एक लड़की, ख्वाबों में जीने वाली लड़की, ख्वाबों में ही मेरे पास आती, ख्वाबों में ही मुझे गले लगाती, ख्वाबों में ही कभी यूं ही, मेरी राहों से होकर गुजर जाती, ख्वाबों में अक्सर मैं उसका होता, मुझे पाकर कभी वो चूम लेती, कभी गले लगा लेती, मुझे पाकर वो खुश होती, हंसती खिल-खिलाकर, अक्सर मैं कहता, एक हंसी उधार दे दो, मैं हंसता कम हूं, वो कहती, मैं आपकी ही हूं, जो चाहे ले लो, हकीकत का आभास भी था उसे, मगर वो ख्वाबों में जीती थी..
एक कला और सिखला दोसपने बुनने कि कला,तुमसे सीखा था मैंने..मगर यह ना सोचा,सपने मालाओं जैसे होते हैं..एक धागा टूटने सेबिखर जाते हैं सारे..बिलकुल मोतियों जैसे..वो धागा टूट …Read More
क्यों चली आती होक्यों चली आती हो ख्वाबों मेंक्यों भूल जाती होतुमने ही खत्म किया थाअपने उन सारे अधिकारों कोमुझ पर सेअब इन ख्वाबों पर भीतुम्हारा कोई अधिकार नहींक्यों चल…Read More
समाजवाद बबुआ, धीरे-धीरे आईसमाजवाद बबुआ, धीरे-धीरे आईसमाजवाद उनके धीरे-धीरे आईहाथी से आईघोड़ा से आईअँगरेजी बाजा बजाई, समाजवाद...नोटवा से आईबोटवा से आईबिड़ला के घर में समाई, समाज…Read More
हर तरफ बस तू ही तूउस मोड़ पर खड़ा था मैं फिर.. ये किसी जीवन के मोड़ कि तरह नहीं थी जो अनायास ही कहीं भी और कभी भी पूरी जिंदगी को ही घुमाव दे जाती है.. ये तो निर्जीव सड़…Read More
मेरे हिस्से का चांदकभी देखा है उस चांद को तुमने? ये वही चांद है, जिसे बांटा था तुमने कभी आधा-आधा.. कभी तेज भागती सड़कों पर, हाथों में हाथे डाले.. तो कभी उस पहाड़ी वाले शहर…Read More
लड़के के घरवाले ध्यान दें कि लड़का हिंट ड्राप कर रहा है :-) वैसे ये पोस्ट भी एक सोचे समझे प्लान का नतीजा है, पहले अपना नौकरी पुराण लिखा गया जिससे कि लडकी के घर वाले ये न समझे कि लड़का कुछ भी नहीं कमाता (शोले इस्टाइल में) | और अब ख्याबों के बहाने दिल की बात,
बामुलाहिजा होशियार, शहनाई बजने की तैयारी हो रही है :-)
दंग रह गया चित्र देखकर! कितना सुन्दर चेहरा! फ़ूल तो बाद में नज़र आए।
कविता भीं पढ़ी। प्रेम का "वायरस" है यह। जोरदार संकेत मिल रहें हैं इस चित्र और कविता से। विवाह के सिवाय कोई इलाज नहीं। कौन है वह भाग्यशाली लड़की? क्या अगले ब्लॉग पोस्ट में विवरण मिलेंगे? शुभकामनाएं गोपालकृष्ण विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरु
बहुत सुन्दर ख्वाब है।
ReplyDeleteमम्मी-पापाजी को तो खबर दे दो!
ReplyDeleteaapka khwav bhut sundar hai. khwav ko hakikat me badalne me der nhi lagti.
ReplyDeleteभाई यह नोटिस हमें है, या
ReplyDeleteमम्मी पापा को?
सुंदर कृति!
ReplyDeleteलगे रहो मुन्ना भाई तभी तो हम बाराती बन पायेगे :)
ReplyDeleteक्या बात है?? सब ठीक ठाक तो है..जो भी हो-रची बेहतरीन है कविता.
ReplyDeleteएक दिन आप बता रहे थे कि पापा आपका ब्लॉग पढ़ते हैं-इतना नोटिस तो नोटिस करने के लिए काफी है. :)
हाँ जी.. मेरे पापा पढ़ते हैं इसे.. कभी-कभी मम्मी भी.. और भैया तो हमेशा ही.. :)
ReplyDeleteवैसे ये ख्वाब मेरे नहीं.. उस लड़की के हैं.. :)
वो कौन थी ?
ReplyDeleteपिक्चर अभी जारी है :-)
चित्र भी बढिया है, कविता जैसा ही !
लड़के के घरवाले ध्यान दें कि लड़का हिंट ड्राप कर रहा है :-)
ReplyDeleteवैसे ये पोस्ट भी एक सोचे समझे प्लान का नतीजा है, पहले अपना नौकरी पुराण लिखा गया जिससे कि लडकी के घर वाले ये न समझे कि लड़का कुछ भी नहीं कमाता (शोले इस्टाइल में) | और अब ख्याबों के बहाने दिल की बात,
बामुलाहिजा होशियार, शहनाई बजने की तैयारी हो रही है :-)
ख्वाब तो बड़ा ही सुंदर है। जल्दी ही सच हो।
ReplyDeleteऔर प्रशांत बाराती बनने को हम भी तैयार है। :)
दंग रह गया चित्र देखकर!
ReplyDeleteकितना सुन्दर चेहरा!
फ़ूल तो बाद में नज़र आए।
कविता भीं पढ़ी।
प्रेम का "वायरस" है यह।
जोरदार संकेत मिल रहें हैं इस चित्र और कविता से।
विवाह के सिवाय कोई इलाज नहीं।
कौन है वह भाग्यशाली लड़की?
क्या अगले ब्लॉग पोस्ट में विवरण मिलेंगे?
शुभकामनाएं
गोपालकृष्ण विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरु