Sunday, July 18, 2010

एक कलयुगी जातक कथा

इधर-उधर कि बात किये बिना मैं सीधे प्वाइंट पर मतलब कहानी पर आता हूँ..

एक धोबी के पास एक गधा और दो कुत्ते थे.. गधा गधामजूरी करता था और दोनों कुत्ते घर कि रखवाली.. गधा कपडे धोकर धोबी घाट ले जाता था, एक कुत्ता दिन में पहरेदारी करता और दूसरा कुत्ता रात में.. ये सालों से चला आ रहा था.. वे तीनो एज अ ट्रेनी ज्वाइन किये थे और कई सालों तक काम करके अब तक सीनियर हो चुके थे.. धोबी का एक्सपेक्टेशन भी बढता ही जा रहा था और उन तीनो जानवरों का भी..
अब कहानी भले ही कलयुग कि है मगर है तो जातक कथा ही.. सो जानवर भी इंसानों की तरह बात कर सकते हों, यह मान कर ही चलना चाहिए..

एक बार ऐसी नौबत आई की एक कुत्ता एक ही तरह के काम कर कर के परेशान हो गया और धोबी के पास गया.. बोला, "मालिक, रोज रात भर मुझे जग कर काम करना पड़ता है.. मुझे रात-रात भर काम करने से परेशानी नहीं है, मगर मैं एक ही तरह का काम करके बोर हो गया हूँ.. मुझे कुछ नए रेस्पोंसबिलिटी चाहिए.."

धोबी ने बोला, "ठीक है, इसके लिए प्लान तैयार करना होगा.. इसके लिए एक मीटिंग का अजेंडा तैयार करके मीटिंग के लिए कांफेरेंस रूम, अरे वही गधे का तबेला, बुक कर लो.. Invitee में मुझे 'एज अ चेयरपर्सन' और अपने दोनों साथियों को CC में डाल देना.."

फिर ठीक समय पर मीटिंग हुआ.. जहाँ सिर्फ धोबी बोला, दोनों कुत्ते बकरी की तरह मिमिया कर रह गए.. गधा तो खैर पहले से ही गधा था, बेचारा क्या बोलता.. धोबी लॉन्ग टर्म की बात सोचा.. सोचा कि आज इतने दिन इस एक कुत्ते को प्रॉब्लम आ गई है तो कल को गधे और दूसरे कुत्ते को भी प्रॉब्लम आ जायेगी.. सो सारे प्रॉब्लम एक साथ ही निबटा लो.. और उसने नया रोल तीनो को Assign कर दिया.. गधा चूंकि तीनो में सबसे अधिक मेहनती था, सो दिन-रात कि पहरेदारी उसे दे दी गई..दोनों कुत्तों को धोबीघाट तक कपडे ढोने का काम दे दिया गया जिससे पहले से अधिक कपडे ढोया जा सके..

पहले दिन दोनों कुत्ते कम कपडे ढो सके, और गधा के पहरे पर रहते हुए भी धोबी के घर में चोरी हो गई.. धोबी सोचा कि शायद पहला दिन है इसलिए ऐसा हो गया.. आगे से सब ठीक हो जायेगा.. एक-एक दिन करके एक हफ्ते गुजर गए.. कुछ सुधार तो नहीं आया, अलबत्ता दोनों कुत्तों के कमर में दर्द रहने लगा और गधा चुपचाप अकेला बैठा-बैठा डिप्रेशन में आ गया.. धोबी ने सोचा कि कुछ Motivate किया जाए इन्हें, सो उसने एक और मीटिंग बुलाया और बोला :
"आप सभी के पास नए Opportunity आये हैं.. आपको चाहिए कि उसे हाथो-हाथ लें.. कुछ नया सीखें.. कम ही Employee को इतने कम Experience में इस तरह के Opportunity मिलते हैं.. वी आर नॉट वर्किंग फॉर मनी.. वी आर वर्किंग फॉर अ न्यू चैलेन्ज.."

और इस दफे दोनों कुत्ते मिमियाए भी नहीं.. तीनो सोच रहे थे कि कैसे जॉब स्विच मारा जाए..

सबक - अब इससे किसे क्या सबक मिलता है ये मैं पाठक गण पर ही छोड़ता हूँ.. फिलहाल के लिए अलविदा..

14 comments:

  1. सब अपने अपने हिसाब से सबक लेकर मिमियाते हुए सुबह आफिस चले जायेंगे. :)

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  2. Kutte ho to gadho wale kam mat Karo or gadhe ho to gadho wale kam karo. Faltu bor hone ka naatak mat karo...:)

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  3. वर्तमान को गदहों और कुत्तों के माध्यम से व्यक्त किया। सच है पूर्णतया, यही होता है।

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  4. मोरल ऑफ़ द स्टोरी : जिसका काम उसी को साझे :)

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  6. वाह वाह ! सुबह-सुबह तुम्हारी ये जातक कथा पढ़कर मज़ा आ गया... मारल ऑफ द स्टोरी भी लिख दिए होते तो और मज़ा आता... हमारी बुद्धि में ये सब जल्दी नहीं घुसता... वहाँ बहुत सी किताबें पड़ी हैं ना तो जगह ही नहीं है...:-)
    वैसे स्टाइल बहुत अच्छा है लिखने का... :-)

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  7. हम तो बस इतना ही कहेंगे - हिन् हिन् हिन् हिन् हिन्
    काश, मेरे मेनेजर को हिंदी आता, इसका प्रिंट लेकर उसके डेस्क पर साट देते.

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  8. अरे हाँ, धासू पोस्ट मेरे घोड़े.

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  9. Sahi hi dost. Ekdam sahi mara !!!

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  10. जातक कथा पढकर अच्छा लगा!
    --
    आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है-
    http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/07/7.html

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  11. जातक कथा पढकर अच्छा लगा!
    --
    आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है-
    http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/07/7.html

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  12. :)

    Ye Dard aur story to IT sector wale hi achchhi tarah samajh sakte hain :)

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  13. हा हा हा
    मजेदार
    पर कथा-शिक्षा भी बता ही दिए होते तो और मजा आता. हम काहे दिमाग पर जोर डालें.
    ही ही ही

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