अकसर लोग प्यार कर बैठते हैं किसी ऐसी लड़की से जो छोटे से शहर से निकल कर, बड़े शहर की चका-चौंध में कहीं खो सी जाती है.. मैं भी उन चंद लोगों में से हूं.. जमाने के साथ चलने का शौक था उसे, मगर ना जाने किससे डरती थी.. मेरा साथ पाकर वो डर जाता रहा और जमाने के साथ कदम ताल करते हुये ना जाने किधर निकल गई..
नजरें आज भी खोजती है, हर रिक्से पर.. शायद वो दिख जाये कहीं.. सिमटी हुई, सकुचाती हुई, छुई-मुई सी, सिकुड़कर बैठी हुई.. इस डर से कहीं कोई देख ना ले कि वो किसी से मिलने आ रही है.. शायद मुझसे? भ्रम भी अजीब होते हैं.. है ना?
Bomb Blast in Bangaloreअभी फिलहाल इतना ही पता है कि एक व्यक्ति की मौत हो गई है और कई घायल हैं.. 30 मिनट पहले ये सारे ब्लास्ट हुये हैं.. कोरोमंडला, मडिवाला, नयनहल्ली, अशोक नग…Read More
प्रतिशोध की ज्वालाहर पीढी का अपना एक नायक होता है.. जैसे मुझसे 10-15 साल पहले वाली पीढी के लोगों के लिये वेताल और मैंड्रेक नायक हुआ करते थे.. उस समय भारत में इंद्रजाल क…Read More
बचपन के वे जादुई दिनबचपन!! हर दिन कुछ जादू जैसा होता था.. पेड़ पर पके हुये अमरूद देखो तो लगता था जैसे जादू है.. किसी के पास गुलेल देखो तो जादू.. भड़ी दोपहरी में दिन भर धूप …Read More
क्या बात है.. प्रशांत भाई.. बहुत बढ़िया.. चित्र भी बढ़िया है..
ReplyDeleteभ्रम अजीब के साथ खतरनाक भी होते हैं। वे असलियत से दूर रखते हैं।
ReplyDeleteअब मिलेगी भी तो बदली हुई मिलेगी यार .....
ReplyDeletetalash jari rakhiye...
ReplyDeletewah je tareef ka haq n chheenanaa
ReplyDeleteसही है..कवि बन ही बैठे. बढ़िया लगा.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर है।
ReplyDeleteनजरें आज भी खोजती है,
हर रिक्से पर..
शायद वो दिख जाये कहीं..
सिमटी हुई,
सकुचाती हुई,
छुई-मुई सी,
सिकुड़कर बैठी हुई..