दूसरी बार इनके एक नये व्यक्तित्व का पता मुझे तब चला जब यह सूरज को बचाओ अभियान में लगे हुये थे.. सूरज नाम का एक होनहार बालक एक जटिल बिमारी से ग्रस्त है, और पटना में उसका इलाज चल रहा है.. उसकी दवाईयां इतनी महंगी है जिसे वह नहीं खरीद सकता है.. अगर आप भी उसके लिये कुछ कर सकें तो मुझे बहुत खुशी होगी.. आप उसके लिये क्या और कैसे कर सकते हैं इन सबकी जानकारी आपको इस ब्लौग पर मिल सकता है..
एक बार फिर इनका व्यक्तित्व निखर कर मेरे सामने आया जब बिहार बाढ़ के समय अपने प्राणों को खतरे में डाल कर ना जाने कितने प्राणों को इन्होंने बचाया.. यह खुद बाढ़ वाले इलाके में घूमे और जगह-जगह लोगों को सहायता प्रदान की.. मैं इनसे ही प्रभावित होकर यहां चेन्नई में भी बाढ़ राहत के लिये फंड इकट्ठे करने के लिये जागरूकता फैलाई.. और एक मेरे अकेले के प्रयास से ही लगभग 10 लाख रूपये भी बिहार मुख्यमंत्री राहत कोश में डलवाने में सफल भी हुआ.. मैं इन सबका सारा श्रेय भी इन्हें ही देता हूं.. सोचिये, मेरे जैसे ना जाने कितने लोग इनसे प्रभावित होकर कितनी सहायता पहूंचाई होगी?
अगली बार इनकी एक बहुत ही बढ़िया बात मुझे युनुस जी से पता चला.. मुझे इनके बारे में बस यह पता था कि यह मुंबई किसी काम से गये हुये हैं.. बाद में युनुस जी से मुझे पता चला कि यह मुंबई गये थे उन लोगों कि सहायता करने जो गरीब थे और मुंबई हमले में अपने किसी परिजन को खो चुके थे और जिनकी सुध ना तो सरकार ने ली थी और ना ही किसी अन्य संस्था ने.. ये मुंबई जाकर पहले किसी अखबार के कार्यालय से उन सबकी लिस्ट लिये और फिर जो भी बन सका उतनी सहायता की और शाम वाली गाड़ी से वापस गांधीनगर लौट गये..
इनकी सबसे बड़ी खूबी मुझे यह लगती है कि यह समाज के लिये जो भी काम करते हैं, उसे करने के बाद परदे के पीछे चले जाते हैं.. नेपथ्य में रहकर काम करना शायद इनके स्वभाव में शामिल है..
जी हां ऐसे ही हैं हमारे यह गुणी भैया.. इनका पूरा नाम गुनेश्वर आनंद है.. ऐसे तो यह बिहार के रहने वाले हैं मगर अभी गांधीनगर में रहकर पी.एच.डी. कर रहे हैं.. इन्हें मुझे एक बात के लिये धन्यवाद भी कहना था मगर इन्होंने मुझे कहा कि घर के लोगों के लिये धन्यवाद जैसी औपचारिक शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता है.. असल में इन्होंने मुझे एक ईनाम के तौर पर "अनामदास का पोथा" भेंट किया है.. :)
चलते-चलते यह भी बताता चलूं कि इनका चिट्ठा हिंदी चिट्ठों की दुनिया में सबसे पुराने चिट्ठों में से एक है, मगर इन्हें जानने वाले बहुत कम है इस चिट्ठा दुनिया में.. यहां भी इन्हें नेपथ्य में रहकर चलना अच्छा लग रहा है शायद.. :)
इनका कोई चित्र मेरे पास अभी नहीं है, मगर इनका यह चित्र इनसे पूछे बिना मैं औरकुट प्रोफाइल से उडा लाया हूँ.. मजे कि बात ये है कि इसमे भी इनका चेहरा नहीं दिख रहा है.. :)
आपके ब्लॉग के बारे में तो पता था पर इतनी विस्तृत जानकारी नहीं थी.. आपके जैसे लोगो की वजह से ही दुनिया अभी भी जीने लायक बची है..
ReplyDeleteइस दुनिया में बहुत से लोग है भाई .जो अपने अच्छे कामो की लिस्ट नहीं बनाते .ना ही उन्हें सार्वजनिक करते ..असल लोग वही है ....इनको पढता रहता हूँ...ओर प्रभावित भी हूँ.....
ReplyDeleteKush ji has already gave words to my feeling.Exactly I wanted to say these words.my salutes to this gentleman and heartly thanks to u for revealing such great prsonality to us,thanks again
ReplyDeleteDr.Bhoopendra
हम्म । गुणीबाबू गुणों की खान हैं । ऐसे जुझारू और साहसी लोग कम ही होते हैं ।
ReplyDelete"एक गधे की आत्मकथा" मुझे कूरीयर से भेजे थे.. मैंने इन्हें बहुत कहा कि आप अपना बैंक एकाऊंट नंबर मुझे दिजिये,
ReplyDeleteभाई देखना कृष्णचंद्र जी का गधा बडा ज्ञानी है, ये एक बैंक मे अकाऊंट खुलवाकर मेनेजर से भी हाथ पैर जुडवा चुका है.:)
रामराम.
गुणी बाबू के साथ साथ आपको भी बधाई एवं शुभकामनाएं............
ReplyDeleteगुणी बाबू जैसे न जाने कितने लोग हमारे आसपास हैं। कभी लगता है कि दुनिया में जितने छेद हैं उन्हें यही भरने में लगे हैं। लेकिन दुनिया में छेद बहुत हैं।
ReplyDeleteमैं वैसे तो बड़ा cynical किस्म का इंसान हूँ जिसे लगता है की अगर कोई अच्छा है तो नाटक कर रहा है ... करीब एक साल पहले गुनी जी से मिला ऑरकुट पे , एक और भी इनके जोडीदार थे पगलू जी जो अब ऑनलाइन नहीं रहते ... पहले जब गुनी जी के बारे में जानना शुरू किया तो मन में शक होने लगा की कोई इतना सीधा और संत कैसे हो सकता है ... धीरे धीरे जैसे जैसे मैं इन्हें जानता गया तब मैंने जाना कि ऐसे लोग भी हैं दुनिया में .. मैं ऑरकुट का आभारी हूँ जिसने मुझे इनसे मिलवाया और मैं क्या कहूँ , गुनी जी तो बस गुनी जी हैं
ReplyDelete" बाकी है जिनके दम से , नाम-ओ-निशाँ हमारा ... "
गुणी बाबू
ReplyDeleteआभार
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
अच्छी पहचान करवायी "गुणी बाबू " से ऐसे लोगोँ को इस पृथ्वी तल के रक्षक कहते हैँ
ReplyDelete- लावण्या
इस पोस्ट के लिए ख़ास धन्यवाद.
ReplyDeleteगूणी बाबू के गुणों का क्या बखान किया जाये..आभार भाई.
ReplyDeleteहे भगवान् !!
ReplyDeleteहम सब ब्लोग्गेर्स को गुनी भैया की तरह बना दो!!
inke baare mein padhkar mujhe bahut achchha laga ...in jaise vyaktiyon ki wajah se duniya kayam hai
ReplyDeleteबहुत प्यारा दोस्त है आपका... जैसा नाम वैसे काम... शुभकामनाऐं.
ReplyDelete@ Da Eternal Rebel - आपने बिलकुल सही फरमाया.. मेरे साथ भी अक्सर ऐसा ही होता है और गुणी भैया के बारे में भी ऐसा ही हुआ था.. खासकरके तब मेरे मन में बहुत सारी शंकाये उठ खड़ी हुई थी जब इन्होंने सूरज को बचाने के लिये कुछ मदद करने को कहा.. मगर जब इन्हें ज्यादा नजदीक से जाना तब सारे शंकाओं का समाधान हो गया..
ReplyDelete@ Da Eternal Rebel - अरे, पगलू भैया के बारे में लिखना भूल ही गया.. जब से उनकी शादी हुई है तब से उनका दिखना बंद हो गया है.. :)
ReplyDeleteआभार आपका, पीडी।
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