Thursday, April 15, 2010

इंडिया सर ये चीज धुरंधर

किसी ने सच ही कहा है, कि अंग्रेजी में अक्सर अपशब्द डाल्यूट हो जाया करते हैं.. अपनी तीव्रता नहीं बनाये रख पाते हैं.. कुछ ऐसा ही फौलोवर शब्द के साथ भी है.. शब्दकोश.कॉम पर फौलोवर शब्द के तरह-तरह के मतलब दे रखे हैं.. मसलन - अनुगामी, अनुयायी, शिष्य, अनुसरणकर्ता, अधीन चेला, आगे दिया हुआ.. मेरी समझ में इसी का स्लैंग रूप "चमचागिरी" भी है..

आजकल अजित अंजुम जी फेसबुक पर चमचों के ऊपर रिसर्च कर रहे हैं.. उन्हें तरह-तरह के नये शब्द लोग सुझा रहे हैं.. कोई चमचाधिराज बता रहा है टो कोई चाटू नारायण.. एक भाई साहब आकर बेलचा पर भी नजरें इनायत करके आख्यान दे गये इस हिदायत के साथ कि चमचा और बेलचा का पुराना नाता है..

मेरी समझ में अगर आप किसी के साथ, अपनी इच्छा ना होते हुये भी, दो कदम अधिक चल लेते हैं तो इसे चमचागिरी के कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता है.. एक उदहारण देना चाहूँगा, अगर आपके पास 'ए' और 'बी' ऑप्शन है और आप कुछ भी चुने इससे आपको कोई अंतर नहीं पड़ता हो, ऐसे में किसी के कहने पर आप 'ए' चुन लेते हैं और लोग आपको उसका चमचा बता जाते हैं..इस पर मुझे सिर्फ एक शेर याद आता है, "करीब जाकर छोटे लगे... वो लोग जो आसमान थे.." आज प्यार या लगाव भी चमचागिरी के फेर में पड़ने लगे हैं, खैर ये अपनी अपनी समझ का फेर है..

चमचागिरी के कैटगरी पर बात उठाने पर राजीव मिश्र जी आकर उसे छः भागों मे ऐसे बांटते हैं कि इस दुनिया जहान का हर कर्म चमचागिरी के घेरे मे आ जाये.. वो बताते हैं :

पहली वेरायटी --- वो जो बॉस की हाँ में हाँ तुरंत मिलाते हैं।

दूसरी वेरायटी --- जो बॉस की हाँ में हाँ मिलाने की पहले वजह ढूंढते हैं।

तीसरी वेरायटी --- क्या बात है सर जी, वाह भई वाह, आपने तो कमाल कर दिया, सिर्फ आप ही यह कर सकते थे आदि आदि वाक्यों से अपनी बात कहते हैं।

चौथी वेरायटी --- ऐसा कोई मौका नहीं खोते जैसे उनका जन्मदिन, शादी की सालगिरह, बच्चे का जन्म दिन, बीवी का जन्मदिन... जिसमें उनसे पहले कोई बधाई देदे।

पांचवीं वेरायटी --- कुछ ऐसे होते हैं कि कुछ लोग सिर्फ अपने होने का एहसास कराने के लिए बीच-बीच में लाइक्स इट, हं, हमममम आदि लिख देते हैं।

छठा वेरायटी --- भी जो अपनी शेखी बघारने के लिए अपने से मेल खाता विचार आने का इंतजार करते रहते हैं...

यह सब पढते हुए मेरे मन मे लालू प्रसाद यादव जी द्वारा अक्सर प्रयोग मे लाया जाने वाला जुमला याद हो आया.. टीटीएम, यानि ताबड़तोड़ तेल मालिश.. कुछ घंटे बाद ही अजित जी ने भी यह बात लिख डाली..

अंत मे रविन्द्र पंचोली जी द्वारा लिखा गया कविता, दोहा या गजल टाइप का ही कुछ भी पढते जाएँ..
सुन चमचा संसार में सभी चम्मच एक रंग
कोई उड़ाए दारू तो कोई पीए भंग
काम करने वाला रोए और ये लंबी तान कर सोए
ये काटते माल ख़ुद्दार दिहाड़ी को रोए..


अधिक विस्तार से पढ़ने के लिए आप अजित जी के फेसबुक प्रोफाइल में झाँक आयें.. चमचागिरी पर अगर कोई PHD करना चाहे तो पूरी थिसिस का माल उन्हें वहाँ मिल ही जायेगा.. कई थ्रेड बने हुए हैं चमचों के ऊपर..

15 comments:

  1. वाह, गजब चमचा पुराण है। पढ़कर हम धन्य हुए।
    वैसे यह किस नम्बर की चमचागिरी के अन्तर्गत आएगा? :D
    घुघूती बासूती

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  2. तो हम तुम्हारे चमचे है :) अब ये भी सही :D

    अपने आसमानो को सम्भाल कर ढूढो.. हर ऊंची और नीली दिखने वाली चीज़ आसमान नही होती... चरित्र लोगो को आसमान बनाता है और सब कुछ वही छीन भी लेता है...

    तुम्हारी ओप्शन्स वाली बात से सहमत हू..
    आज अनुराग जी की एक फ़ेसबुक अपडेट थी -

    "चीजो को तटस्थता से देखने की आपकी कुशलता ....दुनियादारी के स्केल पर आपके नंबर तय करती है.... अपना स्कोर चेक किया आपने ?"

    हम सबको अपने अपने स्कोर चेक करने चाहिये.. काश इसका भी एक कैलकुलेटर आता...

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  3. चमचा डिटेक्टर जैसा कुछ नहीं होता है क्या?

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  4. :) जाते हैं फेस बुक पर..सही जगह भेज रहे हो लगता है.

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  5. क्या कमेंट्स करना भी चमचागिरी के दायरे में आएगा...अगर आता है तो ...तो भईया हम इस कटघरी के चमचे हैं मानना पड़ेगा...

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  6. अजित जी अगर चम्मचों पर चाहे जितनी भी कर लें,लेकिन चम्मचों की वैरायटी का पता ठीक उसी तरहा नही लगा सकते जैसे चमन पर बैठे उल्लूओं का पता लगाना कठिन है।

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  7. अजित जी अगर चम्मचों पर चाहे जितनी भी कर लें,लेकिन चम्मचों की वैरायटी का पता ठीक उसी तरहा नही लगा सकते जैसे चमन पर बैठे उल्लूओं का पता लगाना कठिन है।

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  8. चमचा से कड़छा तक तो ठीक था। बेलचा कुछ ज्यादा हो गया। ऐसे तो कोई जे.सी.बी. मशीन या पे-लोड़र को भी ठेल देगा चमचा केटेगरी में! :)

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  9. आपकी भी बात सही है, पंकज की भी बात सही है, views24hours की भी बात सही है. अभी जाकर चमचा पुराण देखती हूँ. फिर हम सब मिलकर एक स्केल बनायेंगे. ठीक.

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  10. orange color main to padh nahi paa raha..:(

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  11. @ रंजन जी - घर जाकर इसे ठीक कर देते हैं.. मैं खुद भी सोच रहा था इस बाबत, मगर क्या करें आलस आ जा रहा था.. :)

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  12. हमको तो बॉस कहता है कि बहरे हो तो हम गिर के भी दिखा देते हैं कि लो हम अंधे भी हैं... इंग्लिश में कहावत है ना कि Boss is always right.
    बहुत पहले एक ठो शेर लिखे थे

    "पेशे में हाँ-जी हाँ जी मिला दिया होगा" देखो मेरे ब्लॉग पर शायद मिल जाये... उन दिनों किसी शायर ने काटा था :)

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  13. bahut achhe...
    kya bakhubi se warnan kiya hai....
    kya baat hai..
    mere blog par is baar..
    नयी दुनिया
    jaroor aayein....

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