Sunday, April 06, 2008

मेरी भाभी, प्यारी भाभी (छुट्टियों का एक और दिन---पार्ट 4)

इस बार घर गया तो अपने घर में पहली बार किसी नौकर को देखा.. (सरकारी नौकर छोड़कर).. टिकेश्वर नाम है उसका मगर कुछ लोग उसे टिके तो कुछ लोग उसे टिकू पूकारते हैं.. 14-15 साल का लड़का है.. उसके शोषण की बात तो छोड़ ही दीजीये(जैसा कि अक्सर आम घरों में होता है), वो तो मुझसे भी ज्यादा मजे में है.. घर में ज्यादा काम नहीं होने के कारण दिनभर TV देखता है.. अक्सर सुबह मेरे पापाजी आफिस जाने से पहले उसे कुछ पढने को दे जाते हैं और शाम में जब वो पापाजी का पैर दबाने जाता है तो फिर वहीं पापाजी उससे उसके होमवर्क के बारे में पूछते हैं.. अगर उसे कुछ अच्छा लगता है तो थैंकयू बोलना नहीं भूलता है.. वो पहले मेरी भाभी के बड़े भाई के यहां था जो हैदराबाद में हैं और कुछ दिनों के लिये हमारे घर में है.. वो मेरे भैया को जीजाजी बोलता है, और मैं चूंकि उनका भाई हूं सो मुझे भी प्रशान्त जीजाजी ही पुकारता है और मेरी भाभी जल भुन जाती है क्योंकि मुझे उनको उनकी बहन को लेकर चिढाने का एक और मौका मिल जाता है, जिसे मैं हाथ से जाने नहीं देता.. ;) दुर्भाग्य वश मैं उसका फोटो लेना भूल गया क्योंकि मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं उसके उपर पोस्ट लिख डालूंगा..

मैं लगभग हर रोज रात में खाना खाने के बाद भैया-भाभी के कमरे में जाकर बैठ जाता था और जब तक उन्हें नींद नहीं आ जाये तब-तक उनका भेजा खाता रहता था.. हर समय भाभी के आगे-पीछे, कभी उनका नाक खींचने पर उनका ठुनकना और उनके ठुनकने पर मेरी उनके ठुनकने की नकल करना, किसी कवि की कविता की तरह आनंददायक होता था.. यहां तक कि मेरे पापाजी को मुझसे शिकायत सी हो गई थी की भाभी के आगे ये सबको भूल गया है.. :) उनकी शिकायत सही भी थी क्योंकि इस बार मुझे पापा से ठीक से बात करने का मौका भी नहीं मिला.. कारण, कुछ मेरा हर समय भाभी के आगे पीछे करना और कुछ पापाजी का बहुत व्यस्त होना.. बस एक ही बात सुनना बचा रह गया था.. भाभी का चमचा :D..

मेरी एक आदत है, जब भी मैं बहुत ज्यादा अवसाद में होता हूं तब उसे कुछ छंदों में किसी कविता की तरह लिख कर घर में पापा-मम्मी, भैया-भाभी, सभी के मोबाईल पर मैसेज कर देता हूं.. और मेरा ये मैसेज अक्सर रात के 1-2 बजे के बाद ही भेजा जाता है, जिस समय सभी सोये रहते हैं.. उतनी रात में जब भी कोई मैसेज आता है तो सभी समझ जाते हैं कि ये प्रशान्त का ही हो सकता है किसी और का नहीं.. एक दिन भैया ने मुझे बताया की उतनी रात में मैं जब कोई मैसेज भेजता हूं और अगर भाभी जग कर उसे पढ लेती हैं तो सारी रात मेरी चिंता में ठीक से सो भी नहीं पाती हैं.. तो अब आप ही कहिये, जब भाभी मुझे इतना मानती हैं तो उनका चमचा बनने में मुझे भला क्यों परेशानी हो? :)



अंतिम अंक अगले पोस्ट में.. :D ये तो एकता कपूर का सिरीयल बनता चला जा रहा है, जिसका कोई अंत ना हो.. ;)

Related Posts:

  • श्रवण कुमार और मैं भला !!!!कल अहले सुबह बात बेबात कैसे शुरू हुई कुछ याद नहीं है.. मगर बात विकास के साथ हो रही थी और विषय श्रवण कुमार से सम्बंधित.. श्रवण कुमार कैसे थे अथवा उसके … Read More
  • परिभाषाहर किसी कि उम्र में उसके हिस्से का संघर्ष छिपा होता है.. वह दिन याद आता है, जब दुनिया के साथ संघर्ष के सिलसिले की शुरुवात नहीं हुई थी तब सोचता था.. चौ… Read More
  • एक अधूरी कविताउस दिन जब तूने छुवा थाअधरों से और किये थेकुछ गुमनाम से वादे..अनकहे से वादे..चुपचाप से वादे..कुछ वादियाँ सी घिर आयी थी तब,जिसकी धुंध में हम गुम हुए से … Read More
  • रामायण मेरी नजर सेअभी कुछ दिन पहले एक कामिक्स पढ़ रहा था "वेताल/फैंटम" का.. उसमे उसने एक ट्रक के पहिये को जैक लगा कर उठा दिया, वहाँ खड़े बहुत सारे जंगली लोगों ने एक नयी… Read More
  • एकएक चुपसदियों कीएक शोरक्षण भर काएक बिलबिलाहटइन्तजार कीएक दंभआखिरी मात्रएक खुशीतेरे आने सेएक अवसादतेरे जाने का… Read More

6 comments:

  1. भाई आप घर पर सब के लाडले हो,लेकिन जब आप वापिस जाते होगे तो सभी काफ़ी दिन उदास हो जाते होगे,हमारी यही प्रथाना हे भगवान से आप युही हसंते खेलते राहॊ

    ReplyDelete
  2. एक और शानदार पोस्ट.. क्या बात है भाई.. बस दिल जीत लिए हो..

    ReplyDelete
  3. आप बहुत चालाक हैं, भाभी का चमचा बनने में बहुत फायदे हैं।

    ReplyDelete
  4. लिखते रहो
    अपन पढ रहे हैं

    ReplyDelete
  5. ब्लॉग लेखन के माध्यम से अपने परिवार में माधुर्य कैसे बढ़ायें - यह कोई आपसे सीखे!

    ReplyDelete
  6. yaar maine bhi aisa hi 1 relation paya hai.....or mujhse jyada umhari feelings koi nahi samajh sakta

    ReplyDelete