Friday, June 04, 2010

ब्लाह..ब्लाह..ब्लाह..

"मैं बहुत कम बोलती हूं ना, सो कभी-कभी बहुत दिक्कत हो जाती है.." पिछले दस मिनट से लगातार बोलते रहने के बाद एक लम्बा पॉज देते हुये वो बोली..

कुछ दिनों से लग रहा है कि हिंदीभाषी अब धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं मेरी कंपनी में, आज से तीन साल से तुलना करने पर उत्तर भारत के अधिक लोग दिखाई पड़ते हैं अब..

"मुझे यहां कोई हेल्प नहीं किया, जो कुछ अभी आता है वो सब खुद से ही करके सीखे हैं.. अरे, मैं भी कैसी हूं ना! तभी से खा रही हूं और आपसे पूछा भी नहीं.. मेरे बगल में बैठती है ना, क्या नाम है उसका? हां *******.. अभी परसों कुछ पूछे तो डांट दी.. मुझे रोना आ गया.. अब आप ही बताईये, आपसे कोई पूछता है तो आप उसे डांट दोगे क्या? आता है तो बता दो, आपका क्या जाता है.. नहीं आता है तो वही बोल दो.. और अगर टाईम नहीं है तो यही बोल दो.. डांटने कि क्या जरूरत है? अरे ये गट्टा आपको कैसा लगा? मम्मा बनाई है.. बहुत अच्छा बनाई है.. चावल का है, बेसन का नहीं.."

वो लगातार बोले जा रही थी.. पिछले तीन महिने से वो मेरे ही प्रोजेक्ट में मगर एक दूसरी टीम में एज अ ट्रेनी ज्वाईन की है.. हर दिन दोपहर साढ़े तीन बजे के लगभग मैं कैंटीन में जूस पीने जाता हूं, आज वह थोड़ी देर से खाना खाने आयी थी तो मुलाकात हो गई.. अमूमन इस समय कोई कैंटीन में होता नहीं है, मेरे इसी समय जाने कि असल वजह थोड़ी देर अकेले बैठने की ख्वाहिश होती है और उस समय पापाजी को अक्सर फोन भी किया करता हूं.. उसने साथ बैठने का ऑफर दिया तो मैंने मना नहीं किया.. पहली बार गौर से देख भी रहा था.. अगर दूरदर्शन के गुमशुदा तलाश केंद्र वाले उसके बारे मे बताते तो वह कुछ ऐसा होता - "कद पांच फुट दो इंच, रंग गेहुवा और चेहरा गोल है, दायें आंख के ऊपर कटे का निशान है.." :D

"मेरे साथ सबसे बड़ी प्रोब्लेम ये है कि मुझे जो आता है वो मैं समझ सकती हूं, मगर दूसरे को समझा नहीं सकती हूं.." अब अगर किसी दूसरे कि बातें अपनी सी लगती है तो आश्चर्य नहीं होता.. अब लगता है कि हर कोई किसी ना किसी मायने में हर किसी सा ही होता है.. "बचपन से चेन्नई में हूं मगर तमिल में परफेक्शन अभी तक आया नहीं है.. और चाहे कुछ भी, मगर अपने लोगों का एक्सेंट इनसे अलग होता है, सो कई बातें कहना कुछ और चाहते हैं और ये समझते कुछ और हैं.." हम्म्म!! ये भी अपना भोगा सत्य है.. मगर तीन साल में ही इससे मुझे निजात मिल गई है.. यह तो बचपन से है, अभी तक अपना एक्सेंट बदल नहीं पायी है.. हद्द है भाई.. "मुझे यहां काम करने में बिलकुल मन नहीं लगता है, मुझे जो टेक्नोलोजी पसंद है उस पर काम नहीं करा के मुझे विजुअल बेसिक पर काम दे रखा है.. मुझे जावा पसंद है.." यह कौन सी नई बात है.. यहां तो हर दुसरे प्रोजेक्ट में जाने पर एक नई टेक्नोलोजी पर काम करना पड़ता है.. मगर सोचने कि रफ़्तार बढती ही जा रही थी, वैसे भी अगर आप बोल नहीं होते हैं तो कुछ सोच रहे होते हैं..

वहां से उठने से पहले मैंने उसे सिर्फ इतना ही कहा कि अगर कोई भी डांटे तो उसी समय उसे बोल दो कि "यू शुड नॉट टॉक विथ मी लाईक दिस. इफ यू हैव एनी प्रोब्लेम देन गो थ्रू प्रोपर चैनल..".. "ओह!! ऐसा होता है क्या?".. "हां! कोई ऐसे ही किसी को नहीं डांट सकता है.. चाहे कोई भी हो, CEO ही सही.. कम से कम इस कंपनी में तो ऐसा ही है.."

अभी कुछ दिनों पहले मेरा एक मित्र भी कुछ ऐसे ही सवाल पूछ रहा था और शिकायत कर रहा था कि कोई मदद भी नहीं करता है.. शुरूवात में मेरी भी यही समस्या थी.. अब लगता है कि मैं इन सबसे ऊपर उठ चुका हूं.. ;)

जिस तरह से लगातार बोले जा रही थी, उससे तो मैं इसी बात पर खुश हूं कि मुझे इस तरीके का कोई सवाल नहीं पूछना पड़ा कि "हां बसंती, तुम्हारा नाम क्या है?" :D

55 comments:

  1. अब हम क्या कहें? कहेंगे तो कहोगे की कितना कचर कचर करती है ये लड़की? लेकीन अब क्या करें...बिना बोले तो खाना भी नहीं पचेगा..इसलिए बोल ही देते हैं...अब इसको तुम ये मत समझना की एहसान कर रहे हैं...एहसान कुन करेंगे भला? तुम दोस्त हो...दोस्त पे कोई एहसान करता है क्या? कम से कम हम तो नहीं करते....तुमको जो लगता है लगे..."हू केयरस?" हुंह!!! बड़ा आये न तो....

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  2. बहुत शानदार...अंत तक बाँध कर रखा..... एक सांस में ही पढ़ गया.....

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  3. अजी ये बोलने वाले ही तो माहोल को खुशनुमा बनाते हैं आप क्‍या जानो खामोशी का दर्द। अभी मैं अमेरिका हूं और रोज गपियाने वाला तलाशती हूँ जब नहीं मिलता तो महफूज जैसे पुत्तर स बात ही कर लेती हूँ। बहुत ही आनन्‍ददायक पोस्‍ट।

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  4. एक कार्टून सीरियल आता है, पॉवर पफ गर्ल(दूसरों के लिए, मुझे पता है कि स्तुति जानती है इसके बारे में) :).. उसमे एक विलेन कैरेक्टर है "मोजो-जोजो" उसका एक डायलोग मेरे पाठकों कि खिदमत में पेश है : मैं हूँ मोजो जोजो.. मैं अच्छा बिलकुल नहीं हूँ.. क्योंकि मैं विलेन हूँ.. मैं बोलता भी बहुत कम हूँ.. क्योंकि बोलने से सोच नहीं पाता हूँ.. मैं बोलता कम हूँ सोचने के लिए.. सोचूंगा तभी दुनिया को बर्बाद कर पाऊंगा.. मुझे अच्छाई बिलकुल पसंद नहीं है.. क्योंकि मैं विलेन हूँ.. मुझे फालतू कि बकवास करना भी अच्छा नहीं लगता है.. उफ्फ़ ये पॉवर पफ लड़कियां.. मुझे उन्हें हराना है.. रास्ते से हटाना है.. ये कविता जैसी भले लग रही हो, मगर ये है नहीं.. क्योंकि एक विलेन कविता नहीं लिखता है.. और मैं एक विलेन हूँ.. मुझे कम बोलने वाले पसंद हैं.. क्योंकि मैं भी कम बोलता हूँ.. ब्लाह ब्लाह ब्लाह.....

    मोजो जोजो के इस डायलोग को 30 सेकेण्ड में बोलने कि कोशिश करें.. उस सीरियल में उसके ऐसे ही डायलोग लगातार 30 मिनट तक चलते रहते हैं.. ;)

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  5. I love Power Puff Girls!! They are so cute!! :)

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  6. गुमशुदा तलाश केन्द्र,
    नई कोतवाली
    दरियागंज
    नई दिल्ली ११०००८

    दूरभाष क्रमांक हैं: याद नहीं,

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  7. हम आ रहे हैं थ्रू प्रॉपर चैनल। वैसे तुम्हारा नाम क्या है पीडी?

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  8. मुझे तो डर है कहीं वो कभी आपका ब्लॉग ना खोल के देख ले.. :D

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  9. .
    का रे पीडिया.. ऒह सारी सारी,
    का रे पुछरू , कैंन्टिनवा में जाके ई तुम कौन सा जूस पी आता है कि एतना ले बेधड़ाक सब लिख देता है ?
    पहिले हमको ई सिक्रेट बताओ तबहिं कोनो टिपणी ऊपणी देंगे !

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  10. डर तो मुझे भी है.. क्योंकि महीने भर पहले बोली थी कि मेरा ब्लॉग एक दिन पढेगी.. :D

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  11. सपोटा का जूस पिटे हैं डेली.. अठारह रूपये का.. :)

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  12. सपोटा क्या होता है भाई?

    और पैगाम-ए-मोहब्बत वाला लिंक मिला कि नहीं?

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  13. सपोटा चीकू को ही कहते हैं..
    और हाँ, वो लिंक मिल गया.. पार्ट १ डाउनलोड कर लिए हैं.. पार्ट २ चल रहा है.. उसे चलता ही छोड़ कर सोने जा रहे हैं.. :)

    थैंक यू-वैंक यू मेल पर बोलेंगे.. :D

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  14. आईये जाने ..... मन ही मंदिर है !

    आचार्य जी

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  15. पोस्ट तो मजेदार है ही, मोजो-जोजो वाली टिप्पणी अपने को उससे भी इक्कीस लगी।
    फ़ॉलोएबल आईटम है ये मोजो-जोजो:)

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  16. आपमें शरतचन्द्र बनने का पोटेंशियल है -सच कहता हूँ पी डी ....नारी पात्रों पर आपकी कलम धडल्ले से चलती है ... :)

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  17. इतना बोलकर कम बोलने की अदा भी क्या अदा है ....
    रोचक प्रस्तुति ...!!

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  18. बोलेगा तो , बोलोगे कि बोलता है …
    "ब्लाह..ब्लाह..ब्लाह.."
    रोचक लिखा है , बधाई !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  19. रोचक.
    अरसा हुआ अपने साथ भी ऐसा कुछ हुए. कुछ-कुछ होता रहे तो लाइफ बेस्वाद नहीं होती. अब तो वही मोनोटानी सो है.

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  20. अरविद मिश्र जी की टिप्पणी मेरी भी मानी जाय।

    वैसे आई टी में काम के मामले में सब जगह यही हाल होता है....खुद से ही सीखना होता है...किसी को फुरसत नहीं होती सिखाने के लिए, बताने के लिए.....बहुत सारी बाते हैं। आपके लिखे इन अनुभवों से मुझे भी अपने कई टाईम कंन्सट्रेंट्स और प्रोजेक्ट बेस्ड टेक्निकल हैंडिकैप्नैस से जुडी बातें याद हो आई :)

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  21. हा हा हा ...क्या अजीब पोस्ट है...:)
    मस्त..

    और अभी कुछ सोच ही रहा था कमेन्ट करूँ की स्तुति और तुम्हारा कमेन्ट देखा....
    तुम अभी भी कार्टून देखते हो भाई ...:)
    और स्तुति भी देखती है :P

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  22. प्रशांत जी, एक हमारे मित्र थे । उनकी समस्या यह थी कि उनसे बात करते करते सब उनको अपनी समस्या बताने लगते थे । समस्यायें तो बहुत हैं जीवन में सबकी, समाज की, देश की, पर जब वो समस्यायें आपको भावुक करने लगें तब आपकी समस्या बढ़ने लगती हैं ।
    जो सुनने की क्षमता रखते हैं, वही लोगों को समझ सकने का अधिकार भी रखते हैं । आपके चेहरे में, व्यक्तित्व में वह निश्छलता होगी कि लोग अपना गुबार उड़ेलने को तैयार बैठे रहते हैं । भड़भड़ाईये नहीं, कल आपको देश की व्यथा-कथा भी सुननी पड़ सकती है ।

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  23. .
    women speak a lot..

    I agree !

    Unfortunately i never met a man who's presence can make my heart miss a beat and stop me from blabbering..blah blah bla...

    In a monotonous company, to break the boredom, they are left with no better option than to blabber..blah blah bla..

    Divya

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  24. बाह बाह. बढ़िया लिखे हो.

    अच्छा ब्लॉगर होने का यही सबसे बड़ा खतरा है. कोई मिलेगा उसको बाकी बातें बात में बताते हैं, पहले यह बताते हैं कि; "मेरा एक ब्लॉग भी है." इसमें डरना क्या है? वह नहीं पढेगी. जिसे गत्ता की सब्जी में इतना इंटरेस्ट है वह ब्लॉग नहीं पढ़ेगी.

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  25. पीडिया... :)
    मोजो जोजो से परिचय है हमारा भी.. बहुत सही लिखे हो.. ऐसा ही कुछ टिपियाये भी हो हमारे ब्लॉग पर वो लव स्टोरी वाली पोस्ट पे.. खैर तुम आजकल बहुत जल्दी जल्दी लिख मार देते हो हम जैसे आलसी पढेंगे कैसे.. सोचते है एक दिन छुट्टी मारके ba ची हुई सारी पोस्ट पढनी पढेगी.. तब तक इस टिपण्णी से काम चलाओ..

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  26. चलो तुम्हे एक साथी मिला... 'सपोटा जूस' साथ साथ पीने के लिए...

    मौज करो...

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  27. badhiyan aapko bhi dar lagta hai humen nahi pata tha........

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  28. राम राम ..भैया आप उ गन्दा सा दिखने वाला चीकू का रस पीते हैं ..मीठा भी कितना होता है ... :D

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  29. भइया ई चीकू के रसवा का असर है जो इतनी मिठास है आपकी भाषा में. हम चीकू के रसवा की चर्चा करना भूल गए थे इसलिए वापस आये टिपण्णी करने के लिए. ई लवली याद दिला दी हमको कि चीकू पर भी बात करना है. अब देखिये वैसे तो चीकू इतना मीठा होता है कि उसकी बात क्या करें? लोगों को मीठा कम और नमकीन ज्यादा अच्छा लगता है. आ ऐसे में कहाँ आता है चीकू का नंबर. बाकी नंबर एक लिखते हो. और जैसा कि कुश बोले हैं; बहुत तेजी से लिखते हो. अब ऐसे तेजी से लिखने पर तेज टिप्पणी कैसे की जा सकती है? तेज चाय का माफिक तेज टिप्पणी. क्या मैं ज्यादा लिखे जा रहा हूँ? क्या कहा? ज्यादा लिखे जा रहा हूँ. ना ना ...ये ना ना पढ़ते समय कादर खान जी को विजुयेलाईज करना..:-)

    अच्छा अमरुद और खीरा कट कर आ गया है. हम चले उसे खाने.

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  30. तो आप इन सब चीजों से उपर उठ चुके हैं पीडी बाबू, एक आत्मसंतुष्टि का भाव आया होगा न मन में।

    सार यह कि आप एक अच्छे, बहुत अच्छे श्रोता हो, कहां मिलते हैं अब ये अच्छे श्रोता टाइप के इंसान ;)

    टीवीये हम देखते बहुतै कम देखते हैं लेकिन एक बार देखा है या पावर पफ गर्ल, हमरा भतीजा देख रहा था सो हम भी झेल लिए थे।

    बाकी लेखनी तो मस्त है आपकी, अरविंद मिश्र जी से असहमत होने की कोई बात ही नहीं है।

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  31. तुम्हारी कलम तो नारी पात्रों पर चलती है. लेकिन अरविन्द जी की कलम? उनकी कलम नारियों पर ही चल जाती है.....:-)

    बड़ी जबर पोस्ट है. तीन बार आना पड़ा कमेन्ट करने के लिए.

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  32. बहुत बढ़िया लिखा है रोचक

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  33. सच में बड़ी जबर पोस्ट है ..हम भी दो बार आये कमेन्ट करने .. :-)

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  34. और हम पांचवी बार.. :D

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  35. ye lo..mera bhi dusra comment :)

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  36. भाई, बचपन से तमिलनाडुहृदयस्थलाश्रिता होकर भी जब साफ़ तमिळ न बोल पाने वाले को हिन्दीभाषी-श्रोता मिलेगा तो कम बोलने वाला भी ऐसे ही बोलेगा।

    मगर एक बात है, सोच जगा दी आपने, और सोच से यह निकला कि जब आप बोल नहीं रहे होते तो सोच रहे होते हैं, चलेगा। पर कुछ लोग बोलते हुए भी सोच लेते हैं या सोच रहे होते हैं, यह भी तय है।

    और जो बज़ पे लिख आए हैं अपनी आदत के बारे में, उसका खुलासा यहाँ किए जाते हैं। वो आदत है पूरी पोस्ट पढ़ने की, सारी टिप्पणी सहित।
    मगर उस आदत का फ़ायदा भी मिल जाता है - जैसे आज मिला - पता चला कि मोजो-जोजो ने अपना निकनेम "आचार्य जी" रख लिया है। :)

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  37. अच्छी पोस्ट

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  38. अरे PD भाई
    आज कुछ ऐसे ही सुनने की जरुरत थी. यहाँ बड़ा शांत शांत चल रहा है सब कुछ.

    (वैसे मुझे विजुअल बेसिक पर काम ज्यादा पसंद है लेकिन मैं कुछ और ही कर रहा हूँ.) जिंदगी में बहुत कम लोग अपने मन का काम कर पाते हैं... ये एक अजीब सचाई है.

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  39. लेख खुलने में दिक्कत आ रही है न पढ़ सका। टिप्णियां पढकर लगा आपने बहुत रोचक लिखा है।

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  40. अब हम कहेंगे तो कहोगे कि हम कहते हैं ...
    इसलिए हम कुछ नहीं कहेंगे...
    हाँ नहीं तो...

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  41. बबुआ… इसे कहते हैं ब्लागिंग… (ऐसा मैं दूसरे को आपका ब्लॉग दिखा कर कह रहा हूं॥) :)

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  42. बढ़िया है लगे रहिये, यह सब तो आई.टी. कंपनियों में चलता ही रहता है, हाँ ये सपोटा जूस से हमें जलन हो रही है, कि केवल ये पीडी के पेट में ही जाता है वह भी साढ़े तीन बजे, और वो भी आती है खाना खाने लगता है कि टाईम उही सेट की है, आपके जूस के टाईमिंग से :D

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  43. बहुत सही प्रशान्त भाई....

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  44. ए परसांत ,
    ई सपोटवा गटक के अपनी छोटी से दुनिया में केतना बवाल बवाल पोस्टवा ठेलते हो । इहां तो ससुर दिल्ली पुलिस कुसियार रस (गन्ना जूस जी ) पर भी बैन लगा दी है , कहती है कि उसको खुले में रखने से दस्त लग जाता है ,बताओ साला गजबे दलील है । का बताएं ईयार , बहुते प्रिराब्लम है ई मेट्रो सबका ।

    और ई कौन कार्टून बोले हो , हम तो आज तकले टौम एंड जैरी को ही देखते रहते हैं , नयका वर्जन का भी जोर शोर से तलाश रहे हैं , का होगा जादे से जादे तनिक उ जैरिया और बदमाश हो गया होगा औउ का ।

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  45. फिल्म- देशप्रेमी
    गीत-महाकवि आनन्द बख्शी
    संगीत- लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल
    नफरत की लाठी तोड़ो
    लालच का खंजर फेंको
    जिद के पीछे मत दौड़ो
    तुम देश के पंछी हो देश प्रेमियों
    आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों
    देखो ये धरती.... हम सबकी माता है
    सोचो, आपस में क्या अपना नाता है
    हम आपस में लड़ बैठे तो देश को कौन संभालेगा
    कोई बाहर वाला अपने घर से हमें निकालेगा
    दीवानों होश करो..... मेरे देश प्रेमियों आपस में प्रेम करो

    मीठे पानी में ये जहर न तुम घोलो
    जब भी बोलो, ये सोचके तुम बोलो
    भर जाता है गहरा घाव, जो बनता है गोली से
    पर वो घाव नहीं भरता, जो बना हो कड़वी बोली से
    दो मीठे बोल कहो, मेरे देशप्रेमियों....

    तोड़ो दीवारें ये चार दिशाओं की
    रोको मत राहें, इन मस्त हवाओं की
    पूरब-पश्चिम- उत्तर- दक्षिण का क्या मतलब है
    इस माटी से पूछो, क्या भाषा क्या इसका मजहब है
    फिर मुझसे बात करो
    ब्लागप्रेमियों... आपस में प्रेम करो

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  46. बहुत बोलने वाली लड़की...के बारे में प्रवीण जी की टिप्पणी अच्छी लगी. तुम ऐसे हो ही कि किसी का भी दिल तुमसे अपनी समस्याएं बाती डालने को करने लगे. सपोटा का जूस पीते हो तभी इतने मीठे हो...कुछ खा भी लिया करो नहीं तो दुबले ही रह जाओगे :-) good one P.D.
    मैं इतने दिन से कोई ब्लॉग नहीं पढ़ पा रही थी और तुमने इत्ता सारा लिख डाला अच्छा अच्छा... बड़ा टाइम लगेगा इन्हें निपटाने में.

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  47. सुधार---बाती को 'बता' पढ़ा जाए.

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  48. पीडी यू नो,तुम बड़े घाघ हो..

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  49. मैंने यह पोस्ट लिखी और हैदराबाद चला गया.. कुछ लोगों कि बात पर मुझे भी कुछ कहना था मगर आलस्य ने घेर लिया.. आज बड़ी मुश्किल से आलस्य से पीछा छुडा कर आया हूँ.. :)

    @ मो सम कौन - जी बिलकुल.. यह मोजो जोजो है ही मस्त आयटम.. बिलकुल फोलो करने लायक.. मगर यह रात के ढाई बजे कार्टून नेटवर्क पर आता है.. :)

    @ अरविंद सर - हम सब समझ रहे हैं.. शरतचंद्र के बहाने आप हमको चने कि झाड पर चढा रहे हैं.. :)

    @ अभिषेक - अरे, कैसे दोस्त हो हमारे तुम.. हम कार्टून देखते हैं और तुम नहीं देखते हो.. "ये अच्छी बात नई है"(इसे पढते समय वाजपेयी जी को ध्यान में रखा जाये ;))

    @ प्रवीण जी - हर मनुष्य कि तरह मुझे भी अपनी तारीफ़ अच्छी लगती है, सो धन्यवाद.. मगर सच्चाई तो मेरे आस पास के लोग ही सही सही बता पाएंगे.. :)

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  50. @ Zeal(Divya) - I wish, very soon you will get someone who will stop you from blabbering. :)

    @ शिव भैया - सच्ची में सही बोले हैं आप.. दस दिन से ऊपर हो गया है इस पोस्ट को आये हुए, और डेढ़ महीना से ऊपर हो गया है उसको अपना ब्लॉग पता दिए हुए.. मगर उसका कोई अत पता नहीं है.. :( और कादर खान को Visualize जितना बार किये हैं उतना बार हँसे हैं.. :D

    @ लवली - तुम्हारा चीकू वाले कमेन्ट से हमको अपने एक मित्र का कमेन्ट याद आ गया जो मेरा एक फोटो देख कर बोली थी "ए राम!!! कितना बढ़िया फोटो आया है.." हमको समझ में ही नहीं आया कि बुराई कर रही है कि तारीफ.. :D

    @ कुश - देखो भाई, तुम्हारे कारण से मैंने इतने दिनो से नहीं लिखा है.. अगर पढ़ लिए हो तो बताओ.. आगे कुछ लिखा जाए.. :)

    @ रंजन भैया - हमको तो उस समय अकेलापन चाहिए, सो हमने अपना समय आधा घंटा और बढ़ा लिया.. :)

    @ अन्जुले - कभी कभी डरना भी पड़ता है दोस्त.. :)

    @ संजीत त्रिपाठी जी - hi hi hi... :D आप ये तो बताये ही नहीं कि आपको कैसी लगी थी Power Puff Girls?

    @ हिमांशु जी - सच में जी, लगता है मोजो जोजो का ब्लोगरिया अवतार आचार्य जी ही हैं.. हा हा हा... :D

    @ सुलभ जी - सही बात है, मैं भी कौन से अपने मन लायक चीज पर काम कर रहा हूँ.. मुझे तो हार्डवेयर प्रोग्रामिंग अच्छी लगती है और काम कर रहा हूँ ERP डेवेलपमेंट पर.. हाँ मगर मैं अब लैंग्वेज जैसी चीजों से भी ऊपर उठ चूका हूँ.. ;)

    @ सुरेश चिपलूनकर जी - आपका कमेन्ट पढ़ कर ऐसा लगा कि मेरा ब्लॉग लिखना सफल रहा.. :)

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  51. @ सुनील दत्त जी - मैंने लगभग हर ब्राउजर पर अपने ब्लॉग को चेक किया, मगर मुझे कहीं समस्या नहीं आई.. आप किस OS और ब्राउजर का उपयोग करते हैं, जरा खुल कर बताएं तो मैं हल करने कि कोशिश करूँ..

    @ विवेक भैया - हमने अपना टाइमिंग को मिस-टाइमिंग बना दिया, अब तो खुश होंगे ना आप? :P हाँ मगर सपोटा अभी भी मेरे ही पेट में जाता है.. :)

    @ अजय भैया - हम तो कहते हैं कि आप भी चेन्नई ही आ जाईये.. दिल्ली में रहिएगा तो कुसियार के जूस पर ही कपाड फोडना पड़ेगा.. :D

    @ आराधना - Thanks दोस्त.. :)

    @ विनीत - ही ही ही.. बड़ी जल्दी पहचान गए रे भईवा.. :D

    आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद यहाँ आने के लिए..

    और अंत में बला टली, पॉवर पफ्फ़ गर्ल्स कि बदौलत.. ;)

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