दसवीं में खराब अंक लाने के बाद भी जब नहीं पढता था तब आपने कहा था, "जितना इस मकान का किराया देता हूँ, उतना भी अगर तुम महीने में कमा लोगे, इसकी उम्मीद नहीं है मुझे.." आपकी उस बात ने मुझे हौसले और आत्म-सम्मान की शिक्षा दी.. मैं जानता हूँ की आपको वह भी याद नहीं!!
छोटे में आप जान बूझ कर मुझसे हर खेल में हार जाते थे और मैं बहुत खुश.. बहुत बाद में ये समझ में आया की आप जान कर हारते थे.. मैं ये भी जानता हूँ कि आपके लिए शायद यह सब उतने महत्व का विषय नहीं होगा जिसे क्रमवार याद रखा जाए, मगर मुझे याद है पापाजी.. कह सकता हूँ की वे सब घटनाएं लगभग क्रमवार याद हैं मुझे.. याद है पापाजी, आप क्रिकेट में बौलिंग करते समय थ्रो फेकते थे? ठीक विकेट को निशाना बना कर?
मैं जानता हूँ कि आप समझते हैं और भरोसा भी करते हैं की मैं झूठ नहीं बोलता हूँ, भले ही कितना भी गलत काम किया रहूँ या फिर उसकी सजा कुछ भी हो.. भले ही सच भी ना कहूँ, मगर झूठ नहीं बोलता हूँ.. बहुत अपराधबोध के साथ कह रहा हूँ, आप गलत थे.. लगभग बीस-बाईस साल पहले, डुमरा वाले घर में, सोफे के गद्दे पर कलम से मैंने ही लिखा था पापा और नकार दिया था की मैंने वह नहीं लिखा है.. बाद में भैया को मेरे बदले डांट मिली थी.. देखिये, आप ये भी भूल गए हैं ना? शायद भैया को भी याद नहीं होगा.. सौरी भैया!!
उन्नीस सौ सतासी-अठासी की बात होगी शायद, आपसे झूठ बोल कर कुछ कॉपी(नोटबुक) खरीदवाया था कि मुझे जरूरत है, और उसे अपने मित्र जितेन्द्र को दे दिया था, जिसके पास कॉपी खरीदने के पैसे नहीं थे.. पहली या दूसरी कक्षा में था तब.. मैं हर उस रात को झूठ बोलता रहा हूँ जिस रात पैसे की कमी के कारण या साधनों की कमी के कारण खाना नहीं खाया.. जानता था कि आपको तकलीफ होगी.. अब आगे से मेरी कही हर बात पर भरोसा मत कीजियेगा पापा!! मैं भी झूठ बोल सकता हूँ..
मेरी सबसे बड़ी कमजोरी यही रही है कि मैं कुछ भूलता नहीं हूँ..
मैं जानता हूँ, आपके तीनों बच्चों में सबसे नालायक और नकारा संतान हूँ मैं.. रेशम की चादर में टाट का पैबंद सा.. मैं भी अपनी जिंदगी की एक तिहाई से अधिक उम्र गुजार चुका हूँ, फिर भी एक भी क्षण ऐसा याद नहीं आता है जिस पर आप अपने उन दोनों बच्चों से भी अधिक गर्व का अनुभव किये होंगे. इन सब के बावजूद मैं जानता हूँ, आप कहें ना कहें, आपने सबसे अधिक प्यार मुझ पर ही लुटाया है.. कई लोगों से सुना है कि बच्चों में जो सबसे मजबूत होता है उसे बाप का प्यार अधिक मिलता है और जो कमजोर उसे माँ का, उनसे कुछ कहता नहीं हूँ, जमाने से बेमतलब की बातों पर बहस क्या करना? मगर अपने अनुभव से मैं कह सकता हूँ की वे झूठ कहते हैं..
कुछ साल पहले किसी बात पर मैंने कहा था कि आज अगर मेरी आखिरी इच्छा पूछी जाए तो वह यही होगी की मेरे पापा मुझे एक बार गले लगा लें.. साल-दर-साल बीतने के बाद आज भी इसमें कोई बदलाव नहीं आया है पापा!!
समय बीतने के साथ कुछ अधिक ही विद्रोही स्वभाव का होता जा रहा हूँ.. बाहरी संसार के लिए शायद थोड़ा कठोर भी हूँ.. मगर मैं जानता हूँ की आपकी मुझे पहले भी जरूरत थी और आज भी है और हमेशा रहेगी.. आठ साल से अधिक हो चुके हैं घर से निकले हुए मुझे, ऐसा लगता है जैसे बड़ा हो कर कोई पाप कर दिया हूँ, आपलोगों ने ऐसे ही छोड़ रखा है, कभी देखने भी नहीं आते हैं की वो बेटा जिसे पलकों पर बिठाए रखते थे, वो कैसे रह रहा है. अपनी जिंदगी कैसे जी रहा है? आई मिस यू टू मच पापा.. प्लीज आ जाईये ना.. प्लीज!!! ऐसा कौन सा जरूरी काम है आपके लिए जो मुझसे अधिक महत्वपूर्ण है!! बस एक बार आ जाईये ना..... प्लीज!!!!!!!
बहुत बढ़िया पोस्ट!!! हैप्पी बर्थडे तो अंकल जी!!!
ReplyDeleteधन्यवाद ताला खोलने के लिये ।
ReplyDeleteआज तुमने बहुत द्रवित किया इस पोस्ट को पढ़कर पता नहीं पापा का बोला हुआ हमें क्या क्या याद आ गया, और उन्हीं के बोले कुछ कठोर शब्दों को हृदय में उतार लिये तो आगे बढ़ पाये नहीं तो उन्हीं के शब्दों में कहें तो घास छील रहे होते। लिखना तो बहुत है परंतु छोड़ो ना, नहीं तो टिप्पणी पोस्ट से बड़ी हो जायेगी।
तुम बहुत साफ़ दिल के हो, नहीं तो इतना सब लिखना बेहद मुश्किल है, इतना लिखने के बाद शायद आईना भी नजर चुराने लगे।
वाह ...बहुत ही अच्छा लिखा है ...शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteAwesome ... Speechless on this excellent post ...
ReplyDelete............
ReplyDeleteताला खोल दिया..चलो अच्छा किया..
ReplyDeleteअंकल को हैप्पी बर्थडे कह देना मेरे तरफ से..सुबह सुबह ही पोस्ट पढ़े थे और ना तो कमेन्ट कर पाए न ही फेसबुक पर मेसेज...
इसे दूसरी बार पढ़ रहा हूँ दोस्त..और अभी इसके पहले पंकज वाली पोस्ट पढ़ी(वे दिन)
ReplyDeleteतुम अच्छे से समझ सकते होगे की मैं क्या महसूस कर रहा हूँ!!!!
प्रशांत....शब्द नहीं हैं इसके बारे में कुछ भी कहने के लिए.....पर हर एक बात दिल के भीतर तक उतर गयी....और बहुत ही भावुक कर दिया.....
ReplyDeleteबहुत ही स्पर्शी और ईमानदार अभिव्यक्ति-स्वीकारोक्ति बन्धु।
ReplyDeleteपापा पढके कुछ कह नहीं पाएंगे बस तुमको गले लगा लेंगे ।हुमच के गले लगना रे लोटन लाल बडा सकून मिलेगा उनको भी और तुमको भी
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी! लगता है घर से दूर रहती हर संतति के दिल की बात हो!
ReplyDeleteओह .. यह पापा ने पढ़ी पोस्ट ? मुझे यकीं है कि पढकर भी तुम्हें गले नहीं लगा पायेंगे ..बल्कि मुंह घुमा कर आँखें पोछते हुए चले जायेंगे ...ऐसे ही होते हैं पापा.
ReplyDeleteबेहद खूबसूरती से लिखे हैं भाव.
आज के दिन पापा को रुलाने का इरादा है क्या...
ReplyDeleteसबके मन में ऐसे भाव चलते ही रहते हैं...पर हर कोई लिख नहीं पाता..
वाह ...दिल को छू जाने वाली बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteअद्भुत आत्मीय संस्मरण है।
ReplyDeletejaanta hoon is tarah ki post padhkar main ro doonga, phir bhi pata nahi kyun padhne lagta hoon :( :(.........
ReplyDeleteभावुक पोस्ट.. पिछली पीढ़ी तक पिता-बच्चों में प्यार उतना ही होता था लेकिन दोनों ही व्यक्त करने में हिचकिचाते थे। अब वक्त बदल रहा है और बदलते वक्त की सिर्फ यही एक अच्छी बात है कि अब पीढ़ियों के बीच गैप कम हो रहा है.. लेकिन जुड़ाव शायद पहले की अनकही बातों में अधिक होता था
ReplyDeleteपापा कुछ कहे या नहीं पर वो भी घर में आपको खोजते होंगे .......
ReplyDeleteकभी - कभी मन का ऐसे ही हल्का कर लेना भी जरूरी है ...... शुभकामनाएं !
mujhe kahan rakhenge...meri ma ko mujhpar garv shayad hi ho..main to bachpan se hi parmpara bhanjak hun ...:-)
ReplyDeleteaapka sahi hona adhik mayane rakhta hai...kisi ke bhi pyar se badhkar..koshish kijiye yah ho jaye:-)