आज मेरी एक मित्र ने मुझे ये कुछ पंक्तियां ईपत्र के द्वारा भेजा तो बचपन कि कुछ याद ताजा हो गयी और सोचा की क्यों ना आप लोगों को भी वापस बचपन में लौटने का मौका दूं। सो मैं ये पत्र यहां भेज रहा हूँ। वंदना जी को पत्र भेजने के लिये सह्रिदय धन्यवाद।
मछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी है।
हाथ लगाओ डर जायेगी
पोशम्पा भाई पोशम्पा,
सौ रुपये की घडी चुराई।
अब तो जेल मे जाना पडेगा,
जेल की रोटी खानी पडेगी,
जेल का पानी पीना पडेगा।
थै थैयाप्पा थुश
मदारी बाबा खुश।
झूठ बोलना पाप है,
नदी किनारे सांप है।
काली माई आयेगी,
तुमको उठा ले जायेगी।
आज सोमवार है,
चूहे को बुखार है।
चूहा गया डाक्टर के पास,
डाक्टर ने लगायी सुई,
चूहा बोला उईईईईई।
आलू-कचालू बेटा कहा गये थे,
बन्दर की झोपडी मे सो रहे थे।
बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,
मम्मी ने पैसे दिये हंस रहे थे।
तितली उडी, बस मे चढी।
सीट ना मिली,तो रोने लगी।
driver बोला आजा मेरे पास,
तितली बोली " हट बदमाश "।
चन्दा मामा दूर के,
पूए पकाये गूड़ के।
आप खाएं थाली मे,
मुन्ने को दे प्याली मे।
Hi PD
ReplyDeleteaap mere ek scrap ko itna importance denge iski mujhe umeed nahi thi..
well wud like to thank u for it...
Hi Vandu..
ReplyDeleteApako Thank you bolne ki jaroorat nahi hai.. kyonki mujhe pata hai ki maine sahi chij ko sahi jagah daala hai.. :)