Saturday, May 24, 2008

ई है चेन्नई नगरिया तू देख बबुवा

"आप है चेन्नई के मरीना बीच पर.. ये है दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बीच.." आई पी एल के आज के मैच शुरू होने के पहले एक ख़ूबसूरत टीवी एंकर कुछ ऐसा ही अंग्रेजी में बोल रही थी.. मैं बस अपना ब्लौग लिखने जा ही रहा था किसी और विषय पर की तभी इस विषय ने मेरा ध्यान अपनी तरफ खींच लिया.. सोचा की इतने दिनों से चेन्नई में हूँ मगर चेन्नई के ऊपर एक भी ढंग का पोस्ट नहीं? ये तो चेन्नई के साथ मैं अन्याय कर रहा हूँ.. :)कोई बात नहीं अब आप मेरी नजर से लगातार चेन्नई को देखते रहेंगे.. मैं ये दावा नहीं करता हूँ की मैं जो भी लिखूंगा वो शत-प्रतिशत सच्चाई होगी, क्योंकि वो मेरी नजर से होगी और हो सकता है की जो मैं देख रहा हूँ वो गलत हो और सच्चाई कुछ और ही हो..

खैर अभी तो मैं ये बताता हूँ की टीवी पर ये चल रहा था और मैं और मेरे मित्र क्या कमेन्ट कर रहे थे..

पहला कमेन्ट : पहली बार लग रहा है की चेन्नई इतना खूबसूरत भी है..(उत्तर भारत से आने वाले युवक युवतियों को उत्तर भारत जैसा खुलापन यहाँ ना दिखने के कारण ऐसी बाते निकल रही थी..) :)

दूसरा कमेन्ट : देखने से तो ये भी तम्बी ही लग रही है.. फिर ऐसी कैसी(मतलब खूबसूरत कैसे)? (तम्बी का मतलब तमिल में छोटा भाई होता है, मगर हम होस्टल के समय से ही तम्बी मतलब सारे तमिलियाँ बना बैठे हैं)..

तीसरा कमेन्ट : मरीना बीच का गन्दा वाला हिस्सा नहीं दिखायेगा साला.. जो साफ सुथरा है बस वाही दिखा रहा है.. :) (मरीना बीच को चेन्नई का सबसे गन्दा बीच माना जाता है..)

तभी वो लड़की तमिल में समुद्र तट पर खडे कुछ मछुवारों से बात करने लगी.. मेरे मन में सबसे पहले आया की ये किस भाषा में बात करेगी? हिंदी और अंग्रेजी में बात करने के लिए क्या कुछ स्पेसल टाईप के मछुवारों को पाकर लायी है? मगर मेरा भ्रम जल्द ही टूटा और वे सभी तमिल में बाते करने लगे.. जब उसने पूछा की आपका सबसे मनपसंद खिलाडी कौन है तो जवाब मिला दोनी(धोनी को ऐसे ही उच्चारण कर रहे थे..)

अच्छा लगा ऐसा सुन कर की लोग क्रिकेट के लिए ही सही मगर सारे भारत से तमिलनाडु को अलग तो नहीं मान रहे हैं.. नहीं तो यहाँ के अधिकतर लोगों के लिए इसे भारत से अलग मानने का चलन सा हो चूका है..

परसों मैं थोडी जल्दी घर आ गया था.. शायद पिचले ५-६ महीने में पहली बार सूरज के डूबने से पहले.. और जैसे ही घर आया वैसे ही इस मौसम की पहली तेज बरसात शुरू हो गई.. उसकी तस्वीर आपके सामने है.. कुछ चित्र मेरे घर की खिड़की से लिया हुआ है और कुछ बालकनी से..




मेरा मानना है की चेन्नई में तीन मौसम होते हैं.. पहली गर्मी, दूसरी तेज गर्मी और तीसरी उससे भी ज्यादा गर्मी.. अभी हम तीसरे मौसम से गुजर रहें हैं सो ये बारिस बहुत अच्छी लग रही थी..

11 comments:

  1. अद्भुत शब्द चित्रण है.
    इंतज़ार रहेगा.

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  2. ज्यादा मत इतरयिये pd बाबु हमारे यहाँ भी बारिश पड़ रही है .....फोटो नही दिया तो क्या ....एसी पिछले ४ दिनों से बंद है.....

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  3. बताते व दिखलाते रहियेगा, हम देख रहे हैं। वैसे चेन्नई मुझे तो कोई विशेष सुन्दर नहीं लगा।आप कुछ सुन्दर फोटो दिखलाइयेगा।
    और हाँ मौसम, we used to say that we had the choice of being baked,roasted or boiled in south.
    घुघूती बासूती

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  4. हम तो कभी चेन्नई गये ही नहीं हैं। चलो फिलहाल आपके पोस्ट से मन बहला लेते हैं।

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  5. आप ने अपने बारे में नीचे जो कुछ लिखा है उसे हटा दें। क्यों कि न तो आप वैसे हैं, और न ही दुनियाँ ऐसा सोचती है। ऐसा सिर्फ वही लोग सोचते हैं जिन के लिए पैसा ही सब कुछ है।

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  6. पहली गर्मी, दूसरी तेज गर्मी और तीसरी उससे भी ज्यादा गर्मी

    haa haa

    चैन्नई दर्शन का आभार, बारिश के मजे लिजिये.

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  7. भड़ास के मॉडरेटर यशवंत ने जेल में काटी रात
    दोस्‍त की बेटी से बलात्‍कार की कोशिश

    अपने भीतर की बुराइयों को दिलेरी से सार्वजनिक करने वाले ब्‍लॉग भड़ास में इतनी हिम्‍मत नहीं थी कि वो इस ख़बर को अपने साथियों से बांटता। ऐसा तब भी नहीं हुआ था, जब यशवंत को उनकी कंपनी ने थोड़े दिनों पहले अपने यहां से धक्‍के देकर बाहर निकाल दिया था। जी हां, जागरण के बाद इंडिकस ने उन्‍हें अपने यहां से निकाल बाहर किया है - क्‍योंकि यशवंत की जोड़-तोड़ की आदत से वे परेशान हो चुके थे।

    ताज़ा ख़बर ये है कि नौकरी से निकाले जाने के बाद यशवंत नयी कंपनी बनाने में जुटे थे। उन्‍होंने भाकपा माले के एक साथी को इसके लिए अपने घर बुलाया। ग्रामीण कार्यकर्ता का भोला मन - अपनी बेटी के साथ वो दिल्‍ली आ गये। सोचा यशवंत का परिवार है - घर ही तो है। लेकिन यशवंत ने हर बार की तरह नौकरी खोने के बाद अपने परिवार को गांव भेज दिया था। ख़ैर, शाम को वे सज्‍जन वापसी का टिकट लेने रेलवे जंक्‍शन गये, इधर यशवंत ने उनकी बेटी से मज़ाक शुरू किया। मज़ाक धीरे-धीरे अश्‍लील हरक़तों की तरफ़ बढ़ने लगा। दोस्‍त की बेटी डर गयी। उसने यशवंत से गुज़ारिश की कि वे उसे छोड़ दें। लेकिन यशवंत पर जैसे सनक और वासना सवार थी।

    यशवंत ने दोस्‍त की बेटी के कपड़े फाड़ डाले और उससे बलात्‍कार की कोशिश की। लेकिन दोस्‍त की बहादुर बेटी यशवंत को धक्‍के देकर सड़क की ओर भागी और रास्‍ते के पीसीओ बूथ से भाकपा माले के दफ़्तर फोन करके मदद की गुहार लगायी। भाकपा माले से कविता कृष्‍णन पहुंची और उसे अपने साथ थाने ले गयी। थाने में मामला दर्ज हुआ और पुलिस ने यशवंत के घर पर छापा मारा।

    यशवंत घर से भागने की फिराक में थे, लेकिन धर लिये गये। ख़ैर पत्रकारिता की पहुंच और भड़ास के सामाजिक रूप से ग़ैरज़‍िम्‍मेदार और अपराधी प्रवृत्ति के उनके दोस्‍तों ने भाग-दौड़ करके उनके लिए ज़मानत का इंतज़ाम किया।

    अब फिर यशवंत आज़ाद हैं और किसी दूसरे शिकार की तलाश में घात लगाये बैठे हैं।

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  8. बढ़िया है, पर बीच-बीच में बीच का भी कोई फोटो चेंप देते तो और अच्छा होता.

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  9. thik kaha anurag sir ne itna mat itraiye hamare yhan bhi baris ho rahi hai :-)

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  10. बढ़िया है तम्बी!

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