यों? इसके उत्तर में मेरा इतना ही मानना है कि यह मेरा व्यक्तिगत विचार है, और हर किसी के व्यक्तिगत विचार का सम्मान होना भी बेहद जरूरी है..

मित्रों, जरूरी नहीं कि अगर मैं आपसे कभी मिला नहीं, और मात्र आभासी दुनिया से जुड़ाव मात्र रहा हो तो मेरी आपके प्रति आसक्ति कम अथवा अधिक हो जाए.. अलबत्ता कई लोग तो ऐसे हैं वहाँ जिनसे मुझे असल दुनिया के कई लोगों से अधिक जुड़ाव है, जबकि मैं कभी उनसे मिला भी नहीं हूँ.. और वैसे लोगों का प्यार ही है जो मुझे इस आभासी दुनिया में बनाये रखा है.. साथ ही यह बात भी सत्य है कि किसी भी तरह के बधाई सन्देश को पाने के बाद, चाहे वह मेरी सफलता पर दिए गए बधाई सन्देश हों अथवा किसी तीज-त्यौहार पर दिए गए, मैं किंकर्तव्यविमूढावस्था में होता हूँ..

मैं आपके बधाई का उत्तर दूँ अथवा ना दूँ, इससे आपके प्रति मेरा प्यार एवं सम्मान कम अथवा खत्म कतई नहीं होगा.. चाहे वह मेरे आभासी दुनिया के मित्र हो या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.. मैं आप सभी से बेहद प्यार करता हूँ..

12 comments:

  1. सर्वे भवन्तु सुखिनः । सर्वे सन्तु निरामयाः।
    सर्वे भद्राणि पश्यन्तु । मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
    सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें, और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े .

    नव - वर्ष 2011 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

    -- अशोक बजाज , ग्राम चौपाल

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  2. मस्त रहा जाये। नया साल पूरे छप्पन मिनट का हो गया अब तक। बधाई!

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  3. आपके प्यार पर भरोसा है भैये ! इतना स्पष्टीकरण की कौनौ जरुरत नहीं है
    :-)

    प्यार तो हम भी बहुत करते जो हैं ....कहिये तो अभिये एक ठो एस एम् एस ठेल दें ?

    @अनूप जी को भी बधाई ! पूरे छाछठ मिनट हो चुके ...नए साल के !

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  4. आनन्दमग्न जीवन में इन लघु प्रयासों का बहुत महत्व नहीं है। मन का प्रेम अन्य माद्यमों से भी व्यक्त है।

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  5. चचा ने तो इसका जवाब सदी पहले दे दिया था,

    फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ,
    मैं कहाँ और ये बवाल कहाँ ।

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  6. आपके व्‍यक्तिगत विचार के सम्‍मान सहित (जिसे अब आपने हम सब से उदारतापूर्वक बांट कर सार्वजनिक किया है) कभी-कभार औपचारिकता निबाह लेने का सुख भी लिया जा सकता है. राह चलते अनजान व्‍यक्ति से भी तो कई बार दुआ-सलाम हो जाता है. आपके अहंकार और प्रेम का मेल इसी तरह बना रहे.

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  7. बधाईयों की किंकर्तव्यविमूढ़ता

    भाई क्या जोरदार शीर्षक है :)

    वैसे कल शाम में मैं भी बहुत हद तक परेसान हो गया था...फेसबुक वाल मेसेज तो नहीं आये मुझे लेकिन हाँ, कई लोगों ने अपने वाल फोटो में मुझे टैग कर के बधाई दी...उनमे से कई को मैं बस हलके रूप से ही जानता हूँ..शाम में करीब १०-१२ फोटोज से मैंने टैग निकाल दिया था अपने...इसलिए कल शाम में मैंने भी एक स्टेट्स अपडेट किया था..तुमने देखा ही होगा :)

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  8. @बधाईयों की किंकर्तव्यविमूढ़ता


    आंग्ल नव वर्ष की शुभकामनाएं.

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  9. बात आपने वही की है जो बेचैन तो बहुतों को करती है मगर कोई पी डी ही अभिव्यक्त कर पाता है ...
    .और जैसे आप जान पहचान वालों को ही बड़ा भाव देते हों :)
    औपचारिकता का तकाजा ही है हेलो का जवाब हेलो से देना -ऐसे असमंजसों /धर्म संकटों से दो चार जीवन में सभी को करना ही होता है ..फिर दुनिया सिखा देती है क्या करना है क्या नहीं .....आपने ऍफ़ बी को ब्लाक किये रखा दो दिन ? वाह क्या कहने ? आप भी एक टाईप हो ! अपने अवरोधों ,मासूमियत को अभी तक दबाये बैठे हैं ! अब तो यह नया दशक भी आ गया !

    मुझसे औपचारिकता निभाना......या मुझे औपचारिकता निभाना ?

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  10. अच्छा लगा ये बेबाकीपन :)
    {पर कब से एक engrossing post का इंतज़ार है... पापा जी के बर्थडे पर एक पोस्ट तो बनती थी...अब भी लिख डालो )

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