Wednesday, January 30, 2008

आज कोई मस्ती नहीं.. बस बचपन में की गई गंभीर बातें..

आज मैंने सोचा की हर दिन मैं फालतू कि बकवास करता रहता हूं, सो क्यों ना आज उन गंभीर बातों के बारे में आपको बताऊं जो मैंने और भैया ने मिलकर बचपन में किया था।

घटना 1 (एक कुत्ते की कथा)-
पापाजी उस समय बिहार के बिक्रमगंज नामक जगह के SDM हुआ करते थे जो पटना से ठीक 120 KM पर स्थित है। महीने में एक-दो बार पटना से बिक्रमगंज या बिक्रमगंज से पटना आना जाना हो ही जाता था। बीच रास्ते में पीरो नामक जगह पर एक कुत्ता हर बार सारे वाहन का पीछा करते हुये ना जाने कितनी ही दूर दौड़ता रहता था। सो एक बार मैं और भैया बैठ गये उस पर सोचने कि वो क्यों हर वाहन का पीछा करता है?
बहुत सोचा। कई तर्क दिये। और अंत में इस निर्णय पर पहूंचे की जरूर उस कुत्ते की मां की मौत किसी ट्रक के नीचे आने से हुई होगी और वो अपनी मां की कसम खाते हुये फिल्मी स्टाइल में सबसे चुन-चुन कर बदला लेने का सोचा होगा। :)

घटना 2 (बेचारा कौवा)-
हम(मैं और भैया) अक्सर सोचते थे कि लोग हर तरह के पंछी पालते हैं। तोता, मैना, कबूतर, गौरैया, फुदकी चिड़ैया, घूघूती(अपनी घूघूती बासूती नहीं, असली वाली :)) यहां तक की बाज और गिद्ध तक पालने की घटना सुनते हैं। पर कोई कौवा को क्यों नहीं पालता??
फिर हमने सोचा की कहीं से तो इसकी शुरूवात होनी चाहिये तो क्यों ना हम से ही ये शुरूवात हो। अब कोई कौवा तो बेचता नहीं है सो हमें ही उसे पकड़ना था पालने के लिये।
हमने बहुत कोशिश की मगर हम अंत तक सफल नहीं हो पाये। और अंततः एक तोता ही पाल कर संतोष कर लिये।

ये सभी घटनाऐं बिलकुल सही है। इनका कल्पानाओं से कोई लेना देना नहीं है। कल मैं लेकर आउंगा घटना नम्बर 3 जो एक तथ्य भी था हमारे लिये जिसे हमने सिद्ध किया था बचपन में और हम सोचते थे की इसके लिये हमें कोई पुरस्कार तो मिलना ही चाहिये। :)

एक परिचय मेरे भैया का। मेरे भैया IES की परिक्षा उत्तीर्ण करके अभी MES दानापुर कैंट में कार्यरत हैं।

Related Posts:

  • यूनुस जी की सादगी - पार्ट 1यूनुस जी से पहले मैं अपने जीवन मे अभी तक किसी भी ऐसे व्यक्ति से नही मिला था जिसने पहली ही मुलाक़ात मे मुझे प्रभावित किया हो, मगर कहीं ना कहीं से तो शुर… Read More
  • चलो सुहाना भरम तो टूटा, जाना की हुश्न क्या हैकुछ दिन पहले रेडियोवाणी में गाईड से संबंधित कुछ कड़ियां पढाई जा रही थी और उसी के गीत अंतर्मन के किसी हिस्से में कहीं गूंज रहे थे जो कभी शब्दों का भी रू… Read More
  • Do you believe in Ghost??कल... नहीं-नहीं आज सुबह जब आफिस से लौटा तो सुबह के ३:३० हो रहे थे.. मैंने इससे पहले कभी इतना समय कार्यालय में नहीं बिताया.. पिछला पूरा सप्ताह कुछ ऐसे … Read More
  • यूनुस जी की सादगी - अंतिम भागमंगलवार को जब सुबह १० बजे यूनुस जी का फोन आया था तब उन्होने मेरी आवाज सुन कर सबसे पहले कहा की आपकी आवाज तो बहुत ही अच्छी है, आप गलत जगह पहुंच गए हैं..… Read More
  • पहले लड़की बनाया फिर उसे प्रेग्नेंट कर दियाइस दुनिया में क्या-क्या नहीं होता है.. पहले तो अच्छे खासे 26 साल के खांटी जवान को लड़की बन कर काम करना परा और फिर जब उसका काम Client को पसंद आया और उसन… Read More

5 comments:

  1. प्रशान्त बचपन होता ही ऐसा है।हमारे भाईसाहब ने भी कौआ पालने का हठ पाला था और जा पहुंचे उसके घोंसले पर छेडखानी करने और बच्चे को लाने बस कौए ने तबसे ऐसी दुश्मनी पाली की जैसे ही उन्हें देखता चोंच से वार करता था। उसके बाद तौबा बोल कर ली कि सब कुछ पाल लेंगें पर कौए का तो नाम भी नहीं लेंगें।

    ReplyDelete
  2. यही तो है बचपन भैया!!
    मस्त लगा पढ़ना

    ReplyDelete
  3. अच्छा लगा पढ़ कर।

    ReplyDelete
  4. बहुत अच्छा लिखा है ।
    घुघूती बासूती

    ReplyDelete
  5. बचपन में गजब बचपना किया, एकदम गंभीर होके, हां।

    ReplyDelete