अभी कुछ दिन पहले एक कामिक्स पढ़ रहा था "वेताल/फैंटम" का.. उसमे उसने एक ट्रक के पहिये को जैक लगा कर उठा दिया, वहाँ खड़े बहुत सारे जंगली लोगों ने एक नयी कहावत कि शुरुवात कर दी "वेताल में सौ आदमियों जितना बल है, उसने अकेले कई हाथियों जितना भारी मशीनी दानव को उठा लिया".. यह किस्सा बताने का तात्पर्य सिर्फ इतना है कि किवदंतियां अथवा दंतकथाओं में अतिशयोक्तियाँ शायद ऐसे ही अज्ञान कि वजह से आती है..
जब तक खुद तर्क कर कुछ समझने कि अवस्था में नहीं था तब तक मैंने भी राम को भगवान कि तरह ही पूजा है.. आज जब तर्क से सब समझने कि कोशिश करता हूँ तो उन्हें कुछ कमियों के साथ एक कथा का महानायक, महापुरुष मानता हूँ.. भगवान/अल्लाह जैसी किसी भी चीज पर आस्था ना होते हुए भी कहीं रामायण का जिक्र आता है तो रुक कर उसे सुनना चाहता हूँ.. किसी आदर्श कथा कि तरह.. रामायण से सम्बंधित जितने भी एनीमेशन बने हैं वह सभी देख रखी है मैंने, रामानंद सागर द्वारा बनाये गए रामायण को भी दो-तीन दफे सम्पूर्ण रूप से देखा हूँ.. रामायण महाकाव्य का हिंदी रूपांतरण भी पढ़ा हूँ.. और इतना कुछ देखने पढ़ने के बाद भी अगर कहीं किसी चैनल पर रामायण(अक्सर स्टार के किसी चैनल या कार्टून नेटवर्क पर) आता देखता हूँ तो वहीं ठहर जाता हूँ.. तुलसी कृत रामचरितमानस का हिंदी अनुवाद भी पढ़ा हूँ.. कुल मिला कर मेरे यह सब कहने का तात्पर्य सिर्फ इतना ही है कि मुझे यह कहानी अपनी और बेहद आकर्षित करता है.. मेरे मुताबिक यह भारत का या शायद विश्व का सबसे पुरातन साहित्य है, जो संभव है किसी राजा के गुणगान में लिखा गया हो अथवा कोरी कल्पना भी हो सकती है..
आप क्या कहते हैं?
यह तस्वीर मुझे गूगल पर सर्च करने पर मिला.. Indiatimes के साईट का पता दिख रहा है, मगर उसका लिंक गायब है.. खैर इस बढ़िया चित्र के लिए Indiatimes को धन्यवाद तो दे ही दूँ.. वैसे यह एक लेख का हिस्सा था जो अयोध्या मुद्दे पर लिखा था मगर समय पर पोस्ट ना कर सकने के कारण वह लेख अपना अर्थ खो बैठा.. सो उसके इस हिस्से को ही छाप रहा हूँ.. एक अलग तरीके से..
सही है.....इन कहानियो का कोई प्रमाण भी तो नहीं मिलता है जो इन्हें सच कहलवा सके....पर जो भी इनमें सच्चाई हो या ना हो..हमें positive चीजों को लेकर आगे बढ़ना चाहिये..और हर positive के पीछे कुछ ना कुछ negative तो जरुर रहता है..जैसा अयोध्या मामले में देखा जा रहा है....आखिर परछाई भी रौशनी के कारण ही बनती है..
ReplyDeleteइसमे कोई शक नही कि इस महाकाव्य की कहानी इतनी रोचक और आकर्षक है कि इस के आधार पर जाने कितने लोगों ने रामकथा लिखी है । कथाकारों ने अपनी रुचि के अनुसार परिवर्तन भी किये है । भवभूति के उत्तर रामचरित और दशरथ जातक की कहानी बिलकुल अलग है । तुलसी दास ने भी इसे एक उच्चतम निष्कर्ष तक पहुंचा कर समाप्त कर दिया है ।
ReplyDeleteये महाग्रंथ एक नायक के बारे मे सब कुछ बताता ह .. एक आदर्श पुरुष मे क्या क्या होना चाहिए .. बलिदान , त्याग , प्रेम , ... इस ग्रंथ का उदेश्य भी यही है ..
ReplyDeleteहालांकि हिंदू मायथोलॉजी में बहुत सी अविश्वसनीय बातें जरूर हैं ...और कई तो बिल्कुल गैरे जरूरी भी ...मगर इनके पीछे छुपा संदेश ,आदर्श यकीनन ही विश्वास करने योग्य ...बल्कि कहा जाए कि ..अनुकरणीय भी है ..। और अब तो ये प्रमाणित भी हो गया है कि कुछ तो था ही सच भी जैसे कि राम सेतु वाले प्रकरण में खुद नासा ने सबूत दिया था कि ..अब भी समुद्र के गर्भ में सेतु के अवशेष हैं । वैसे राम का अच्छा विश्लेषण है ।
ReplyDeleteयह कथा हजारं हजार वर्ष से हमारे मन में जिन्दा है जीवंत है
ReplyDeleteहम अपने सुख दुःख इअसके साथ जीते आये हैं
महान कथा है
ईश्वर में आस्था मेरी भी नहीं है, पर राम, रामायण और रामलीला हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग हैं ये मैं मानती हूँ. मुझे रामलीला बहुत पसंद है.
ReplyDeleteमैं भी तो नास्तिक ही हूँ....लेकिन कहते हैं ना , मानो तो भगवान् , ना मानो तो पत्थर....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर इस बार
एक और आईडिया....
मेरी बात बहुतों को अजीब लगती है पर मुझे हमेशा ऐसा लगा है कि वाल्मिकीजी को छोड़ और कोई भी रचनाकार रावण के साथ सही नजरिए से पेश नहीं आया है।
ReplyDeleteईश्वर पर प्रबल आस्था है, राम से मानवीय प्रेम।
ReplyDeletebhagwaan maano na maano character se to impress hona hi padega.
ReplyDeleteरामकथा है ही ऐसी कि कोई भी संवेदनशील आदमी उसे नजरअंदाज नहीं कर सकता।
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