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गूरू लोग अपन गूरूपनी झाड़ले चलते हैं कि बेटा खूब मेहनत करो.. बड़का औफिसर बनोगे.. पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे त होगे खराब.. एक्को गो नसिहत काम नहीं आता है.. दोस्त लोग के साथ लंद-फंद देवानंद बतियईते चलते हैं.. अबकी इंटरभ्यू में ई सब पुछिस थी ऊ एच.आर. अऊर टेक्निकल बला राऊंड तक त पहुंचबो नहीं किये.. जाने कौन बतवा पर खिसिया गई थी? बड़ा खीस पड़ता है ई सब देख के..
इंटरभ्यूयो के त अलगे एक्सपिरिंस है.. केतनो सही जवाब दो, ई त पूछे बला पर डिपेंड करता है कि उसको क्या अच्छा लगे? केकरो के सामने त हवाबाजिये में काम चल जाता है और कोई जन त केतना भी बढ़िया से केतना भी राईट बोलो, ऊ बिदकर कर उदबिलाऊ बनले फिरता है.. बेसी अलाय-बलाय बकने का भी अलगे नुकसान हो जाता है.. इससे बढ़िया त रात में कोनो सड़क के कोना कात में जाते समय मच्छड़ भंमोड़े, ऊ जादे बढ़िया लगता है..
ऑफिसवा में सबको कम से कम आठ घंटा का काम चाहिये.. ऊपर से हरमेसा एक-दू ठो सर्टिफिकेशनवा के तलवार लटकईले फिरते हैं.. डेली दू घंटा ऑफिस में उसके लिये निकालो त दू-चारे दिन बाद बॉस हवा-पानी खराब करने के फिराक में दिखने लगे.. बेटा अपन चरचकिया पर घूमे एतना ईजी नहीं होता है..
बड़का ज्ञानी लोग वईसे भी बोल गये हैं - "समय से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को कुच्छो नहीं मिलता है.." हम ई सब सुन कर चद्दर तान कर हाथ में टी.वी. का रिमोट लिये और आंख पर चस्मा टांगे डेढ़-दू बजे तक सुत जाते हैं.. ई सोचते हुये कि कहियो त हमरो किस्मत चमकेगा.. हमरो भाग्य का नीक टाईम आयेगा.. भारत अईसे ही भाग्यवादीयों का देश नहीं कहलाता है.. हर कदम पर भाग्य जैसन कुछ ना कुछ सुनने को मिल ही जाता है..
कुल मिला कर कालेज से लेकर अभी तक का पूरा गप्प सार्ट में लिख दिये हैं..
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ReplyDeleteखूब ठेले हो..कतई मौज में आकर ........
ReplyDeleteहम भी अब सूतने जा रहे हैं :)
ReplyDeleteकालेज से लेकर नौकरी तक कतना समय बिताए हो जी...आ एके पोस्ट में लपेट लुपेट कर धर दिये...हम होते तो एक पोस्ट का..एक ठो नयका ब्लोग बना डालते...समझे कि नहीं, अरे कहे के मतलब है कि एतना से काम न न चलेगा बाबू...और बतियाओ..लंद फ़ंद...
ReplyDeleteअजय कुमार झा
एतना भी सार्ट मत कीजिये थोड़ा डेटेल मे चलेगा ।
ReplyDeleteइतना कंजूसी ठीक नही है पीडी।
ReplyDeleteका भैयाजी, एक्के पोस्ट में पूरा जवानी तक का सफ़र लपेट के धर दिए हैं, आगे के लिए कुछो छोड़वे नहीं किये हैं, वैसे बहुते सही लिखे हैं भैयाजी..बधइयो ले लीजिये !
ReplyDeletebhaiya padhne ka man nahi tha tab bhi padha....
ReplyDeletetipyane ka man nahi tha tab bhi tipyaye hain....
ऑफिसवा में सबको कम से कम आठ घंटा का काम चाहिये.. ऊपर से हरमेसा एक-दू ठो सर्टिफिकेशनवा के तलवार लटकईले फिरते हैं.. डेली दू घंटा ऑफिस में उसके लिये निकालो त दू-चारे दिन बाद बॉस हवा-पानी खराब करने के फिराक में दिखने लगे.. बेटा अपन चरचकिया पर घूमे एतना ईजी नहीं होता है..
are saala....
e to hum likhne wale the !!
par aapne to pehle hi hamari dil ki baat copy kar li....
e to bhai copy right act ka ullnghan hai !!
waise jo uppar likhe ho ,
bilkul hamare ehsaas nikal ke rah diye post main aapne !!
बेसी शार्ट हो गया, एतना लम्बा कहानी रहा है, चपेट दिए हो तनी गो के पोस्ट में , एकरा तनी बढ़ावा हो! मन न भरल :)
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