जी हां कुछ ऐसा ही नजारा था 6 मई कि रात चेन्नई सेंट्रल, प्लेटफार्म नंबर 9 पर.. मेरा मित्र संजीव(जिसकी चर्चा मैं कई बार अपने इस ब्लौग पर कर चुका हूं) के मम्मी-पापा एक शादी में शामिल होने के लिये चेन्नई आये हुये थे.. हम सभी मित्रों में से ऐसा कोई भी नहीं था जो पहले उनसे ना मिला हो, सो औपचारिकता जैसी कोई बात ही नहीं थी.. सब कुछ बिलकुल घर जैसा ही था.. हम सभी खुश कि अंकल-आंटी आये हुये हैं.. मैं और शिवेंद्र 5 कि सुबह(जिस दिन शादी थी) पहले ही अंकल-आंटी से उनके होटल में जाकर मिल चुके थे.. और चूंकी 6 को आंटी का जन्मदिन था सो काफी कुछ संजीव कि ओर से हमें ढ़ेर सारे अनुदेश(इंस्ट्रक्शन) मिल चुके थे..
उनकी ट्रेन 6 मई कि रात में थी और उन्हें रांची जाना था.. 6 कि सुबह ही जब ऑफिस जाने कि तैयारी कर रहा था उस समय शिवेंद्र से बात करते हुये अचानक से केक का भी प्लान बना डाला.. कि रात में जब स्टेशन पर अंकल-आंटी से मिलने जायेंगे तब वहीं स्टेशन पर ही केक की कटाई भी होनी चाहिये.. :)
दिन भर ऑफिस में होने के कारण किसी का भी अंकल-आंटी से मिलना संभव नहीं था.. (कुछ हद तक मेरे लिये ही यह संभव था क्योंकि जहां शादी हुई थी वह स्थान मेरे ऑफिस के बिलकुल पास में ही था, मगर मुझे इसकी कोई खबर नहीं थी जिसका बाद में मुझे अफ़सोस भी हुआ..) शाम में हमारे मित्र अन्वेष का फोन आया कि तुम कैसे और कब जा रहे हो स्टेशन? मैंने प्लान बताया, फिर उसने कहा कि मैं भी आ रहा हूं और सीधा तुम्हारे ऑफिस आऊंगा.. वहीं से साथ चलेंगे..
मेरे लिये तो ऑफिस रात में ही जवान होती है.. और मैं सारे काम छोड़कर भागने के चक्कर में था.. मगर उसकी जरूरत नहीं पड़ी.. मैं सही समय पर निकला और नियत समय पर अन्वेष से मिल भी लिया.. शिवेंद्र भी मेरे ही ऑफिस आ गया.. फिर हमने फोन किया तो पता चला कि ट्रेन लगभग 3 घंटे देरी से चल रही है.. फिर पूछने पर पता चला कि वो तो बिलकुल हमारे पास में ही हैं.. हम सीधा शादी वाले जगह के लिये ही निकल लिये..
थोड़ी देर उनसे बाते करके और अन्वेष को उनके पास बैठा कर मैं और शिवेंद्र निकल लिये केक लाने के लिये.. उधर से वाणी का भी फोन आ चुका था कि कुछ लाल गुलाबों का एक गुलदस्ता भी बनवा कर लेते आना.. संयोग से मेरा ऑफिस चेन्नई के सबसे बड़े व्यवसायिक इलाका टी.नगर में ही है.. जहां हर चीज आसानी से उपलब्ध है..
मैं और शिवेंद्र केक और गुलदस्ता लेकर पहूंचे मगर उसे गार्ड के पास ही छोड़ आये.. सारे बारात के सामने केक कि कटाई हमें कुछ जंच नहीं रहा था और साथ ही हमें विकास और वाणी का भी इंतजार करना था.. थोड़ी देर में ही वे दोनों भी आ पहुंचे.. वे दोनों अंकल-आंटी के लिये गिफ्ट पहले ही पैक करके लेते आये थे जिसे बैग कि मेहरबानी से छुपाया गया था..
फिर वहां से निकल कर स्टेशन के लिये चल पड़े, हम पांच मित्र थे और हमारे पास 3 गाड़ियां थी.. मतलब एक सीट अभी भी खाली थी हमारे पास और अंकल ने उसका बखूबी इस्तेमाल किया.. वैसे पल्सर 200 पर चढ़कर पीछे बैठने का अनुभव जानना हो तो कभी मेरे पापा से या फिर अंकल से पूछना ही ठीक रहेगा.. ;)
स्टेशन पर पहूंच कर हमने एक-एक करके अपने सारे पत्ते खोलना शुरू किया.. आंटी को भी बताया कि हमने कुछ प्लान भी बना रखा है आज के खास दिन के लिये.. आंटी का कहना था, "हम तो आज तक कभी भी केक नहीं काटे हैं.." इस पर हम सभी का कहना था कि "पहला केक काटना और वो भी रेलवे प्लेटफार्म पर, कभी नहीं भूल पायेंगे आप.." :)
फिर केक काटा गया.. कुछ प्यार भरी और कुछ हंसी मजाक की बाते हुई.. जाते-जाते हमने भी ढ़ेर सारा आशीर्वाद बटोरा, कुछ भी इधर-उधर छिटकने नहीं दिया.. :) थोड़ी देर में ट्रेन भी आई और वे चले गये..
चलते-चलते - हम मित्र आपस में अक्सर ये बातें करते हैं कि संजीव इतना बोलता क्यों है.. इस बार इसका जवाब हमने ढ़ूंढ़ निकाला.. आंटी अध्यापक और अंकल अधिवक्ता.. अब ऐसे में बच्चे भला कैसे चुप रह सकते हैं?? :D
नोट - यह सभी चित्र चेन्नई रेलवे स्टेशन का है, जहां हमने केक पार्टी की थी.. इसमें सफेद रंग के टी-शर्ट में अन्वेष है, कत्थई रंग के शर्ट में विकास है, नीले रंग के शर्ट में शिवेंद्र, हरे रंग के कपड़े में मैं खुद और साथ में वाणी भी.. अंकल-आंटी को तो आप ऐसे भी पहचान लेंगे यह उम्मीद करता हूं.. :)
क्या बात है... बहुत ऐसे ही छोटे छोटे मौके एक दुसरे के करीब लाते है... शानदार..
ReplyDeleteअरे! भाई, तुम लोगों ने तो लाइफ बना दी इस से बड़ी मजेदार पार्टी और क्या हो सकती थी? सब को बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुत निराला अंदाज रहा जन्म दिन मनवाने का. यादगार रहेगी यह बात उनके साथ.
ReplyDeleteबहुत ही innovative. अंकल और आंटी तो ज़िन्दगी भर नहीं भूलेंगे. बधाई.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअच्छा तरीका जी, मेरे तो प्रोफेशन के लिये बिल्कुल फिट!
ReplyDeleteआपने जो किया वह बहुत अच्छा लगा। बच्चों से मिला ऐसा स्नेह मन को तो खुश करता ही है, जीवन भर याद भी रहता है।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
आपकी आंटी के लिए यह एक कभी न भूलने वाली सुखद याद का तोहफा............जन्मदिन का यह अनोखा अंदाज........भाई वाह!!! कमाल का आईडिया था आप लोग का।
ReplyDeletebahut badiya :)
ReplyDeleteखुशिया तो युही कही भी मिल जाती है.. बहुत सही जा रहे हो भाई..
ReplyDeleteखुशियां ऐसे ही मिलती बस उसे पाने के लिये नज़र चाहिये। अच्छा लगा और ऐसे ही खुशियां मनाते रहो,मस्त रहो और मज़े करो।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया आइडिया रहा यह तो . कभी नहीं भूल सकेंगे वो .:)
ReplyDeleteबिल्कुल अनूठा और ना भूलने लायक यादगार दिन.
ReplyDeleteरामराम.