एक चीयर गर्ल हमें भी चाहिये.. जब भी कोई डिफेक्ट फिक्स हुआ, तो वह नाचे.. हम सभी को चीयर करे.. हिंदी सिनेमा में अक्सर सुनता आया हूं, कि जिंदगी एक खेल के समान है.. और वैसे लोगों को यह भ्रम भी है कि आई.टी. में बहुत पैसा है.. अब जबकी यह खेल भी है और इसमें पैसा भी है तो चीयर गर्ल भी क्यों ना हो?
जरा सोचिये, एक तरफ डेवेलपर की फौज हो.. दूसरी तरफ टेस्टरों की.. रेफरी की भूमिका में प्रोजेक्ट मैनेजर हों.. कैप्टन की भूमिका में प्रोजेक्ट लीड.. बस मैच चालू..
टूर्नामेंट का नाम "मेंटेनेन्स प्रोजेक्ट".. दोनों ही टीम के पास अपनी-अपनी चीयर गर्ल्स हों, जो जब तब मौका मिलने पर लोगों को चीयर कर सके और अगर सही समय हो तो मोटिवेट भी कर सके.. वैसे भी मोटिवेशन का काम मैनेजर्स के बस की बात नहीं लगती है..
डेवेलपर के पास कुछ डिफेक्ट आये.. उसने फिक्स करना शुरू किया.. फिक्स करके उसे टेस्टर के पास भेज दिया और लगा इंतजार करने कि टेस्टर उसे पास करते हैं या फेल करते हैं? ये कुछ-कुछ वैसा ही है जैसे थर्ड अंपायर के निर्णय का इंतजार करना..
टेस्टर उसमें कोई भी खामी नहीं ढ़ूंढ़ पायी.. बेचारों को मजबूरी में उसे पास करनी पड़ी.. डेवेलपर की टीम में खुशी की लहर दौड़ गई.. ठीक वैसे ही जैसे कि रन आऊट होते-होते कोई बल्लेबाज को हरी बत्ती दिख जाये.. या फिर बौंड्री पर कैच होते-होते गेंद सिक्सर चली जाये.. यही तो समय है, चीयर गर्लस का.. वे नाच-नाच कर डेवेलपर को चीयर करने लगी..
अब सीन दो पर आते हैं.. डिफेक्ट फिक्स होकर टेस्टर के पास गया.. टेस्टर ने जी-जान लगा कर उसमें गलती ढ़ूंढ़ निकाली.. बस टेस्टिंग टीम में खुशी का महौल तैयार हो गया.. चीयर गर्लस भी हाथों में रंग-बिरंगे झालर लेकर नाचने लगी.. वहीं पीछे तेज आवाज में संगीत बजने लगा..
इस खेल की सबसे बड़ी खूबी यह होती है कि मैच हमेशा ड्रा ही होता है.. मैच(यानी प्रोजेक्ट) जैसे ही खत्म वैसे ही टेस्टर और डेवेलपर, दोनों ही बेंच पर.. और मैनेजमेंट उन्हें बाहर निकालने की जुगत में..
आहा.. क्या सुंदर नजारा होगा.. बस जरा सोचिये कि आपके कार्यस्थल पर आपके काम पूरा करने पर अचानक से नाचने लगे.. कितना मजेदार नजारा होगा ना? ;)
चीयर गर्ल लेने जाओ तो दो लेते आना , एक तुम्हें भी दे दूँगा :)
ReplyDeleteहमें नहीं लगता की चीयर गर्ल्स के ठुमके बीच आपका कौनो फाल्ट ठीक होगा....वैसे ई लिखे हैं न अब कौनो न कौनो महिला का डांट झेलना पड़ेगा..तैयार रहिये.....वैसे चीयर बॉय काहे नहीं मांगते हैं..आजकल यही चल रहा है....
ReplyDeleteचियर्स गर्ल का सुझाव अच्छा लगा . जब हर डेस्कटाप पर एक चियर्स गर्ल होगी और बेनामी टीप पढ़कर खूब नाचेगी हा हा हूँ हूँ करेगी .
ReplyDeleteचियर्स गर्ल का सुझाव अच्छा लगा . जब हर डेस्कटाप पर एक चियर्स गर्ल होगी और बेनामी टीप पढ़कर खूब नाचेगी हा हा हूँ हूँ करेगी .
ReplyDeleteworld cup em to boy bhi the is baar
ReplyDeletewah bhai wah!
ReplyDeleteअसली वाली चाहिए क्या? कम्प्यूटर वाली तो बहुत हैं और आप भी बना सकते हैं।
ReplyDeleteसमलैंगिकता का जमाना आ गया है। बदलेगा परिदृष्य!
ReplyDeleteलाओ लाओ.. वैसे सुना है कोलकता वाली फ्री है.. अपने शाहरुख तो फोन लगाओ.. हाँ दो कि बात करना विवेक को भी चाहिये.. बल्क डिस्काउंट मिलेगा..
ReplyDeleteभैया कुछ ज्यादा ही डिमांड बढ़ रही है तुम्हारी :)
ReplyDeleteआईडिया बुरा नहीं है :-)
ReplyDeleteविचार बड़ा नाचता हुआ है ; खुश कित्ता
ReplyDeleteजरुरी सूचनाये यहाँ उपलब्ध हैं ::---- " स्वाइन - फ्लू और समलैंगिकता [पुरूष] के बहाने से "
आपके लिए मेरे ब्लॉग मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति की नयी पोस्ट पर एक अवार्ड है. कृपया आप अपना अवार्ड लें और उसके बारे में जाने.
ReplyDeleteअच्छा सुझाव चियर्स गर्ल का ..........
ReplyDeleteहूं, कल्पना तो शानदार है।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
हे हे ! :)
ReplyDelete