Friday, August 14, 2009

एक नास्तिक के मुंह से जन्माष्टमी? राम-राम, क्या जमाना आ गया है.. :)


मैं मंदिर नहीं जाता हूं, ना ही किसी पूजा में शरीक होता हूं.. मगर फिर भी राधा-कृष्ण की बातें जहां कहीं संगीतमय हो जाया करती है वहां मेरे लिये बस आनंदम ही आनंदम.. चाहे बात किसी राधा-कृष्ण कि अवधी भाषा में लिखी गई कव्वालिया हों या फिर दोहे या फिर भजन या फिर बंबईया सिनेमाओं के गीत.. मुझे वह अपने आप अपनी ओर खींचता सा महसूस होता है.. आप ये भी नहीं कह सकते हैं कि ये घर और आस-पास के परिवेश में बड़े होने के कारण हुआ है, क्योंकि तकरीबन कुछ-कुछ वैसा ही खिंचाव खुदा के दरबार में गाये गये कल्ट कव्वालियों को भी लेकर होता है.. अगर सही-सही बोलूं तो ठीक ऐसा ही दिवानापन मुझे रामायण की कथा और प्रेम या विरह रस में डूबी शानदार कवितायें और माईकल जैक्सन के गीतों में भी महसूस होता है..



आज कल चूंकि जन्माष्टमी का जोर भी है और भैया का बेटा जन्माष्टमी के दिन ही आज से एक साल पहले पैदा हुआ था, सो मन में जाने क्या आया और अंतर्जाल पर कृष्ण से संबंधित चीजें ढ़ूंढ़ने निकल पड़ा.. एक-दो गीत ऐसे मिले जिसने मुझे नौस्टैल्जिक कर दिया.. उन दिनों कि याद दिला दी जब घर के पास वाले किसी मंदिर से सुबह-सुबह चार बजे हम अपनी नींद तोड़ कर सुना करते थे और उसे बजाने वाले पंडे-पुजारियों को गरियाया करते थे.. पहला गीत कुछ ये है..

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की ॥


पूरा गीत पढ़ने और सुनने के लिये आप इस लिंक पर जा सकते हैं.. गीत हिंदी और आंग्ल, दोनों ही भाषा में लिखा हुआ है और मुझे यह चिट्ठा कभी किसी भी अग्रीगेटर पर नहीं मिला था.. शायद यह ठीक ही कहा गया है कि "सितारों से आगे जहां और भी है.." दूसरा गीत जिसे सुनकर मैं नौस्टैल्जिक हो उठा उसके किस्से भी सुबह उठकर पंडे-पुजारियों को गरियाने पर ही खत्म हुआ करते थे.. वह गीत ये रहा..


श्याम चूड़ी बेचने आया

मनिहारी का भेष बनाया
श्याम चूड़ी बेचने आया
छलिया का भेष बनाया
श्याम चूड़ी बेचने आया
छलिया का भेष बनाया
श्याम चूड़ी बेचने आया

गलियों में शोर मचाया
श्याम चूड़ी बेचने आया
छलिया का भेष बनाया
श्याम चूड़ी बेचने आया


इसे भी पूरा पढ़ने-सुनने के लिये आपको इस लिंक पर जाना होगा, आखिर जहां से मैंने यह सब उठाया है, वह भी तो कभी उतनी ही मेहनत किये होंगे इन गीतों को संजोने के लिये..

हिंदी सिनेमा कि बात करें तो, "मदर इंडिया" के एक गीत को मैं सबसे ऊपर रखूंगा.. जो अक्सर पाला बदल-बदल कर अक्सर मेरा रिंग टोन हो जाया करता है.. वह गीत है -

होरी आई रे कन्हाई रंग छलके,
सुना दे जरा बांसुरी..

बरसे गुलाल-रंग मोरे अंगनवा,
अपने ही रंग में रंग दे मोहे सजनवा..
मोहे भाये ना हरजाई रंग हल्के,
सुना दे जरा बांसुरी..
(पूरी तरह यादाश्त पर आधारित, सो त्रुटी होने कि पूरी गुंजाईश है..)

अगले गीत के बारे में अगर बात करें तो "जॉनी मेरा नाम" सिनेमा का गीत "मोसे मेरा श्याम रूठा" गीत के बारे में जरूर कहूंगा जो मुझे बहुत ज्यादा पसंद है.. एक झलक उसकी भी आपको दिखाये चलता हूं और यह झलक भी पूरी तरह से यादाश्त पर आधारित है..

जय जय श्याम, राधे-श्याम
राधे-श्याम, राधे-श्याम..
ए री हो...
मोसे मोरा श्याम रूठा,
काहे मोरा भाग फूटा,
काहे मैंने पाप ढोये,
असुवन बीज बोये..

छुप-छुप मीर रोये,
दर्द ना जाने कोये..


वैसे अगर सिर्फ होली की ही बात की जाये तो हिन्दी सिनेमा में अनेको गीत निकल आयेंगे, मगर उनमें से अधिकतर चलताउ गीत मुझे सिर्फ होली के समय ही अच्छे लगते हैं.. जो भंग के रंग के साथ फीके नहीं पड़ते हैं..

बस अभी-अभी मुझे रविश जी के ब्लौग पर एक तहसीन मुनव्वर जी कि लिखी हुई कुछ पंक्तिया मिली है, सो उन्हें मैं कैसे ना बांटू? यह भी आधे-अधूरे रूप में आपके सामने है.. पूरा पढ़ना चाहते हैं तो आप रविश जी के चिट्ठे पर ही जायें.. और अगर आपको पसंद आये तो यही गुजारिश है कि वह कमेंट आप उनके हिस्से में ही दे आयें..

चलो चलते हैं मथुरा में किसन की रास देखेंगे
किसन की बांसुरी से जागता अहसास देखेंगे

कभी बांके बिहारी को कभी राधा को देखेंगे
कभी मीरा की आंखों में मिलन की प्यास देखेंगे

कन्हैया लाल की भक्ति की रस में डूब जायेंगे
सुबह से शाम तक श्यामल की हम अरदास देखेंगे


वैसे तो गीत संगीत तो इतने हैं कि उस पर एक क्या हजारों ब्लौग लिखे जा सकते हैं और लिखे जा भी रहे हैं..
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अब कुछ बातें अपने किशन-कन्हैया, बाल-गोपाल के बारे में में भी करते जाता हूं.. अभी पिछले लगभग तीन सालों में मैं जब भी घर वापस आने को चलता हूं तो तो कुछ पीछे छूटने जैसा महसूस होने का अहसास खत्म सा होता जा रहा था.. अक्सर अब ऐसा होने लगा था जैसे कि जाना है तो मोह कैसा.. इन बातों से एक अलग तरह का अज्ञात भय सा भी होने लगा था.. मगर वह अहसास इसने फिर से जगा दिया.. अबकी जब घर से निकल रहा था तब आने का मन नहीं कर रहा था.. उसकी अनेकानेक लीलायें देखने के बाद अब उसकी रास लीलायें भी देखने का मन करने लगा है.. :)

सोच सोच कर आह्लादित होता हूं कि किसी दिन वह अपनी मम्मी को अपनी गर्ल फ्रेंड के बारे में बतायेगा और भाभी उसकी बाते आंखें गोल गोल करके आश्चर्य से सुनेगी और सोचेगी कि कैसे यह इतनी जल्दी बड़ा हो गया? अभी भी बहुत कुछ है लिखने के लिये, मगर मेरा एक मित्र बहुत देर से गाली दे रहा है कि टी.टी.खेलने चलो.. आज मैंने अपना काम जल्दी खत्म किया और ब्लौग लिखने बैठ गया, और वह अभी अपना काम खत्म किया और मुझे गालियां देने बैठ गया.... :D

अपने बाल गोपाल के बारे में फिर लिखता हूं..

14 comments:

  1. जन्माष्टमी पर अब तक पढ़ी गयी सभी पोस्टों में .....सबसे अच्छी लगी ..प्रशांत भाई..सबसे मिल कर आनंद आ गया ...

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  2. सुंदर चित्र। जन्माष्टमी की बधाई॥

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  3. नन्हा कन्हैया बहुत क्यूट है। उसे जन्मदिन की बधाई!
    अच्छी पोस्ट है। कन्हैया हमारी संस्कृति में रचा बसा है। वह अमर है। उस से जुड़ने को किसी का आस्तिक होना जरूरी नहीं। फिर आस्तिक और नास्तिक के भेद तो बनाए हुए हैं। उस का किसी धर्म से लेना देना नहीं। वह तो पूरे विश्व का है।

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  4. आप नास्तिक क्यों हैं इस पर भी कभी लिखा है आपने?

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  5. एक लेडिस को देखा कि वो कृष्ण के आगे कैडवरी चॉकलेट चढ़ा रही थी। ये सही भी है कि मिठाईयां तो बासी औऱ खराब हो जाएगी जल्दी लेकिन चॉकलेट लंबा चलेगा।.

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  6. एक पोस्ट में इतनी सारी प्यारी बातें वाह आनंद आ गया। और सुंदर चित्र भी। मैं नास्तिक क्यों इस पर भी कभी लिखिएगा।

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  7. क्यां कहने और सुन्दर संकलन भी !

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  8. तुमने काफी अच्छा लिखा है...!! कृष्ण भगवान का चित्रण काफी अच्छे ढंग से किया है...
    ये भी काफी अजीब है की तुम्हे भगवान पर विस्वास नहीं होने के बाबजूद तुमने इतना काफी जानकारी दी... पर मुझे भगवान पर विस्वास होने के बावजूद कृष्ण भगवान पर उतना दर्जा नहीं दे पाता हूँ...उन्हें रास लीला और राधा से लोग जोड़ कर लोग देखते है.. जैसा की तुमने किया है...पर उनका और पहलू है... जो उन्होंने किया था महाभारत में... अगर तुम उनके इस पहलू से जोड़ कर कुछ बता सको तो बताओ..!!

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  9. बाल गोपाल को जन्म दिन की बधाई. और इतनी क्युट सी पोस्ट के लिये बहुत धन्यवाद आपको. वाकई बडा मजा आया .

    रामराम.

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  10. मैं भी मंदिर नहीं जाता हूं, ना ही किसी पूजा में शरीक होता हूं..
    पर मैं निश्चित आस्तिक हूं! :)

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  11. क्युटु को प्यार..

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  12. आप नास्तिक हो या नहीं पर कृष्ण के इतने मनमोहक चित्र और उनकी लीला का दर्शन................ भाई लाजवाब है आपकी पोस्ट.......... कोई कृष्ण भक्त ही ऐसे चित्र ला सकता है...........

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  13. कमाल की पोस्ट...दिल से लिखी दिल तक पहुंची...वाह...
    नीरज

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