Wednesday, April 16, 2008

फायरफाक्स समस्या का समाधान

मेरे चिट्ठे पर फायरफाक्स से आने वालों पाठकों को हुई असुविधा के लिये मैं क्षमाप्रार्थी हूं और दिनेशराय जी को धन्यवाद देता हूं की उन्होंने मुझे इस समस्या का समाधान बताया..
अभी मैंने इंटरनेट एक्सप्लोरर, फायरफाक्स और ओपेरा में अपने चिट्ठे को टेस्ट किया है और ये बिलकुल सही काम कर रहा है..

मैंने दिनेश जी के कथनानुसार बस अपने चिट्ठे के टेम्प्लेट में जाकर CSS Files के Justify Alignment को Left Alignment में बदल दिया और सब ठीक दिखने लगा.. :)

Related Posts:

  • संकोच मित्रों से, मित्रता दिवस परपरसो शनिवार की सुबह मेरे मित्र(विकास, शिवेन्द्र और वाणी) कालेज (वेल्लोर) जाने की तैयारी में थे जो चेन्नई से 120 किलोमीटर की दूरी पर है.. साथ में मुझे … Read More
  • चांदनी रात, बारीश और थकान से भरे वे दो दिनशीर्षक के अनुरूप ही हमारे हालात भी थे वहां.. शनिवार कि रात आसमान में चांदनी घुली हुई थी, कभी बादल चांद को अपने आगोश में ले लेता था और कभी हल्की बूंदा-… Read More
  • यात्रा वृतांत, विकास की कलम से (पार्ट - 6)सुबह कुछ हालत ठीक था तो हम लोग करीब 8 बजे निकले.. कुछ ही दूर चलने के बाद ऐसा लग रहा था किसी तरह घर तक पहुँच जाएँ बस.. हम अपने घुटने के कारण धीमे थे और… Read More
  • प्रतिशोध की ज्वालाहर पीढी का अपना एक नायक होता है.. जैसे मुझसे 10-15 साल पहले वाली पीढी के लोगों के लिये वेताल और मैंड्रेक नायक हुआ करते थे.. उस समय भारत में इंद्रजाल क… Read More
  • बचपन के वे जादुई दिनबचपन!! हर दिन कुछ जादू जैसा होता था.. पेड़ पर पके हुये अमरूद देखो तो लगता था जैसे जादू है.. किसी के पास गुलेल देखो तो जादू.. भड़ी दोपहरी में दिन भर धूप … Read More

8 comments:

  1. दिनेश राय जी तकनीकी विशेषज्ञ भी निकले - वकील के अलावा!

    ReplyDelete
  2. अनेक बार भारी-भारी समस्याओं के समाधान छोटे-छोटे होते हैं। एक मिल में कनाडियन टरबाइन ठीक नहीं हो रहा था। कनाड़ा से आए इंजिनियर थक कर वापस चले गए। उस पर काम करने वाले फोरमेन ने मिल मैनेजर से खुद ही अकल लगाने की छूट ली और पाँच मिनट में टरबाइन चला दिया। केवल एक स्थान पर प्ले थी जो एक आलपिन ठूँसने से काबू में आ गई। टरबाइन आज तीस साल से ठीक-ठाक चल रहा है।
    फॉण्ट दुरूस्ती के लिए धन्यवाद।

    ReplyDelete
  3. ये हुई न बात.....

    ReplyDelete
  4. चलिये, अब सब मस्त.

    ReplyDelete
  5. ये हुई न बात !

    जहां काम आवै सुई (आलपिन) कहा करै तरवार . सो तकनीकीवेत्ता की तकनीकी मुश्किल विधिवेत्ता ने सुलझाई . जिंदगी ही ऐसे ही चलती है .

    ReplyDelete
  6. चलिए अंत भला तो सब भला। अब कम से कम पढने मे दिक्कत नही आएगी।

    ReplyDelete
  7. वैसे justify वाले text को या किसी अन्य वेब-पेज को (जिसे IE की आवश्यकता पड़ती है) भी firefox/ mozilaa से बाहर जाये बिना पढ़ा जा सकता है, सिर्फ़ एक क्लिक से!
    देखें https://addons.mozilla.org/en-US/firefox/addons/versions/1419
    डाउनलोड (167-187 KB) करे (firefox version का ध्यान रखें)
    इन्सटाल करें.
    फिर मौजां ही मौजां

    ReplyDelete