गँजेरी डरता है तूफ़ान से
तब
जब बची हो
सिर्फ एक तीली
और चलती हो
दिलों में आंधियां
दो-
धुवें में
बनती है शक्लें भी
बिगड़ती हैं शक्लें भी
यह कोई जेट प्लेन का धुवाँ नहीं
जो सीधी लकीर पे चले
तीन-
सिगरेट पीने वाले को गालियाँ
सिर्फ वही दे
जिसने नहीं पीया है
प्रदुषण का धुवाँ
चार-
सुना कि सिगरेट धीमा जहर है
धीरे-धीरे मारती है
जिंदगी और भी धीमा जहर है
यह बहुत दूर घेर के मारती है
पांच-
समाज के छुवाछूत को
इसी ने किया होगा
छिन्न-भिन्न सर्वप्रथम
जब एक सिगरेट को
दस लोगों ने बांटा होगा
साथ-साथ
छः-
पटना के गंजेरियों से
अलग नहीं है
दिल्ली का गंजेरी
छल्ले हर जगह एक से ही उड़ते हैं
सात-
जिन्हें नहीं चढ़ता है
नशा शराब से
वह पीता है धुवाँ भी
आखिर सब कुछ नशा ही तो नहीं होता
आठ-
लोग पूछते हैं
चाय के साथ
क्यों पीया जाता है सिगरेट
कोई अलग सुकून के लिए क्या
हम पूछते हैं
सुकून के लिए भी कोई
मुंह कड़वा करता है भला
नौ-
रात के तीन बजे
उठता है कोई
जलता है सिगरेट कोई
उठता है धुवाँ कहीं
दस-
सिगरेट जलाने वाले
जलते हैं खुद भी कहीं
एक आग सी लगती है कहीं
एक धुवाँ सा उठता है कहीं
यह पोस्ट "एक शराबी कि सूक्तियां" कि नक़ल भर है.. असली लुत्फ़ उठाना हो तो उधर जाए.. कसम धुवें और शराब कि, मजा आ जाएगा.. ;-) नजरें इधर भी इनायत करें.. :)
क्या कमाल की सूक्तियां लिखते हैं आप पीडी साब.. माफ़ी चाहूँगा बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आया आपके. अब नहीं भूलूंगा, ब्लोगरोल में डाल लेता हूँ.
ReplyDeletebhai lage haathon hamara bhi link de dete to kya bura tha... aakhir pol toh tumne wahin kholi... star bloggar ho kuch hamara bhi vigyapan ho jata :)
ReplyDeleteyeh to mazak tha.. bahut bahiya likha hai.. kahe ki daru, beedi yeh sab ke ham shuru se shaukeen rahe hain :)
bahut khub likhte hain aap...
ReplyDeleteyun hi likhte rahein..
regards
http://i555.blogspot.com/
mere blog ki taraf bhi jaroor rukh karein....
ReplyDelete@ सागर - स्टार ब्लोगर कि भूमिका निभाते हुए मैंने छोटे ब्लोगर(तुम्हारी) बात मान ली.. :P ही ही ही.. :)
ReplyDeleteमजाक से इतर, भूल तो थी ही क्योंकि आज उस ब्लॉग पर तुम्हारे ही ब्लॉग से आज गया था.. तुम्हारा पता देना सच में भूल गए थे.. :(
मस्त सुक्तियाँ.
ReplyDeleteसुट्टे की सूक्ति ने तो ऐसी मस्ती वाली बात बतलाई की अब सोच रहे हैं एक आध सुट्टा हम भी मार ही लें....कहीं पछतावा न रह जाए
ReplyDeletejay ho.. bahut mud mein ho.. lagtaa he..
ReplyDeletenice
ReplyDeleteकोशिश तो हमने भी की थी
ReplyDeleteउसे नजदीक लाने की
कमबख्त हम ही
उसे पसंद न आए।
सिगरेट और धुँएं पर इतनी गहराई से आत्मचिन्तन लगता है कि कुछ चल रहा है तुम्हारे अंदर, जो तुम धुँएं में उडा रहे हो।
ReplyDeleteप्रशांत.... बहत सुंदर लिखा भाई....
ReplyDeleteभई मै तो सागर से ही इनप्र पहुचा था और कसम से सब एक से एक मारू :) तो सागर का भी शुक्रिया और तुम्हारा तो है ही.. :D
ReplyDeleteहा हा हा हा । धाँसू ।
ReplyDeleteमस्त :)
ReplyDeleteनकल भी अकल लगा के मारी है...
एक जगह अफीमची की जगह गंजेरी नहीं होना चाहिए? अफीमची भी धुँआ उड़ाता है क्या?
रवि जी के याद दिलाने पर सही कर लिया गया है. धन्यवाद रवि जी को. :)
ReplyDeletefir se padhne aaya.. kya likha hai jabardast.. :)
ReplyDeleteजय हो १००८ श्री श्री बाबा श्री गंजेरी जी महाराज की ...जय हो...जय हो....
ReplyDeleteसुक्तियाँ तो मजे दार है जी इन गंजेरियो की. धन्यवाद
ReplyDeleteshandar, bhale hi nakal me banai lekin mast hai.
ReplyDeleteaur han ek sharabi ki suktiyan to ultimate hai no doubt. kai bar apne dost ko padhwa chuka hu use
बढिया हैं. घर परिवार की बातें करते करते गांजे-भांग पर पहुंच गए ... खैरियत तो है?
ReplyDeleteबीड़ी जलई ले ...........
ReplyDeleteजिगर मा बड़ी आग है
ये गंजेरी ऋषि कहां मिले!
ReplyDeletebahut sahi. :)
ReplyDeleteबिंदास! तीसरी बार जब पढ़ा तो सोचा लिख ही दें ताकि सनद रहे।
ReplyDeleteसही!
ReplyDeleteघुघूती बासूती
एक शराबी की सूक्तियां कई बार पढ़ चूका हूँ, गज़ब है पर जनाब आपने भी क्या धुंआ निकाला है...सुंदर पंक्तियों के लिए साधुवाद.
ReplyDeleteशुक्रिया.
Deleteएक शराबी की सूक्तियां कई बार पढ़ चूका हूँ, गज़ब है पर जनाब आपने भी क्या धुंआ निकाला है...सुंदर पंक्तियों के लिए साधुवाद.
ReplyDeleteबेहतरीन , मगर आप दस का दम ले कर रुक गए । अभी बाकी है सिगरेट और दम भरिये
ReplyDeleteबेहतरीन , मगर आप दस का दम ले कर रुक गए । अभी बाकी है सिगरेट और दम भरिये
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