आज मैं थोडी देर से लगभग 10:30 AM में आफिस पहूंचा। जैसे ही अंदर दाखिल हुआ तो मेरे एक साथी ने बताया कि थोडी देर पहले हमारे कम्पनी के एक दूसरे ब्रांच में बम रखे जाने की धमकी मिली है और उस पूरी इमारत को खाली करा लिया गया है। मैं पहले तो चौंका कि अभी तक चेन्नै बस जयललिता और करूणनिधि के हाथों ही परेशान रहता...
Friday, December 28, 2007
Thursday, December 27, 2007
Wednesday, December 26, 2007
Tuesday, December 25, 2007
ईसाई भारतीय नहीं हैं क्या?
मैं जब से हिंदी चिट्ठाजगत में आया हूं तब से लेकर अभी तक एक बात मैंने पाया है, वो ये कि हिंदी चिट्ठाजगत कुछ विभिन्न ध्रुवों में बंटा हुआ है। जिनमें से दो प्रमुख ध्रुव कम्यूनिस्म और भगवाधारीयों का है। पर एक बात तो जरूर है कि चाहे जो भी मतभेद अलग विचारधाराओं में हों लेकिन एक बात पर दोनों के विचार एक हो...
Sunday, December 23, 2007
Friday, December 21, 2007
इंटरनेट और बढती दूरियां
मुझे आज भी वो दिन याद है जब मेरे पापाजी की घड़ी का समय कुछ आगे-पीछे हो जाता था तो वो बीबीसी के समाचार सेवा का लाभ उठा कर अपनी घड़ी का समय मिलाते थे। फिर वो दिन भी आया जब घर में बुद्धु बक्से का आगमन हो गया और दूरदर्शन के समाचार सेवा का लाभ उठाया जाने लगा।पर अब तो जमाना है गूगल देव का। मैं हर दिन सुबह-सुबह...
Wednesday, December 19, 2007
esnips से करें mp3/wma फाइल डाउनलोड
ज्ञानजी की टिप्पणी पढकर मैंने सोचा कि क्यों ना पहले यही पोस्ट पोस्ट किया जाये। तो चलिये मैं आपको बताता हूं कि esnips से MP3/WMA फ़ाइल कैसे डाउनलोड करते हैं।सबसे पहले मैं आपको बताना चाहूंगा कि ये विधि IE(Internet Explorer) वालों के लिये नहीं है, ये FIREEFOX वालों के लिये है। मगर ये बहुत बड़ी परेशानी कि...
Tuesday, December 18, 2007
YOUTUBE से विडियो डाउनलोड हुआ आसान
आप अकसर youtube पर विडियो देखते होंगे और आप हमेशा ये सोचते होंगे कि काश इन्हें हम डाउनलोड कर पाते। मगर ये समझ में नहीं आता होगा कि इसे डाउनलोड करें तो कैसे करें क्योंकि वहां तो कोई लिंक रहता ही नहीं है डोउनलोड करने के लिये।आपकी समस्या का समाधान लेकर मैं आ गया हूं।आप जब भी www.youtube.com पर कोई विडियो...
Monday, December 17, 2007
दैनिक मजदूर और कम्प्यूटर इंजिनियर
जमाने पहले की बात है...बगल के घर कि सिढी ढलने वाली थी..Uncle ने कहा की उनके बेटे के साथ जा कर Station के पास से कुछ मजदूर ले आऊँ...मैनें पुछा "किसी को भी कैसे रख सकते हैं? किसी को भी कैसे ले आऊँ? कितने मजदूर ले आऊँ?" Uncle ने समझाते हुए कहा.. "1 राजमिस्त्री ले लेना..2-3 कारीगर और 4-5 मजदूर ले लेना.."मैने...
Thursday, December 13, 2007
Monday, December 10, 2007
Sunday, December 09, 2007
जिंदगी किसी के बिना रूकती नहीं
अक्सर यादें आया करती थी,यादों में एक चेहरा था..चेहरे पे एक मासूमियत,और उस मासूमियत में थी मेरी जिंदगी..आज ना वो यदें हैं,ना ही वो चेहरा,और ना ही वो मासूमियत..ऐसा लगता है जैसे वो मासूमियत,कहीं गुम हो गई हो,जीवन के इस वस्तविकता में..उस मासूमियत को,तलाशता फिर रहा हूं हर जगह..पर वि इन प्लस्टिक के चेहरों...
Wednesday, December 05, 2007
Sunday, December 02, 2007
Monday, November 26, 2007
Friday, November 23, 2007
Tuesday, November 20, 2007
Saturday, November 17, 2007
Thursday, November 15, 2007
ययाति
मैं जब घर से चला तो मैंने पापाजी से हमेशा की तरह पूछा, कोई अच्छी किताब मिलेगी क्या? उन्होंने कहा, "उधर रैक पर से कोई सा भी उठा लो"। मेरी नजर सबसे पहले ययाति पर पड़ी और मैंने उसे ही उठा लिया और पापाजी से पूछा कि ये कैसी है, और उनका उत्तर सकारात्मक पा कर मैं उसे लेकर घर से निकल पड़ा। इधर कुछ दिनों से मुझे...
Friday, November 02, 2007
Monday, October 29, 2007
Friday, October 26, 2007
Wednesday, October 24, 2007
Tuesday, October 23, 2007
Wednesday, October 17, 2007
Sunday, October 07, 2007
एक बीता हुआ कल
आज-कल ना जाने क्यों अकेलेपन का एहसास कुछ अधिक ही बढ गया है। कहीं भी जाऊं बस खुद को भीड़ में अकेला महसूस करता हूं। मुझे चेन्नई में दो जगहें बहुत अधिक पसंद है। मुझे पढने का बहुत अधिक शौक है और मुझे जो भी मिलता है वही पढ जाता हूं, चाहे वो तकनिक से संबंधित कोई जानकारी हो या फिर साहित्य से संबंधित या व्यवसाय...
Saturday, September 29, 2007
Monday, September 24, 2007
"सामर्थ्य और सीमा" के कुछ अंश
'टन-टन-टन' घड़ी ने तीन बजाये और चौंककर मेजर नाहरसिंह ने अपनी आंखें खोल दीं। अब मेजर नाहरसिंह को अनुभव हुआ कि रात के तीन बज गये हैं। दिन निकलने में कुल दो घण्टे बाकी हैं। कितनी तेजी के साथ यह समय बीत रहा है। इस समय को सेकण्ड, मिनट, घण्टे, दिन-रात, महीनों, वर्षों, सदियों, युगों और मन्वन्तरों में विभक्त...
Saturday, September 22, 2007
कल्पनायें
आज अपने एक मित्र से बात कर रहा था तो वो युं ही मज़ाक में बोली थी कि अब बस इमैजिनेट करते रहो, उस समय मन किसी और ही भंवर में फ़ंसा हुआ था और मन ही मन में ये कुछ शब्द उभर आये जो मैं यहां लिख रहा हूं।असीमित इच्छाओं की उड़ान,जैसे पंछियों का गगन में उड़ना,मगर ये मानव मन की उड़ान,कुछ अलग है उनसे..जैसे,निर्जीव 'औ'...
Wednesday, September 12, 2007
कुछ कविताऐं दोस्तों की तरफ़ से
मैंने आज का अपना ये पोस्ट अपने इंटरनेट के मित्रों के नाम किया है जो अपने आप में एक अनूठे व्यक्तित्व के स्वामी हैं। एक का नाम है वंदना त्रिपाठी और दूसरे हैं सजल कुमार। दोंनो ही अपने आप में कई खूबियों को समेटे हुये हैं। वंदना जी से मैं सबसे पहले दिसम्बर महीने में मिला था और सजल जी से मैं कब मिला मुझे...