Wednesday, October 17, 2007

फ़ुरसत के रात दिन


ये मनुष्य का प्राकृतिक गुण होता है कि जब उसके पास काम होता है तो वो चाहता है की कैसे ये काम का बोझ हल्का हो, और जब उसके पास कोई काम नहीं होता है तो वो चाहता है कि कोई काम मिले। आज-कल मैं भी कुछ ऐसी ही अवस्था से गुजर रहा हूं। पहले सोचता था कि कुछ काम का बोझ हल्का हो, और पिछला प्रोजेक्ट खत्म होने पर जब फ़ुरसत ही फ़ुरसत है तो सोचता हूं कि दफ़्तर में कुछ तो काम मिले। पहले मेरे कार्यालय जाने का समय सुबह 7-8 बजे के आस-पास था और वापस लौटने का समय कोई निश्चित नहीं था और आज-कल सुबह आराम से 10-11 बजे तक निकलता हूं और दोपहर में ही 3-3:30 तक वापस आ जाता हूं। सामान्य साफ्टवेयर प्रोफेसनल के बोल-चाल की भाषा में इसे बेंच पर बैठना कहते हैं। पहले सुनता था अपने दोस्तों से की मुझे अभी बेंच पर बैठा रखा है, कोई काम नहीं है, और मैं अक्सर उन्हें चिढाता था कि सही है, बैठे बिठाये पैसा मिल रहा है सो मस्ती करो। और जब खुद खाली बैठ रहा हूं तो परेशान हो रहा हूं। सबसे ज्यादा TCS कोलकाता में जो मेरे मित्रगण हैं, उन्हें बेंच पर बिठा रखा है।
अभी कुछ दिन पहले की बात है, मेरे पास कोई काम नहीं था और कोई कम्प्यूटर टर्मिनल भी नहीं मिला हुआ था। ट्रेनिंग रूम में बैठना हो रहा था। वहीं के एक कम्प्यूटर पर बैठ कर मैं ज्ञानदत्त जी का और सारथी जी का चिट्ठा पढ रहा था। तभी मेरी बात अपने सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर से हुई जो कुछ दिलचस्प थी। हमारी बातें कुछ यूं हुई थी:

System Admin : Hi this is sys admin. plz don't open restricted sites.
Myself : ok sir, but can you define the restricted sites?
System Admin : Yes, sure.. those sites which contains porn, online games, .exe downloads, online cricket scores, orkut etc...
Myself : Sir, i'm just reading some blogs.. and it don't have any restricted things..
System Admin : But blog is not allowed at office timing.. and this blog is in diff font, so i'm not able to understand anything..
Myself : I don't have any work thats y i'm reading blog..
System Admin : But this is not allowed this time..
Myself : sir, plz give me some work then i'll not open any blog..
System Admin : Ok da.. read your blog.. :)
Myself : Thank u sir... bfn..

यहां
ok da का मतलब तमिल में OK दोस्त होता है। वैसे मैं भी अपने छुट्टी वाले समय का इस्तेमाल खूब सो कर और पुरानी हिंदी सिनेमा देख कर कर रहा हूं। क्योंकि मुझे पता है की जब काम आयेगा तो छप्पड़ फाड़ कर आयेगा। तो क्यों ना फ़ुरसत के चार दिनों का जम कर इस्तेमाल कर लिया जाये। :D
वैसे ये मत पूछियेगा की चेन्नई में पुरानी हिंदी सिनेमा मुझे कहां से मिलती है, मैं कैसे ढूंढता हूं ये मैं ही जानता हूं।

5 comments:

  1. आप अन्य जो कुछ करें लेकिन चिट्ठा नियमित लिखते रहें चेन्नै रहें या मुरादाबाद ।

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  2. बढ़िया है. बैन्च पर बैठने की तकलीफ समझ सकता हूँ. हमारे यहाँ भी यह प्रथा जोरों पर थी.

    एन्जॉय करिये जब तक जॉब सुरक्षित है. हमारे यहाँ तो ४ हफ्ते के बाद सेलरी बंद हो जाती थी, सो तीसरे हफ्ते से नींद हराम. :)

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  3. मैं और पोर्नोग्राफी? वाह! वाह!!
    सारथी जी को भी पता चलेगा तो एम्यूजमेण्ट होगा!

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  4. @अफ़लातून : जी मैं वही तो कर रहा हूं.. :)
    @Udan Tashtari : जी हमारे यहां वैसी कोई बात नहीं है, खास करके बड़ी संस्थाओं में..
    और रही बात मेरी तो मुझे सारा काम मिल चुका है, पर जहां मेरी टीम बैठती है वहां पर मेरा कम्प्यूटर अभी तक ठीक नहीं हुआ है.. तभी मैं खाली बैठा हुआ हूं..
    @Gyandutt Pandey : जी हां ये बात तो है.. सारथी जी को मजेदार तो लगना ही है.. :D

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  5. ज्ञानदत्त जी कुछ सही कह रहे हैं. यदि उनके और मेरे चिट्ठे इस विभाग में आते हैं तो फिर हिन्दी में कोई अच्छा चिट्ठ नहीं बचता !!!

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