Tuesday, January 29, 2008

क्या आपने ये गीत सुना है युनुस भाई??

युनुस जी आज के हिंदी चिट्ठाजगत के सबसे बड़े संगीत प्रेमी के रूप में जाने जाते हैं। मगर मुझे पूरी उम्मीद है कि वो ये गीत शायद ही सुने होंगे.. मैं काफी दिनों से ये गीत पोस्ट करने के बारे में सोच रहा था पर पता नहीं क्यों नहीं पोस्ट कर पाया।

लगभग छः महीने पहले आपने रजनीकांत की धमाकेदार सुपर हिट फिल्म शिवाजी द बास के बारे में सुना होगा। ये गीत उसी फिल्म का है। मैं जो गीत पेश कर रहा हूं उसका पहला गाना (सहाना चरन...) सुनने में कर्ण्प्रिय लगता है और दूसरा गीत (वाजी वाजी वाजी...) थोड़ा मस्ती भड़ा लगता है। बस ये मत पूछियेगा की इन गीतों का मतलब क्या है? मुझे नहीं पता है।

Shivaji Sahana Cha...



पोस्टर से लिया हुआ चित्र

Shivaji Vaaji Vaaj...


मुझे आज भी याद है जिस दिन मैंने अपनी नौकड़ी ज्वाईन किया था ये फिल्म उसी दिन रिलीज हुई था। मेरे साथ ज्वाईन करने वाले मेरे एक मित्र ने मुझे बताया था की वो पहली शो में ही ये फिल्म देख कर आया था और वो भी रात के 1 से 4 बजे वाला शो। जबकी सुबह 8:30 में आफिस भी पहूंचना था। क्योंकि उसके बाद अगले तीन महीने तक किसी भी थियेटर में कोई भी टिकट नहीं मिल रहा था। सभी बुक हो चुके थे।

अब क्या था इस फिल्म में ये तो मुझे पता नहीं क्योंकि मैंने देखी नहीं है लेकिन जैसे ही मौका मिलेगा मैं इसे जरूर देखना चाहूंगा। पर जैसा कि मेरे तमिळ मित्रों ने मुझे बताया की इसमें हर तरह का मसाला, कर्णप्रिय गीत और सबसे बड़ी बात रजनीकांत था जिसके कारण ये इतनी बड़ी हिट हुई।

अब तो रजनीकांत कि अगली फिल्म भी आने वाली है। उसका नाम सुल्तान द वैरियर है। देखते हैं वो क्या गुल खिलाती है।

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3 comments:

  1. ए आर रहमान का म्यूजिक है तो फिर कर्णप्रिय तो होगा ही... वैसे इस फ़िल्म को देखने की मेरी इच्छा भी अभी पूरी नहीं हो पायी है... वैसे मैंने आज ही इसका 'जुगाड़' किया है, सबटाइटल का भी जुगाड़ कर रहा हूँ... क्या आपने Anniyan देखा है? कभी मिल जाए तो जरूर देखियेगा :-)

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  2. भाई हमने गीत तो नहीं सुना पर यह बहुत जमा कि पोस्ट यूनुस जैसे बढिया इन्सान को एड्रेस करती है।

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  3. ये ठीक है प्रशांत कि हम संगीतप्रेमी हैं पर तमिल नहीं आती भैया । चलो अच्‍छा है ये दोनों गाने हम अपने आप तो नहीं सुनते तुम्‍हारी वजह से सुन लिये । अब ज़रा पहला गाना दोबारा सुनो---पहले अंतरे के बाद बेहतरीन सेक्‍सौफोन बजा है । सैक्‍सोफोन बेहद कठिन वाद्य है । मनोहारी सिंह इसके मशहूर वादक हैं जिनसे विविध भारती में अपन ने इंटरव्‍यू लिया था । और हां पहले गाने में उदित नारायण की आवाज़ है साथ में चिन्‍मयी हैं । उदित जी आजकल दक्षिण में जितने गीत गा रहे हैं उतने तो हिंदी में नहीं गा रहे हैं । मजे की बात ये है कि ये दुरूह गीत अकसर उनको रटे रहते हैं । दूसरे गाने में मधुश्री की आवाज़ है जो हमारी प्रिय गायिका हैं । बेहद जिंदादिल, विनम्र और मधुर ।
    दिल खुश कर दिया प्रशांत ।

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