आज सुबह ऑफिस जाने की हड़बड़ी में था तभी देखा कि पापा जी का फोन आ रहा है.. और इससे पहले भी तीन बार उनका फोन आ चुका था जिसका मुझे पता नहीं चल सका.. उन्होंने बताया कि मेरे लिये किसी सईद का फोन आया था और उन्होंने मेरा नंबर उसे दे दिया है..मैं तब से ही सोच रहा हूं कि ये सईद कौन है? और उसके पास मेरे घर पटना...
Thursday, December 17, 2009
Wednesday, December 16, 2009
अब भी उसे जब याद करता हूं, तो बहुत शिद्दत से याद करता हूं
समय के साथ बहुत कुछ बदला है.. मैं भी बदला हूं, मेरी सोच के साथ-साथ परिस्थितियां भी बदली है.. कई रिश्तों के मायने बदले हैं.. पहले जिन बातों के बदलने पर तकलीफ़ होती थी, अब उन्ही चीजों को देखने का नजरिया भी बदला है और उन्हें उसी रूप में स्वीकार कर आगे बढ़ने की प्रवॄति भी आ गई है.. जिन चीजों के बदलने पर तकलीफ...
Tuesday, December 15, 2009
Sunday, December 13, 2009
एक कविता कोडिंग पर
कोई अपने ही घर में चोरी करता है क्या? नहीं ना? मगर मैंने किया है.. ज्ञान जी के शब्दों में यह रीठेल है.. यह कविता मेरे एक बेहद पुराने पोस्ट पर डा.अमर जी ने कमेंट किया था जिसे यहां ठेले जा रहा हूं.. आजकल ब्लौगिंग करने की फुरसत भी नहीं है और कुछ लिखने की इच्छा भी नहीं, तो सोचा क्यों ना अपना शौक कुछ इसी...
Wednesday, December 02, 2009
Friday, November 27, 2009
Thursday, November 26, 2009
Monday, November 23, 2009
Friday, November 20, 2009
भगवान का होना ना होना मेरे लिये मायने नहीं रखता है(एक आत्मस्वीकारोक्ति)
मैंने आज तक इस विषय पर कभी कोई पोस्ट नहीं लिखा है और शायद आगे भी नहीं लिखूं.. मैं भगवान को नहीं मानता हूं और उन्हें मानने या ना मानने को लेकर किसी से कोई तर्क-वितर्क नहीं करता हूं.. जब मैं भगवान को नहीं मानता हूं तो खुदा या ईसा को मानने का सवाल ही पैदा नहीं होता है.. फिर भी मुझे अपने हिंदू होने पर गर्व...
Thursday, November 19, 2009
Saturday, November 14, 2009
Thursday, November 12, 2009
बेवक्त आने वाले कुछ ख्यालात
कभी-कभी कुछ सवाल दिमाग में ऐसे उपजते हैं कि यदि उसे उसी समय पूछ लो तो गदर मचना तय हो जाये.. हर समय उल्टी बातें ही दिमाग में आती है.. अगर हम खुश हैं तो इस तरह के सवाल ज्यादा आते हैं..कुछ दिन पहले एक लंबे-चौड़े मिटिंग के बाद हमारे सुपर बॉस आये.. आते ही कुछ फंडे पिला कर बजा डाला, "यू कैन आस्क अनी काईंड...
Sunday, November 08, 2009
कार्यालय में बनते रिश्ते
हमने एक छोटा सा ही सही जिसमें मात्र तीन सदस्य हुआ करते थे, मगर एक ग्रुप बनाया हुआ था.. जिसका नाम रखा था एस.जी. ग्रुप.. जिसका फुल फार्म हमारे लिये सिंप्ली गॉसिप हुआ करता था.. मगर वही कोई और यदि उसके बारे में पूछे तो उसे सामान्य ज्ञान बताया जाता था.. ये ऑफिस में दोस्ती का दायरा पहली बार बढ़ने पर हुआ था.....
Wednesday, November 04, 2009
बदलाव के चिन्ह एक बार फिर
आजकल खूब हंसता हूं.. जहां गुस्सा आना चहिये होता है, वहां भी हंसने लगा हूं.. कभी खुद पर हंसता हूं तो कभी अपने भाग्य पर.. पहले कभी भी भाग्यवादी नहीं था, मगर अब लगता है जैसे धीरे धीरे भाग्यवादी होता जा रहा हूं.. कारण बस इतना ही है कि कहीं देखता हूं कि लोग मर मर कर काम कर रहे हैं मगर कुछ फायदा उन्हें नहीं...
Wednesday, October 28, 2009
कौन सा ब्लौग? कौन सा चिट्ठा? कौन से मठाधीष?
आज कोई भी माई का लाल ऐसा नहीं कह सकता है कि उसने हमे हिंदी ब्लौगिंग सिखाई.. अगर कोई है तो आये, हम भी ताल ठोके तैयार बैठे हैं.. हद है यार.. यहां ब्लौग को चिट्ठा किसने कहा? नामवर जी को क्यों बुलाया? जैसे व्यर्थ प्रश्न में ही अपना दिमाग खराब किये हुये हैं.. हम तो यहां आलोक जी से लेकर नामवर जी तक, सभी का...
Tuesday, October 20, 2009
लंद-फंद देवानंद बतिया रहे हैं, पढ़ने का मन हो तभिये पढ़ियेगा
गूरू लोग अपन गूरूपनी झाड़ले चलते हैं कि बेटा खूब मेहनत करो.. बड़का औफिसर बनोगे.. पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे त होगे खराब.. एक्को गो नसिहत काम नहीं आता है.. दोस्त लोग के साथ लंद-फंद देवानंद बतियईते चलते हैं.. अबकी इंटरभ्यू में ई सब पुछिस थी ऊ एच.आर. अऊर टेक्निकल बला राऊंड तक त पहुंचबो नहीं किये.....
Monday, October 19, 2009
दिवाली की रात मेरे घर में भूतों का हंगामा
इसमें मैं यह नहीं लिखूंगा की दिवाली की रात हमने कैसे दिये जलाये? क्या-क्या पकाया? और कितने पटाखे जलाये.. ये सब तो लगभग सभी किये होंगे.. मगर दिवाली कि रात कुछ हटकर अलग सा कुछ हो तभी तो मजा है, और वो भी अनायास हो तो सोने पे सुहागा.. तो चलिये सीधे किस्से पर आते हैं..दिवाली मनाने के बाद हम सभी मित्र खाना...
Friday, October 16, 2009
Tuesday, October 13, 2009
एक बीमार की बक-बक
मेरे ख्याल से बीमार आदमी या तो बेबात का बकबकिया हो जाया करता है या फिर चुपचाप अपने में सिमटा रहता है और यह समय भी बीत जायेगा जैसे ख्यालों में रहता है.. जब तक घर में था तब जब कभी पापाजी बीमार पड़ते थे, उनके मुख से अनवरत कविता-कहानियों का निकलना चालू हो जाता था.. एक से बढ़कर एक कविता-कहानी.. किसी आशु कवि...
Monday, October 12, 2009
ईश्वर बाबू
आज यूं ही अपने ई-मेल के इनबाक्स के पुराने मेल पढ़ते हुये कुछ कवितायें हाथ लगी, जिसे मैं यहां पोस्ट कर रहा हूं.. मुझे नहीं पता यह किसकी लिखी हुई है, मगर जिनकी भी है अगर उन्हें इस कविता के यहां पोस्ट करने से आपत्ति है तो कृप्या एक कमेंट अथवा ई-मेल के द्वारा सूचित करें.. तत्पश्चात इसे यहां से हटा लिया जायेगा..ईश्वर...
Thursday, October 01, 2009
ब्लौगर हलकान सिंह 'विद्रोही' का चेन्नई आगमन
अब क्या कहें, ये हलकान सिंह विद्रोही आजकल जहां देखो वहीं दिख जाते हैं.. पहले कलकत्ता में शिव जी के साथ मटरगस्ती कर रहे थे.. फिर कानपूर में अनूप जी को कथा कहानी सुनाने लगे.. अब जब वह चेन्नई आये थे तब उन्होंने मुझे बताया कि एक दिन वे भटकते हुये मेरे पुराने पोस्ट पढ़ने लगे.. देखा कि यह तो अमूमन जिस किसी...
Wednesday, September 30, 2009
Tuesday, September 29, 2009
ब्लौगवाणी के बाद हिंदी चिट्ठाकारिता की दिशा क्या हो सकती थी?
अभी-अभी नेट पर बैठा.. हर दिन की तरह दिन की शुरूवात ब्लौगवाणी से नहीं की.. सोचा कि वह तो बंद हो चुकी है.. मगर जैसे ही अपने ब्लौग पर गया तो पाया कि ब्लौगवाणी के विजेट पर कल के मैसेज के बदले ब्लौगवाणी का लोगो दिख रहा है.. देखकर मन प्रसन्न हो गया.. ब्लौगवाणी का मैसेज भी पढ़ा जिसका लिंक यहां है.. ब्लौगवाणी...
Monday, September 28, 2009
Saturday, September 26, 2009
Friday, September 25, 2009
जिन्हें गुमान था कि वे सितारे हैं, शायद वह टूट गया
आज दोपहर में मैं खाना खाने के लिये अपने दफ़्तर के ठीक बगल में अवस्थित रेस्टोरेंट "पेलिटा नासी कांधार" गया.. कुछ हद तक कह सकते हैं कि वह चेन्नई के कुछ प्रसिद्ध रेस्टोरेंट्स में से एक है.. कारण यह कि वहां मलेशियन खाना अच्छे गुणवत्ता के साथ मिलता है..मेरे साथ तीन और लोग थे, और वे तीनों तेलगु हैं.. हमने...
Friday, September 18, 2009
Wednesday, September 16, 2009
आई.टी. में प्रतिदिन कार्यावधि अधिक होने के कुछ प्रमुख कारण
मेरे पिछले पोस्ट पर दिनेश जी ने कुछ प्रश्न पूछे थे, और स्वप्नदर्शी जी ने अपने कुछ अनुभव बांटे थे..दिनेश जी ने कहा - एक पहलू से आप की बात सही है। लेकिन यह समझ नहीं आई कि आईटी वालों को 16-16 घंटे क्यों काम करना पड़ता है जब कि अनेक आईटी प्रवीण बेरोजगार हैं। यह गैरकानूनी भी है और मानव स्वास्थ्य की दृष्टि...
Tuesday, September 15, 2009
आई.टी. क्षेत्र में लड़कियां
अगर इक्का-दुक्का अपवादों को छोड़ दिया जये तो मुझे ध्यान में नहीं आता है कि कभी किसी महिला को मैं आई.टी. क्षेत्र में प्रोजेक्ट मैनेजर से ऊपर वाले पोस्ट पर कभी देखा हूं.. किसी अच्छे आई.टी. कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर बनने के लिये औसतन कम से कम 8-10 साल चहिये, और कम से कम 3-4 साल पोजेक्ट मैनेजर पर अच्छे...
Friday, September 11, 2009
आज से ठीक एक साल पहले कि एक पोस्ट
पिछले साल आज के ही दिन मैंने एक पोस्ट लिखी थी, जो मेरे द्वारा लिखी गई सबसे छोटी पोस्ट है.. जिसमें सिर्फ पांच शब्दों का प्रयोग किया गया था.. अब आप इसे माईक्रो ब्लौगिंग भी नहीं कह सकते हैं, यह तो उससे भी छोटा था.. मगर उस पर आये कमेंट्स मजेदार थे.. आज इसे ही पढ़िये..
आज सात साल हो गये
आज सात साल हो...
Wednesday, September 09, 2009
पिछले एक महिने का लेखा जोखा
कुछ किताबें जो पढ़ी गई -साहित्य -1. मुर्दों का टीला (हिंदी)2. वोल्गा से गंगा (हिंदी)3. कतेक डारीपर (मैथिली)4. मेघदूतम (मैथिली)5. चार्वाक दर्शन (हिंदी)तकनीक -1. ProvideX Language Reference2. Work Order in ERP System.3. Job Cost in ERP System.4. Software Engineering - Roger S. Pressman (अभी भी पढ़ी जा...