Thursday, October 01, 2009

ब्लौगर हलकान सिंह 'विद्रोही' का चेन्नई आगमन

अब क्या कहें, ये हलकान सिंह विद्रोही आजकल जहां देखो वहीं दिख जाते हैं.. पहले कलकत्ता में शिव जी के साथ मटरगस्ती कर रहे थे.. फिर कानपूर में अनूप जी को कथा कहानी सुनाने लगे.. अब जब वह चेन्नई आये थे तब उन्होंने मुझे बताया कि एक दिन वे भटकते हुये मेरे पुराने पोस्ट पढ़ने लगे.. देखा कि यह तो अमूमन जिस किसी ब्लौगिये से मिलता है उस पर एक-दो पोस्ट तो ठोक ही देता है.. और उसमें किसी की बुराई तो छोड़ो, टांग खिंचाई भी नहीं करता है.. तो चलो चेन्नई भी घूम ही आते हैं.. और कुछ नहीं तो एक ठो पोस्टवा तो ठेल ही देगा पीडी.. कुछ हो ना हो मगर उसमें मेरे ब्लौग का लिंक लगा दिया तो चिट्ठाजगत के हवाले में एक और लिंक जुड़ जायेगा.. चिट्ठाजगत रैंकिंग में कुछ जुगाड़ तो होगा सो अलग, ब्लौगवाणी में एक पसंद भी उससे जुड़वा ही लेंगे..

यहां आने के बाद जब उन्हें पता चला कि पीडी तो आजकल मूडिया लेखन कर रहा है.. अब जब उसे मूड होता है तभी किसी के बारे में लिखता है.. यह बात उन्हें तब पता चली जब मैंने उन्हें बताया कि कलकत्ता में आपके चहेते शिव जी से मिला, पूरा दिन उनके साथ बिताया.. मगर एक भी पोस्ट नहीं लिखा.. मुझसे पूछ बैठे कि ऐसा क्यों? काहे नहीं लिखे उनपर? वो तो ऐसे भी हिंदी ब्लौगजगत के नामचीन जेंटलमैन ब्लौगिये बन चुके हैं.. फिर भी नहीं लिखे कुछ? मैंने बहाना बनाना शुरू किया कि घर पर नेट नहीं है.. ऑफिस में काम से फुरसत नहीं है.. इत्यादी.. इत्यादी.. मगर वह संतुष्ट नहीं हुये और मेरा लैपटॉप मांग कर टटोलने लगे उसमें देखे कि दो-तीन पोस्ट टाईप कर के रखा हुआ है, मगर पोस्ट नहीं है.. उसे पढ़ते ही उनके आह्लादित मुख पर मुस्कान फैल गई.. उन्होंने कहा, "बहुत अच्छा लिखते हैं आप.. लिखते रहें.. हिंदी ब्लौगिंग का नाम आपसे रौशन होगा.."

अब हमें ऐसे कमेंट से आश्चर्य नहीं होता है.. पहले तो जैसे ही ऐसा कमेंट आता था बस जोर का झटका लगता था.. भला हम बहुत अच्छा कब से लिखने लगे? और यह कहीं किसी ज्योतिष वाले ब्लौग से तो यहां नहीं आ रहे हैं जो भविष्यवाणी भी कर दिये हैं? मगर अब इन बातों पर भी कितने दिनों तक आश्चर्य करते रहेंगे? अगर आश्चर्य लगातार करते रहें तो हमारा तो शक्ल ही वैसा दिखने लगेगा.. कुछ-कुछ विश्मयकारी चिन्ह जैसा.. एक छोटी सी लकीर और उसके नीचे एक बिंदू.. मुझे उनकी बात सुनकर बचपन के मास्टर की याद आ गई जो बात-बात पर भविष्यवाणी करते थे, "पढ़ाई-लिखाई साढ़े बाईस.. बड़ा होकर घास काटेगा तुम.."

सच में भारत महान ज्योतिषियों का देश है, जहां हर दस में से आठ हमेशा कुछ ना कुछ भविष्यवाणी करते दिख ही जाते हैं.. चुनाव के समय नेता लोग अपने वादों को भविष्यवाणी का रूप देकर इतने आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रखते हैं जैसे वह तो अकाट्य सत्य है.. उसे होने से कोई नहीं रोक सकता है.. क्रिकेट शुरू होने से पहले मीडिया और क्रिकेट खिलाड़ी भी वही रवैया अपनाते हैं.. वैसे होता ढाक के तीन पात है, यह मुझे बताने की जरूरत नहीं है..

खैर लगता है मैं विषय से भटक रहा हूं.. मैं तो बैठा था ब्लौगर हलकान सिंह 'विद्रोही' जी के चेन्नई आगमन के बारे में लिखने, मगर चाय की चुस्कियों में कहीं और खो गया.. हां! तो मैंने बातों ही बातों में शिव जी के पोस्ट का हवाला देते हुये पूछा, "आपके कितने ऐसे ब्लौग हैं जिस पर आप अनाम बन कर लिखते हैं?" मैं सोच रहा था कि यह प्रश्न सुनकर थोड़ा तो सकपकायेंगे, मगर वे तो खी-खी करके हंस रहे थे.. इससे एक सबक सीखा, हिंदी ब्लौगर को निर्लज्ज होना अतिआवश्यक होता है..

वे वैसी ही हंसी हंसते हुये बोले, "कितनों का नाम गिनाऊं? मुझे खुद भी याद नहीं है.. वो तो जब अपना डैशबोर्ड देखता हूं तभी याद आता है.."

"फिर भी! कुछ का तो नाम याद होगा?" मैंने पूछा?

वो एक एक को यादकरके सभी का नाम गिनाना शुरू किये.. ठीक उसी समय मुझे कुछ याद आया और जिसे दो-तीन दिनों से याद करते आ रहे थे मगर बार बार भूल जा रहे थे.. अब क्या करें? ब्लौगिंग करने का हमारा मकसद भी तो यही था.. जो भूली बिसरी बातें हैं उन्हें संजो कर रखने की.. कहीं बाद में फिर से भूल गया तो? मुझे कुछ लिखता देख कर वे सशंकित निगाह से मुझे देखने लगे.. मुझसे पूछे कि क्या लिख रहे हो? मैंने कहा कि कुछ चीजें.. कहीं बाद में भूल ना जाऊं.. मगर वो आश्वस्त नहीं हुये..

मुझे सावधान करते हुये कहने लगे, "ये आप सनसनी फैलाने के लिये मेरे सारे अनाम ब्लौग का नाम लिख रहे हैं.. ये सब यहां नहीं चलेगा.. आप गुटबाजी को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं..&^%$#@...." कुछ अपशब्द सुनकर मैंने उन्हें चेताया कि आप ऐसा नहीं कह सकते हैं.. फिर से खिंसे निपोर कर बोले, "मैं कहां, यह तो बेनामी बोल रहा है.." मैंने यह बात साबित करने के लिये कि मैं उनके अनाम ब्लौग का नाम नहीं लिख रहा था, उन्हें अपना नोटबुक दिखाना चाहा.. मगर वह कुछ सुनने को तैयार नहीं और उसी समय विदा हो लिये..

मेरा मूड खराब हो चुका था.. और मेरे नोटबुक का पन्ना हवा में फड़फड़ा रहा था.. जिसमें कभी-कभी कुछ शब्द लिखे दिख रहे थे..

आटा - 5 किलो..
चावल - 5 किलो..
दाल.......

आखिर आज पहली तारीख है तो राशन का भी इंतजाम करना है..

Related Posts:

  • ना फुरसतिया जी को फुरसत, और ना मुझेफुरसतिया जी चेन्नई आये और चले गये.. लगभग 7 दिन पहले अनूप जी का फोन आया और वो अपने चिर-परिचित अंदाज में बोले, "पीडी, मैं ये देखने चेन्नई आ रहा हूं कि स… Read More
  • एण्ड ब्लू डेविल एट माई एक्साईटमेंटकई साल इसने इंतजार करवाया.. यूं तो मैं बहुत पैसे वाले परिवार से नहीं आता हूं मगर मुझे खाते-पीते परिवार का तो कह ही सकते हैं.. जब बड़ा हुआ और ड्राईविंग … Read More
  • यहां किसे फिकर है मुंबई की?यहां किसे फिकर है मुंबई की? इसे आप व्यंग्य कि तरह लें या फिर सच्चाई कि तरह, मगर आज चेन्नई में यही हो भी रहा है.. यहां लोगों का जीवन चेन्नई में आयी इस … Read More
  • अथ हिंदीभाषी कथा इन चेन्नईपिछली कथा पढ़कर घुघुती जी ने मुझसे यह उम्मीद जतायी कि मैं जल्द ही यहां हिंदी बोलने के ऊपर कि कोई कथा लेकर आऊंगा, तो लिजिये हाजिर हूं.. इसके कयी छोटे-छो… Read More
  • हर तरफ बस तू ही तूउस मोड़ पर खड़ा था मैं फिर.. ये किसी जीवन के मोड़ कि तरह नहीं थी जो अनायास ही कहीं भी और कभी भी पूरी जिंदगी को ही घुमाव दे जाती है.. ये तो निर्जीव सड़… Read More

9 comments:

  1. ये कोई दूसरे हलकान विद्रोही होंगे। असली वाले तो अभी सिर्फ क से शुरु होने वाले नामों के शहरों की सैर कर रहे हैं। मैं तो अपने यहाँ उन का इंतजार कर रहा हूँ।

    ReplyDelete
  2. हलकान भाई चेन्नई कैसे पहुंचे? एयर इंडिया की तो हड़ताल थी. खैर, ब्लॉगर कहीं भी जा सकता है. अच्छा हुआ जो दाल की मात्रा नहीं लिखी. कहीं पांच किलो लिख देते तो हम देखकर बेहोश हो जाते.....:-)

    ReplyDelete
  3. बहुत अच्छा लिखते हैं आप.. लिखते रहें.. हिंदी ब्लौगिंग का नाम आपसे रौशन होगा. आपकी लेखनी को सलाम है :)

    ReplyDelete
  4. सारा ब्लॉगजगत ही हलकानमय है! :)

    ReplyDelete
  5. हलकानमय का अर्थ ढूढ रहा हू।

    ReplyDelete
  6. अम भी हलाकान हैं।

    ReplyDelete

  7. उनके हलाकानपने पर , आप क्यों हलाकान हैं, जी ?

    ReplyDelete
  8. बढिया रही यह भेंट मुलाकात।
    Think Scientific Act Scientific

    ReplyDelete
  9. आज पहली बार आपका ब्लॉग पढ़ा। बहुत अच्छा लिखते हैं आप...

    कभी अवसर मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी आइयेगा..

    ReplyDelete