गरमी के दिनवा में नानी के गऊँआ के याद आवेला।।
धूल भरल ट्रेफिक में गऊँआ के टमटम के याद आवेला,
आफिस के खिचखिच में मस्ती भरल दिनवा के याद आवेला।
दोस्तन के झूठिया देख माई से झूठिया बोलल याद आवेला,
प्रदूषण भरल पनिया देख तलवा तलैया के याद आवेला।।
गरमी के दिनवा में.......।।
ब्रेड बटर के देखत ही मकुनी अऊर चोखा के याद आवेला,
कोल्ड ड्रिंक के केलोरी में छाछ और पन्ना के याद आवेला।
फास्ट फूडन के दुनिया में सतुआ-चबेना के याद आवेला,
अश्लील भईल सिनेमा से कठपुतली के नचवा के याद आवेला।।
गरमी के दिनवा में.......।।
बीबी के होटल बाजी से माई के खनवा के याद आवेला,
मतलबी पटीदारन में जानवर के वफादारी के ञाद आवेला।
दारुबाजन के हुड़दंगई में भंगिया के मस्ती के याद आवेला,
पुलिसियन के रौब देख रावण अहिरावण के याद आवेला।।
गरमी के दिनवा में.......।।
भ्रष्टाचारी के मनसा देख सुरसा के मुँहवा के याद आवेला,
नेताजी के करनी से गिरगिटया के रंग बदलल याद आवेला।
बेईमान भरल दुनिया में आपन बेईमानी के याद आवेला,
ना होए पुनर्जन्म अब तऽ बस अंतिम समइया के याद आवेला।।
गरमी के दिनवा में.
ना जाने कहां से मुझे ये मिला था.. ना जाने किसका लिखा हुआ है.. अगर आप में से किसी को पता हो तो बताना ना भूलें.. आज जब मैं अपने जी-मेल के ड्राफ्ट को देख रहा था तो वहीं मैंने इसे देखा.. मुझे लगा कि आप लोगों को भी ये पढ़ना चाहिये.. सो यहां पोस्ट कर रहा हूं..
इधर बारिश हो रही उधर आप आम ठेल रहे है.....जिसने भी लिखी है बड़ा फल प्रेमी है.....
ReplyDeleteअच्छी कविता है - नये पुराने का प्रॉपर घालमेल!
ReplyDeleteएक दर्द और चुभन लिए हुए अच्छी और सुंदर कविता.
ReplyDeleteआपको इतान कुछ एक साथ याद आ रहा है, मुझे तो सिर्फ याद आ रहा है मेरा नानी घर। पन्द्रह साल तक गर्मी की छुट्टियां हमने वहीं बितायी है।
ReplyDeleteजिसने भी लिखी है, बड़ा दिल लगा के लिखी है. आभार आपने इसे हम सबके साथ बांटा.
ReplyDeleteअच्छी कविता....इधर मुंबई तो आम ही आम हैं...
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