Sunday, May 23, 2010

हिंदी ब्लॉगिन्ग को लेकर मेरी समझ


मैं पहले ब्लौगिंग की प्रकृति को समझना जरूरी समझता हूँ फिर हिंदी ब्लॉगिंग की बात करूंगा.. ब्लॉग लिखने वाले सभी व्यक्ति जानते होंगे कि ब्लॉग शब्द "वेब लॉग" को जोड़कर बनाया गया है, और इसमें आप जो चाहे वह लिख सकते हैं.. मैंने सर्वप्रथम किसी ब्लॉग को पढ़ना शुरू किया था सन् 2002 में, और वह एक टेक्निकल ब्लॉग था.. उस समय भी और अभी भी मैंने यही पाया है कि टेक्निकल और करेंट अफेयर से संबंधित जितने भी ब्लॉग हैं उसे अन्य विषयों के मुकाबले अधिक लोग पढ़ते हैं.. अगर अंग्रेजी ब्लॉग की बात करें तो इन दो विषयों से संबंधित ब्लौग के मालिक कमाई भी अच्छी करते हैं..

अनावश्यक बहस और व्यक्तिगत आक्षेप मैंने तकरीबन हर भाषा के ब्लॉग पर देखा है.. मेरे कुछ मित्र जो मलयालम, तमिल एवं कन्नड़ भाषा में ब्लॉग लिखते हैं उनसे अक्सर ब्लॉग पर चर्चा होती है, और मैंने पाया है कि वे सभी इस तरह के अनावश्यक विवाद से चिढ़े हुये हैं, जैसा कि हिंदी ब्लॉगों में भी अक्सर देखा गया है..

मुझे याद आता है शुरूवाती दिनों में जब सौ-दो सौ ब्लॉग हुआ करते थे तब अधिकांश प्रतिशत, ब्लॉग लिखने वाले, पत्रकारिता से ही आते थे, और धीरे-धीरे लोग समझने लगे कि ब्लॉग भी एक प्रकार की कुछ छोटे स्तर की पत्रकारिता ही है.. यहां एक बहुत बड़ा अंतर स्पष्ट देखा जा सकता है अन्य भाषा, खासतौर से अंग्रेजी, के ब्लौग और हिंदी ब्लौगों में.. जहां अंग्रेजी भाषा में लोग तकनीक और सामान्यज्ञान से संबंधित ब्लौग को ही असली ब्लॉग धारा माने बैठे हैं वहीं हिंदी में लोग इसे पत्रकारिता से जोड़कर देख रहे हैं..

मेरी समझ में बस यहीं यह समझ में आ जाना चाहिये कि ब्लॉग क्या है? आप जिस विषय पर ब्लॉग को खींचकर ले जाना चाहेंगे या फिर यूं कहें कि जिस विषय पर अधिक ब्लॉग लिखे जायेंगे, पढ़ने वाले उसे ही सही ब्लॉगिंग की दिशा समझने लगेंगे.. मतलब साफ है कि ब्लॉग किसी खास विषय से बंधा हुआ नहीं है..

दो-तीन बातें हिंदी ब्लॉगिंग में ऐसी है जिसे लेकर अक्सर बहस छिड़ती है, बवाल उठता है.. जिसमें हिन्दू मुस्लिम सौहार्द्य, हिंदी ब्लॉगिंग को किसी मठ का रूप देकर इसे नियम कानून में बांटना.. तीसरी बात व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप लगाना.. कई बार लोग यहां अच्छी विषय वस्तु के उपलब्ध नहीं होने पर शिकायतें भी करते हैं..

हिन्दू मुस्लिम या फिर किसी भी धर्म को लेकर लड़ते लोग मेरी समझ में इस दुनिया में बैठे सबसे बेकार बैठे लोग हैं और जिनके पास कोई काम नहीं होता है वे इसमें अपना और दूसरों का समय बर्बाद करते रहते हैं.. सो बेकार कि बातों को लेकर मेरे पास समय नहीं है.. :) जहाँ तक बात लोग कोई एक नियम क़ानून लागू करने को लेकर करते हैं तो मेरा मानना है कि वे ऐसे लोग हैं जिन्हें इंटरनेट का कोई ज्ञान नहीं है, तभी वो ऐसी बात सोच भी सकते हैं.. यह एक ऐसी दुनिया है जहाँ कोई भी नियम लागू नहीं किया जा सकता है.. हर चीज का तोड़ है यहाँ.. एक उदहारण चीन और गूगल के बीच हुई लड़ाई है.. जहाँ गूगल ने अपना व्यापर समेत लिया मगर चीन में अभी भी गूगल पर काम किया जा सकता है.. वो सारे रिजल्ट हांगकांग से डायवर्ट कर रहे हैं(सनद रहे, यह लेख महीने भर पहले का लिखा हुआ है, अभी के हालात मुझे पता नहीं).. व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप लगाने वाले लोग जो खुद को समझदार मानते हैं, बस वही बता जाता है कि कितनी समझ है उनमे.. सामाजिक बहस करने कि सीमा में कोई एक व्यक्ति नहीं आता है.. सबसे आखिरी, मगर मेरी समझ में सबसे महत्वपूर्ण बात, अच्छी सामग्री को लेकर चलने वाली बहस.. जिस दिन हिंदी ब्लॉगिंग से पैसे आने शुरू होंगे उस दिन से मुझे पूरा भरोसा हो जायेगा हिंदी में अच्छी सामग्री को लेकर.. क्योंकि अभी गिने चुने ब्लॉग ही हैं जहाँ विषय आधारित लेख लिखे जा रहे हैं.. और विषय आधारित ब्लॉग ही हिंदी ब्लोगिंग कि दिशा और कमाई यह तय करेगा यहाँ, यह मेरा विश्वास है..

मैं कभी भी हिंदी ब्लॉग पर साहित्य कि उम्मीद में नहीं आता हूँ.. ठीक ऐसा ही अंग्रेजी ब्लॉगों के साथ भी लागू होता है.. जो लोग ब्लॉग को साहित्य समझ कर इधर झांकते हैं मेरा उनसे यह कहना है कि पहले वे ब्लॉग और इन्टरनेट को लेकर अपनी समझ विकसित करें.. यहाँ हर विषय पर लेख लिखे जाते हैं.. हाँ मगर यह तय है कि अधिकांश कविता कहानी विषयों पर ब्लॉग लिखने वाले इसका अधिक से अधिक लाभ उठा कर अपनी रचना लोगों तक पहुंचा रहे हैं.. कई अच्छा भी लिख रहे हैं..

फिलहाल तो मैं ब्लॉग के भविष्य को लेकर बेहद आशान्वित हूँ..

यह लेख मैंने विनीत के कहने पर लिखा था, उन्हें कुछ लेखों कि जरूरत थी.. आज मैं बस कापी-पेस्ट से काम चला रहा हूँ.. :)

26 comments:

  1. बहुत अच्छा लिखे हो, विश्वाश नहीं हो रहा की यह PD है.

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  2. इसे कहते है... बुद्धत्व.. जय हो..

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  3. सही बात है समझ विकसित करने की तो यूं भी कोई समय सीमा नहीं होती... जब चाहो, विकसित कर लो ... बशर्ते इसकी ज़रूरत तो महसूस करे कोई पहले :)

    हिन्दी ब्लागजगत में एक चीज़ तो तय है कि "समाआलोचना" और "बुराई करना" में हमें कोई अंतर करने की ज़रूरत नहीं है. सब अपने को लाठी लिए तैयार खड़े तीसमारखां समझते हैं. बस कुछ ही स्वर हैं जो इस नासमझी पर दुखी दिखते हैं...बाक़ी खुश हैं शेखियां बघारते और एक दूसरे की शान में क़सीदे पढ़ते.

    और हां, कापी पर उकेरा चित्र भी लेख सा ही सुंदर है :)

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  4. आप की ही तरह हम भी आशान्वित है !

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  5. हिन्दू मुस्लिम या फिर किसी भी धर्म को लेकर लड़ते लोग मेरी समझ में इस दुनिया में बैठे सबसे बेकार बैठे लोग हैं और जिनके पास कोई काम नहीं होता है वे इसमें अपना और दूसरों का समय बर्बाद करते रहते हैं..
    मैं इस से सहमत हूँ।
    विषय आधारित ब्लागीरी ही सार्थक है।

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  6. अच्छा लिखे हैं. सारी मोटी-मोटी बातें आ गयी हैं.

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  7. बहुत अच्छा लेख पढ़ने को मिला.
    ...आभार.

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  8. very nice post ...i have the same feelings ..i second you :)

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  9. "जिस दिन हिंदी ब्लॉगिंग से पैसे आने शुरू होंगे उस दिन से मुझे पूरा भरोसा हो जायेगा हिंदी में अच्छी सामग्री को लेकर.. क्योंकि अभी गिने चुने ब्लॉग ही हैं जहाँ विषय आधारित लेख लिखे जा रहे हैं.. और विषय आधारित ब्लॉग ही हिंदी ब्लोगिंग कि दिशा और कमाई यह तय करेगा यहाँ, यह मेरा विश्वास है.."

    बिल्कुल यही विश्वास हमारा भी है।

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  10. आप लोग मेरी वजह से ब्लागर मीट में आने का कार्यक्रम न छोड़े. वह तो अविनाश वाचस्पति साहब ने ही अपनी पोस्ट में लिखा था कि जलजला मौजूद रहेगा इसलिए मैं दिल्ली पहुंच गया था. अब लौट रहा हूं. आप सभी लोग लाल-पीली-नीली जिस तरह की टीशर्ट संदूक से मिले वह पहनकर कार्यक्रम में पहुंच सकते हैं.
    यह दुनिया बड़ी विचित्र है..... पहले तो कहते हैं कि सामने आओ... सामने आओ, और फिर जब कोई सामने आने के लिए तैयार हो जाता है तो कहते हैं हम नहीं आएंगे. जरा दिल से सोचिएगा कि मैंने अब तक किसी को क्या नुकसान पहुंचाया है. किसकी भैंस खोल दी है। आप लोग न अच्छा मजाक सह सकते हैं और न ही आप लोगों को सच अच्छा लगता है.जलजला ने अपनी किसी भी टिप्पणी में किसी की अवमानना करने का प्रयास कभी नहीं किया. मैं तो आप सब लोगों को जानता हूं लेकिन मुझे जाने बगैर आप लोगों ने मुझे फिरकापरस्त, पिलपिला, पानी का जला, बुलबुला और भी न जाने कितनी विचित्र किस्म की गालियां दी है. क्या मेरा अपराध सिर्फ यही है कि मैंने ज्ञानचंद विवाद से आप लोगों का ध्यान हटाने का प्रयास किया। क्या मेरा अपराध यही है कि मैंने सम्मान देने की बात कही. क्या मेरा यह प्रयास लोगों के दिलों में नफरत का बीज बोने का प्रयास है. क्या इतने कमजोर है आप लोग कि आप लोगों का मन भारी हो जाएगा. जलजला भी इसी देश का नागरिक है और बीमार तो कतई नहीं है कि उसे रांची भेजने की जरूरत पड़े. आप लोगों की एक बार फिर से शुभकामनाएं. मेरा यकीन मानिए मैं सम्मेलन को हर हाल में सफल होते हुए ही देखना चाहता हूं. आप सब यदि मुझे सम्मेलन में सबसे अंत में श्रद्धाजंलि देते हुए याद करेंगे तो मैं आपका आभारी रहूंगा. मैं लाल टीशर्ट पहनकर आया था और अपनी काली कार से वापस जा रहा हूं. मेरा लैपटाप मेरा साथ दे रहा है.

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  11. आपके सुर में एक सुर मेरा भी । अच्छा लिखें, अच्छी टिप्पणी दें ।

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  12. बिलकुल सही बात है सर......हिंदी ब्लॉग को लेके समझ तभी बन पायेगी जिस दिन पैसे आने शुरू होंगे......

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  13. अरे भाई मस्त लिखा है :) मजा आया पढ़ के...


    अपनी एक कहानी सुनाता हूँ...
    मैं भी 2002 में ही पहली बार ब्लॉग्गिंग से जुड़ा था..असल में उस वक्त पटना में हिंदुस्तान टाइम्ज़ पेपर में एक आर्टिकल पढ़ा था ब्लॉग्गिंग के बारे में..फिर दूसरे दिन ही साइबर कैफे जाके रेडिफ वेबसाइट पे एक ब्लॉग बनाया...कुछ लिखा लेकिन फिर बाद में मुझे कुछ समझ में नहीं आया तो रहने दिया...2007 में फिर से ब्लॉग बनाया मैंने,जो अभी मेरा ब्लॉग है वही....लेकिन ज्यादा पोस्ट इंग्लिश में था और उस समय कुछ ऐसे भी पोस्ट थे जो मैंने बाद में डिलीट कर दिया कुछ कारणों से...
    अभी पिछले 7 महीनो से ब्लॉग में एक्टिव हूँ.... ;)

    और ये आई लव ब्लॉग्गिंग तो मेरे ऑरकुट एल्बम में था....तुमने कहीं वहीँ से तो नहीं चुराया.....चोर :D :P

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  14. प्रशांत,
    आपकी इस पोस्ट को चिट्ठाचर्चा में नक़ल-चेंपी किया है. कृपया देखें-
    http://chitthacharcha.blogspot.com/2010/05/blog-post_23.html

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  15. विनीत ने पैसे दिये कि नहीं :)

    जीवन में क्या हर चीज को परिभाषित किया जा सकता है .
    तकनीक ने एक मुक्तांगन दिया है दुनिया को . क्या यह परिभाषा है !

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  16. अच्छा लिखा है, बाकी हमने देखा है कि जैसे जैसे बंदा पुराना होता जाता है फालतू लिखने से खुद ही उब होने लगती है।

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  17. अरे पीडी, जे तुमने लिखा भाया?
    गजब यार, एकदम्मै सच्ची बात है।
    सहमत हूं, असहमत होने लायक कुछ लिखा ही नहीं दिख रहा है।

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  18. बहुत ही सही विश्लेषण.
    लगा मैं अपना लिखा लेख पढ़ रहा हूँ.
    बधाई स्वीकार करें.

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  19. सही विचार-अच्छा आलेख.

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  20. aap ke blog men blog pr aek risrch he krpya mera hindi blog dekhen akhtarkhanakela.blogspot.com

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  21. बिलकुल सही कहा है आप ने की "हिन्दू मुस्लिम या फिर किसी भी धर्म को लेकर लड़ते लोग मेरी समझ में इस दुनिया में बैठे सबसे बेकार बैठे लोग हैं और जिनके पास कोई काम नहीं होता है वे इसमें अपना और दूसरों का समय बर्बाद करते रहते हैं.." हमें तो ये समझ में नहीं आता है की ये लोग कईसे हिन्दुस्तानी है जो अपनी उर्जा को इस फालतू कामो में बेवजह लुटा रहे है |
    आज के ये नौजवान लोग पढ़े लिखे है इन में समझ है ,तो इनको कुछ ईसा करना चाहिए जिससे इस देश और देश के लोगो का भाला हो ,न की उन में देवेश फईले |

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  22. .
    एक एक अच्छर तौल के लिखे हैं,
    सहमत न होयेंगे त जायेंगे कहाँ...

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  23. वाकई
    बेहद महत्व पूर्ण पोस्ट है बधाईयां
    http://prashant7aug.blogspot.com/2010/05/blog-post_23.html

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  24. bhaai aap to kmaal likht ho aap se to aakr milaa hi pdhegaa. akhtar khan akela kota rajsthan

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  25. बड़ी बढ़िया समझ है ब्लॉगिंग के बारे में। पत्रकारिता वाले लोग बाद में आये ब्लॉगिंग में। पहले तकनीकी हल्के के लोग आये जिनको हिन्दी लिखने में मजा आता था।

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  26. अच्छा लिखे हो भाई। जिन चीज़ों को लोग सिर्फ ब्लागिंग से जोड़कर देख रहे हैं उसमें से अधिकांश पत्र-पत्रिकाओं में भी होता रहा है। कई लघुपत्रिकाएं व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं और व्यक्तिगत हिसाब-क़िताब पूरे करती रहीं हैं। कई छोटे अखबार ब्लैक-मेलिंग से काम चलाते आए हैं। अगर आदमी ग़लत है तो अख़बार में भी ग़लत करेगा और ब्लागिंग में भी। इसमें माध्यम का क्या दोष ? हांलांकि ब्लागिंग में सेंसरशिप न के बराबर है फिर भी इसमें व्यक्तिगत टांग-खिंचाई और आक्रामक-सांप्रदायिक धर्म-प्रचार के अलावा और कोई बड़ा दोष देखने में नहीं आया।

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