Friday, October 16, 2009

शीर्षकहीन कविता दिवाली की


जहां हर खुशी से
तुम्हारी याद जुड़ी हो
अच्छा है कि हमने मिलकर
कभी नहीं मनाया,
होली या दिवाली..

अब कम से कम
इन दो त्योहारों पर
तुम्हारी याद तो नहीं आती है..

जैसे उन पहाड़ों से भागता हूं,
जहां घूमे थे हम साथ-साथ
हाथों में हाथ लिये..

सच है, कुछ यादें
बहुत देर तक मारती है..

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12 comments:

  1. प्रशांत, आपको दीपावली की बहुत शुभकामनाएं। त्योहार पर जरा मम्मी-पापा, भाई भाभी को याद करिए, अब भी उसीको याद कर रहे हैं। :-)

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  2. बहुत सुंदर कविता है। और ऐसी है होली और दिवाली के स्थान पर किसी भी पर्व को रख कर उसे स्मरण कर सकते हो।

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  3. आपको और आपके परिवार को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  4. वाह वाह बहुत ख़ूब !

    आपको और आपके परिवारजन को
    दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयां
    एवं मंगल कामनायें.......

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  5. बढ़िया रचना!!

    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    -समीर लाल ’समीर’

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  6. रौशनियों के इस मायाजाल में
    अनजान ड़रों के
    खौ़फ़नाक इस जंजाल में

    यह कौन अंधेरा छान रहा है

    नीरवता के इस महाकाल में
    कौन सुरों को तान रहा है
    .....
    ........
    आओ अंधेरा छाने
    आओ सुरों को तानें

    आओ जुगनू बीनें
    आओ कुछ तो जीलें

    दो कश आंच के ले लें....

    ०००००
    रवि कुमार

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  7. Diwali ka Shubakamanayein :) kya ji, Bhabhi ji ka sapna dekhrahe aap ? aise hi boli..hope u don't mind :)

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  8. दीपोत्‍सव की शुभकामनायें।

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  9. बहाने से यादै कर लिये। दीवाली मुबारक।

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  10. इस दीपावली में प्यार के ऐसे दीए जलाए

    जिसमें सारे बैर-पूर्वाग्रह मिट जाए

    हिन्दी ब्लाग जगत इतना ऊपर जाए

    सारी दुनिया उसके लिए छोटी पड़ जाए

    चलो आज प्यार से जीने की कसम खाए

    और सारे गिले-शिकवे भूल जाए

    सभी को दीप पर्व की मीठी-मीठी बधाई

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  11. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  12. अक्सर त्योहार जिनके साथ मनाते है उनकी याद तो आती ही है ।

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