अभी कुछ दिनों पहले रविश जी ने फेसबुक पर "इंडियन ओशन" के एक गीत "मां रेवा" का जिक्र करते हुये कहा था "मां रेवा...तेरा पानी निर्मल..कल कल बहतो जाए...इंडियन ओशन का जब यह गाना सुनता हूं तो मां रेवा हलक के भीतर उतरने लगती है। नर्मदा के दीदार की तमाम ख्वाहिशें मचलने लगती हैं। इंडियन ओशन का संगीत सकारात्मक उन्माद पैदा करता है।"
उनका लिखा यह पढ़ते ही यह गीत सीधा दिल तक उतर आया.. अपने लैपटॉप के हार्डडिस्क में खूब ढ़ूंढ़ा मगर कमबख्त जाने कहां गुमा हुआ सा बैठा था कि नहीं मिला.. फिर इंटरनेट महाराज ने मुझ पर असीम कृपा दिखाई और मैंने यह गीत डाउनलोड करके अपने मोबाईल में डाल लिया..
ईश्वर जैसी चीजों को मैं हमेशा से ही नकारता रहा हूं, मगर मानता रहा हूं कि विश्व कि किसी भी सभ्यता के शुरूवाती क्षणों में लोग प्रकृति की ही पूजा किया करते थे.. वे हर उन चीजों को पूजते थे जिसे वह जीवन के लिये जरूरी मानते थे.. हमारी भारतीय संस्कृति में भी हम नदियों को मां और पर्वतों को पिता का दर्जा देते आये हैं..
मैंने कभी मां नर्मदा को देखा नहीं है.. बचपन उत्तर बिहार के लखनदेई नदी और चक्रधरपुर के पहाड़ी नदी के किनारे बीता है और किसोरावस्था से जवानी की दहलीज तक पांव रखते हुये मां गंगे को नजदीक से देखा हूं, सो यह गीत सीधा दिल को चीर कर अंदर तक घुसता प्रतीत होता है.. रविश जी सच ही इसे एक सकारात्मक उन्माद का नाम दिये हैं.. एक ऐसा उन्माद जो आपको प्रकृति की ओर खिंचता है..
मां रेवा तोरा पानी निर्मल,
खलखल बहतो जायो रे..
मां रेवा!!!
अमरकंठ से निकली है रेवा,
जन-जन कर गयो भाड़ी सेवा..
सेवा से सब पावे मेवा,
ये वेद पुराण बतायो रे!!
मां रेवा तोरा पानी निर्मल,
खलखल बहतो जायो रे..
मां रेवा!!!
शाम तक इसे पॉडकास्ट करता हूं..
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बाद में जोड़ा गया..
इतना ना मुझसे प्यार बढ़ा मैं एक बदल आवारा...
ReplyDeleteजनम जनम से साथ तेरे नाम मेरा जल कि धारा........
नर्मदा का गरजता हुआ रूप धुआधार जलप्रपात के रूप में देख चुका हूँ.. और शांत शीतल ममतामयी रूप भेडा घाट में देखा है..
ReplyDeleteगीत वाकई प्यारा है..
सुनेंगे तो ही कुछ कहेंगे।
ReplyDeleteहम भी एक छोटी सी लेकिन बारह मासी नदी के किनारे ही पैदा हुए और बड़े हुए थे। पर कस्बे की बढ़ती आबादी और उस के अवशिष्ट ने उस नदी की हत्या कर दी।
सुन्दर दृश्य
ReplyDeleteमां रेवा गाने का वीडियो जोड़ दिया गया है..
ReplyDeleteलाइव सुना था इन्डियन ओसियन को कॉलेज में तब से कुछ गाने अक्सर सुनाता हूँ, उनमें से ये भी एक है.
ReplyDeletekandisa ke sare hi gaane aisi hi gahrayi se chhoote hain dil ko. ye gaana hamko bhi bahut accha laga tha. waise usmein mera favorite hain "hillele jhakjhor" :)
ReplyDeleteइसे देखो यह गीत रफ़ी की आवाज़ में है इसमें गंगा पर शुरूआती लाइन सेम है जो यहाँ पर भी है...
ReplyDeletehttp://www.youtube.com/watch?v=KkxvRYc5iaU&feature=related
और हाँ I.A.S. का फुल फॉर्म : I Am Safe होता है.
achhe bahut achhe.....
ReplyDeletemaine narmada ke darshan bahut kareeb se kiye hain...
bahut achha warnan....
http://i555.blogspot.com/ mein is baar तुम मुझे मिलीं....
jaroor padhein....
गीत और दृश्यों से संयोजित वीडियो देखा। मनोरम और मधुर।
ReplyDeleteआपके पोस्ट पर दो टिप्पणियां-
ReplyDelete1- वीडियो पर जो चित्र है वह सुंदर नहीं दुखद है। यह महाराष्ट के एक गांव मणिबेली का चित्र है जिसमें प्रसिद़ध, ऐतिहासिक शूलपाणेश्वर के मंदिर की पानी में डूबी गुंबद दिखाई गई है। यह मंदिर अब सरदार सरोवर की डूब में पूरी तरह समा गया है।
2-'इंडियन ओशन' के गाए गीत स्थानीय समाज में गाए जाने वाले लोक गीत हैं। इन्हें 'इंडियन ओशन' ने नहीं रचा है। 'मां रेवा---' गीत भी निमाड इलाके के गांव-गांव में गाया जाने वाला गीत है।
मैने तो रेवा के सानिध्य में दो दशक बिताये हैं। और वेगड़ जी की पुस्तक - सौन्दर्य की नदी नर्मदा मेरी प्रिय पुस्तक है।
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट।
कन्डीसा मेरी भी फ़ेवरिट अल्बम है.. इसी अलबम ने इन्डियन ओशीयन को ओरिजिनल बैन्ड की श्रेणी मे खडा किया था..
ReplyDelete'कन्डीसा’ सुनने मे बहुत सुकून देता है.. ये पुराना कोई भजन है किसी और देश का.. किसी और भाषा मे.. लेकिन तब भी छूता है...
काफ़ी लेट आया हू.. काफ़ी दिनो से कुछ पढने का मन नही कर रहा था.. फ़ीड एकदम से बहुत बढ गयी है अब.. :)