अकसर लोग प्यार कर बैठते हैं किसी ऐसी लड़की से जो छोटे से शहर से निकल कर, बड़े शहर की चका-चौंध में कहीं खो सी जाती है.. मैं भी उन चंद लोगों में से हूं.. जमाने के साथ चलने का शौक था उसे, मगर ना जाने किससे डरती थी.. मेरा साथ पाकर वो डर जाता रहा और जमाने के साथ कदम ताल करते हुये ना जाने किधर निकल गई..
नजरें आज भी खोजती है, हर रिक्से पर.. शायद वो दिख जाये कहीं.. सिमटी हुई, सकुचाती हुई, छुई-मुई सी, सिकुड़कर बैठी हुई.. इस डर से कहीं कोई देख ना ले कि वो किसी से मिलने आ रही है.. शायद मुझसे? भ्रम भी अजीब होते हैं.. है ना?
बिहारी, भिखारी और पटियाला दी नारी- आप उत्तर भारत के किस हिस्से से हैं?- यूं तो मैं पंजाब, पटियाला से हूं मगर पिछले 25 सालों से पापा दिल्ली में बस गये थे..- तो फिर चेन्नई में कहां से आ…Read More
बदलते चेहरेकल रात ऑफिस से निकलकर चल परा मैं माम्बलम रेलवे स्टेशन की तरफ.. ऑफिस से लगभग 1 किलोमीटर या उससे कुछ ज्यादा दूरी रही होगी.. एक ओवरब्रिज, उसके बगल में कु…Read More
चेन्नई समुद्र तट पर सूर्योदयरात में घर जाते जाते प्रियंका याद दिलाना नहीं भुली कि सुबह 3.30 का अलार्म लगा कर मुझे जगा देना.. उसके जाने के बाद विकास सोच में डूबा हुआ था कि कल का द…Read More
हम भाग जायेंगे यहां से"हम भाग जायेंगे यहां से.." खिजते हुये प्रियंका ने कहा.."हां! तुम तो बैंगलोर भाग ही रही हो..""नहीं! मन नहीं लग रहा है.. हम अभी भाग जायेंगे..""अच्छा रहे…Read More
वडनेकर जी, आपका नंबर क्या है?कल रात अचानक से अजित वडनेकर जी की एक चिट्ठी अपने ईनबॉक्स में आया हुआ देखा.. शीर्षक कुछ "दुखद समाचार" करके था.. पढ़कर दिल घबराया, कि अचानक से क्या हो गय…Read More
क्या बात है.. प्रशांत भाई.. बहुत बढ़िया.. चित्र भी बढ़िया है..
ReplyDeleteभ्रम अजीब के साथ खतरनाक भी होते हैं। वे असलियत से दूर रखते हैं।
ReplyDeleteअब मिलेगी भी तो बदली हुई मिलेगी यार .....
ReplyDeletetalash jari rakhiye...
ReplyDeletewah je tareef ka haq n chheenanaa
ReplyDeleteसही है..कवि बन ही बैठे. बढ़िया लगा.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर है।
ReplyDeleteनजरें आज भी खोजती है,
हर रिक्से पर..
शायद वो दिख जाये कहीं..
सिमटी हुई,
सकुचाती हुई,
छुई-मुई सी,
सिकुड़कर बैठी हुई..