Tuesday, May 13, 2008

किस्सा-ए-मोबाईल

अमूमन आफिस के समय में मुझे कहीं से फोन नहीं आता है और अगर आता भी है तो किसी बैंक से कि सर आप हमारा क्रेडिट कार्ड ले लो या फिर किसी इंस्योरेंस कंपनी से.. कल मेरा मोबाईल घर में ही छूट गया था.. वैसे भी अच्छा ही हुआ, कभी-कभी मोबाईल से खुद को फ्री करने की चाहत हो जाती है.. ऑफिस में मेरे टीम लीड(श्रीनि) ने मुझसे पूछा की मोबाईल घर में क्यों छोड़ दिये, तो मैंने उन्हें बस यूं ही चिढा दिया की ऑफिस टाईम में तो बस आप ही फोन करते हैं सो आज छोड़ दिया.. कल घर पहूंचते-पहूंचते रात के 8:30 हो गये जबकि मैं कल थोड़ा जल्दी आ गया था..

घर में जैसे ही घुसा वैसे ही विकास ने बोला कि तुरत भैया को फोन करो, तुम्हारे मोबाईल पर 15 से ज्यादा मिस्ड कॉल आये हुये थे.. मैंने जूता खोला और भैया को फोन किया.. उनसे पता चला की शिल्पी ने उन्हें कॉल किया था कि मैं प्रशान्त को 10 से ज्यादा बार कॉल कर चुकी हूं मगर वो फोन नहीं उठा रहा है.. तब भैया ने मुझे 3-4 बार कॉल किया और जब मैंने नहीं उठाया तब उन्होंने विकास को कॉल किया और पूछा की प्रशान्त फोन क्यों नहीं उठा रहा है? तब जाकर विकास ने बताया कि उसका मोबाईल घर पर ही है(उस समय तक विकास घर पहूंच चुका था).. भैया ने शिवेन्द्र का नंबर के लिये पूछा(नये लोगों के लिये जानकारी - शिवेन्द्र मेरे साथ ऑफिस में भी काम करता है और हम साथ भी रहते हैं).. विकास ने उन्हें बताया की दोनों आज-कल अलग टीम में हैं सो अलग आते-जाते हैं..

अच्छी बात ये है की, अभी पापा-मम्मी किसी काम से गया गये हुये हैं सो उन्हें कुछ पता नहीं और उन्हें चिंता भी नहीं हुई..

बुरी बात ये की, जब फोन मेरे पास होता है तो बस बैंक और इंस्योरेंस वाले ही फोन करते हैं.. मगर कल पूरे दिन भर में एक भी मिस्ड कॉल नहीं आया हुआ था..

मजेदार बात ये की, कल जब मैंने अपना मोबाईल घर में छोड़ दिया तो सिर्फ शिल्पी ने ही फोन नहीं किया बल्की गार्गी, प्रियदर्शीनी और वंदना ने भी फोन किया था.. फिर मैंने उन सभी को एक-एक करके फोन किया..

कल की खास बात, बहुत दिनों बाद अपने एक बहुत पुराने मित्र से मुलाकात हुई.. पार्थो नाम है उसका.. कल वो बैंगलोर से चेन्नई किसी काम से आया था..

आज की खास बात, मैंने बहुत दिनों बाद अपने ब्लौग में कुछ लिखा.. ;)

Keywords : Kissa-e-Mobile, Forgot mobile at home.

9 comments:

  1. मोबाइल का किस्सा मज़ेदार रहा,आप लिखते रहें...बहुत दिनों बाद लिखिये तो बहुत से मुद्दे रहते हैं लिखने के लिये....मैं भी यदा कदा लिखता रहता हूँ....अच्छा लगा ..

    ReplyDelete
  2. ye vakya mera sath bhi ho chuka hai..

    ReplyDelete
  3. कहाँ गायब रहे इतने दिन?
    हम तो महीने में कम से कम दो दिन तो घर भूल जाते हैं अपना मोबाइल। पर उस पर जवाब देने वाला होता है।

    ReplyDelete
  4. प्रशांत बहुत बढ़िया पोस्ट है...

    एक अप्रैल को मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ...सेल फ़ोन बंद होने की वजह से केवल तीन घंटे में पूरी अफरा तफरी मच गई थी...मुझे उस दिन पता चला कि हमलोग सुविधाओं के अधीन होकर रह गए हैं..

    ReplyDelete
  5. जिंदगी इन दिनों मोबाइल मय हो गई है .सड़क पे निकलो टू हर चार कदम पे भागता ,दौड़ता ,था आदमी मोबाइल थामे मिलेगा......ओर हमारे पेशे मे बिना मोबाइल के .........गलिया पड़ती है भाई........

    ReplyDelete
  6. हम तो जकड़ गये हैं। मोबाइल तो सिर्फ़ मोबाइल है!

    ReplyDelete
  7. रोचक है है और आज की खास बात का क्या कहना. रोज ऐसे ही खास हो तो रोज लिखो. :)

    ReplyDelete
  8. बहुत खुब अच्छा,अच्छा लगा पढ कर, हमारे साथ भी कुछ ऎसा ही होता हे, पुरा साप्ताह कोई फ़ोन नही आयेगा लेकिन जब फ़िल्म देखने लगो तो फ़ोन पर फ़ोन आते हे.

    ReplyDelete
  9. मोबाइल तो मोबाइल और स्थिर दोनों ही अवस्था में साथ रखने का है छोड़ने का नहीं।

    ReplyDelete