Tuesday, August 18, 2009

आज रंग है ए मां, रंग है री (एक कव्वाली नुसरत साहब की)


आज इस कव्वाली को सुनाने से पहले मैं इससे जुड़े एक दिलचस्प घटना के बारे में बताना चाहूंगा..

अमीर खुसरो के सारे परिवार ने निजामुद्दीन औलिया साहब से धर्मदीक्षा प्राप्त की थी.. जब अमीर खुसरो महज सात वर्ष के थे तब उनके पिता अमीर सैफ़ुद्दीन महमूद अपने दोनों पुत्रों को लेकर औलिया साहब के दरबार में गये.. वहां अमीर खुसरो ने अपने पिता से आग्रह किया की 'मुरीद' इरादा करने वाले को कहते हैं और मेरा इरादा अभी मुरीद होने का नहीं है.. अतः अभी केवल आप ही अंदर जायें और मैं यहीं बाहर बैठता हूं.. अगर निजामुद्दीन चिश्ती वाक़ई कोई सच्चे सूफ़ी हैं तो खुद-बखुद मैं उनका मुरीद बन जाऊंगा..जब खुसरो के पिता भीतर थे तब खुसरो ने बैठे-बैठे दो पद बनाये और सोचा कि अगर औलिया साहब आध्यात्मिक बोध सम्पन्न होंगे तो वह मेरे मन की बात जान लेंगे और अपने द्वारा निर्मित पदों से मुझे उत्तर भी देंगे, और तभी मैं उनसे दीक्षा लूंगा अन्यथा नहीं..

खुसरो ने जो पद बनाये वह कुछ ऐसे थे -

"तु आं शाहे कि बर ऐवाने कसरत, कबूतर गर नशीनद बाज गरदद..
गुरीबे मुस्तमंदे बर-दर आमद, बयायद अंदर्रूं या बाज़ गरदद.."


मतलब - तू ऐसा शासक है कि यदि तेरे प्रसाद की चोटी पर कबूतर भी बैठे तो तेरी असीम अनुकंपा एवं क्रिपा से बाज बन जाये..

खुसरो मन में यही सोच रहे थे कि भीतर से संत का एक सेवक आया और खुसरो के सामने यह पद पढ़ा -

"बयायद अंद र्रूं मरदे हकीकत, कि बामा यकनफ़स हमराज गरदद..
अगर अबलह बुअद आं मरदे - नादां, अजां राहे कि आमद बाज गरदद.."


अर्थात - हे रहस्य के अन्वेषक, तुम भीतर आओ, ताकी कुछ समय तक हमारे रहस्य-भागी बन सको.. यदि आगुन्तक अज्ञानी है तो जिस रास्ते से आया है उसी रास्ते लौट जाए..

खुसरो ने जैसे ही यह पद सुना, वे आत्मविभोर और आह्लादित हो सीधा संत के चरणों में नतमस्तक हो गये और उनसे दीक्षा ली..

इस घटना के बाद खुसरो जब अपने घर पहूंचे तो वे मस्त होकर झूम रहे थे.. वे गहरे भावावेग में डूबे थे और अपनी माताजी के पास कुछ गुनगुना रहे थे.. आज क़व्वाली और शास्त्रीय व उप-शास्त्रीय संगीत में अमीर खुसरो द्वारा रचित जो "रंग" गाया जाता है वह इसी अवसर का स्मरण स्वरूप है..

आज रंग है ऐ मां रंग है री,
मेरे महबूब के घर रंग है री..
अरे अल्लाह तू है हर,
मेरे महबूब के घर रंग है री..

मोहे पीर पायो निजामुद्दीन औलिया,
निजामुद्दीन औलिया-अलाउद्दीन औलिया..
अलाउद्दीन औलिया, फ़रीदुद्दीन औलिया,
फ़रीदुद्दीन औलिया, कुताबुद्दीन औलिया..
कुताबुद्दीन औलिया, मोइनुद्दीन औलिया,
मोइनुद्दीन औलिया, मुहैय्योद्दीन औलिया..
आ मुहैय्योद्दीन औलिया, मुहैय्योद्दीन औलिया..
वो तो जहां देखो मोरे संग है री..

अरे ऐ री सखी री,
वो तो जहां देखो मोरो संग है री..
मोहे पीर पायो,
निजामुद्दीन औलिया, आहे, आहे आहे वा..
मुंह मांगे बर संग है री,
वो तो मुंह मांगे बर संग है री..
निजामुद्दीन औलिया जग उजियारो,
जग उजियारो जगत उजियारो..
वो तो मुंह मांगे बर संग है री..
मैं पीर पायो निजामुद्दीन औलिया..

गंज शकर मोरे संग है री..
मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखयो सखी री..
मैं तो ऐसी रंग..
देस-बदेस में ढ़ूंढ़ फिरी हूं, देस-बदेस में..
आहे, आहे आहे वा,
ऐ गोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन..
मुंह मांगे बर संग है री..
सजन मिलावरा इस आंगन मा..
सजन, सजन तन सजन मिलावरा..
इस आंगन में उस आंगन में..
अरे इस आंगन में वो तो,
उस आंगन में..

अरे वो तो जहां देखो मोरे संग है री..
आज रंग है ए मां रंग है री..
ऐ तोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन..
मैं तो तोरा रंग भायो निजामुद्दीन..
मुंह मांगे बर संग है री..
मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखी सखी री..
ऐ महबूब इलाही मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखी..
देस-विदेस में ढ़ूंढ़ फिरी हूं..
आज रंग है ऐ मां रंग है ही..
मेरे महबूब के घर रंग है री.....




अभी-अभी घर(पटना) गया था तब मुझे नुसरत के सूफियाना रंग में डूबे कव्वालियों का कलेक्शन भैया की कार में रखा मिला.. अधिकांश मेरे पहले से सुने हुये थे.. मगर जब से कैसेट दौर गुजरा और सीडी का दौर आया, वैसे ही एक एक करके सभी गीतछूटता चला गया.. जब मैंने भैया की कार में इसकी सीडी देखी तब मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और अंत समय में, जब मैं घर से निकलने लगा था, उन सारे एमपीथ्री को अपने एक्सटर्नल ड्राईव में कॉपी किया.. कुल 15 कव्वालियां थी उसमें और सभी अपने असली अंदाज में.. मेरा मतलब पूरी की पूरी कव्वालियां.. सभी लगभग 20-30 मिनट की.. यहां वापस चेन्नई आकर मैंने उन सारे गानों को अपने मोबाईल में डाल दिया और आजकल मेरा अधिकतर समय 'कमीने' सिनेमा के गानों के साथ उन गानों के साथ गुजर रहा है..

इस गाने को नुसरत की आवाज में सुनने के लिये आप इस लिंक से डाऊनलोड कर सकते हैं.. मैं पहले जिस साईट से पॉडकास्ट करता था आजकल वह ठीक-ठीक काम नहीं कर रहा है.. अगर आपमें से कोई मुझे कुछ अच्छे पॉडकास्ट करने की सुविधा देने वाले साईट्स का पता देंगे तो मेरे लिये सुविधा होगी और आप इन सारे कव्वालियों को सुन पायेंगे..

Download link for Aaj rang hai ri maan, rang hai ri (By Nusrat Fateh Ali khAn)

13 comments:

  1. बहुत खुब.. मजा आ रहा है...

    भाई हमको तो पूरी सीडी भेज दो..

    धन्यवाद..

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  2. @ Ranjan Ji - Apako chahiye to main sare geet aapke liye net par Upload kar dunga aur aapko un sabka link bhi bhej dunga.. :)

    @ Ram Ji - Thanks, but I am happy with my traffic and visitors..

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  3. try divshare.com

    BTW, this is one of my favorite composition of Amir Khusro...

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  4. @ नीरज रोहिल्ला जी - जी, मैं किसी पॉडकास्ट करने वाले अच्छे साईट की तलाश में हूं.. फाईल शेयर करने वाले कई साईटों को मैं आजमा चुका हूं, जिसमें डिव शेयर और 4शेयर्ड मेरा मनपसंद साईट है और रैपिड शेयर मुझे सबसे बेकार लगता है.. :)

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  5. मज़ा आ गया ये जान कारी पढ़ कर और सुन कर भी .......... लाजवाब

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  6. घोर आनंद पहुँचाया है आपने...वाह...खुश रहें...
    नीरज

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  7. आनंद आ गया जी। वैसे हमारा छोटू कैसा है।
    वैसे वो लिंक हमें भी भेजदेना जी जो रंजन जी को भेज रहे है आप।

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  8. भगवान राम भी स्पैमर बन गये - जय हो!

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  9. काफी मस्त लिखा है तुमने..!
    एक एक शब्दों को एक एक अच्चारों को बारीकियों में पिरोया तुमने..! काफी मेहनत का काम है ..!
    बहुत खूब..!

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  10. बिल्कुल आप अपलोड़ करे हम डाउनलोड कर देगें..

    हैदराबाद एयरपोर्ट से सिटी की और जा रहा हूँ.. ये कव्वाली सुनते हुऐ....

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  11. नुसरत जी जैसा कव्वाल कोई दूसरा नहीं।
    ( Treasurer-S. T. )

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