Friday, December 01, 2006

मेरी लिखी कविता

टूटे सपने
सुबह उठा,
तो हर चीज को उदास पाया,
शायद कुछ खोया था,
या कुछ टूटा था,
हाँ कुछ सपने टूटे थे शायद,
आखें लाल थी,
कुछ भींगी सी भी,
लगा कुछ चुभ रहा हो,
शायद उन्ही सपनों के टुकड़े थे,
दिन तो युँ ही गुजर गया,
रात जब बिस्तर पर पहुँचा तो देखा,
वे टुकड़े अभी भी वहीं पड़े मेरे आने का इन्तजार कर रहे थे,
शायद अब भी कुछ कसर बाकी थी,
लेकिन अभी हर चीज को हंसता पाया,
कोई उदासी नहीं कुछ भी नहीं,
मानो मेरी हँसी उरा रहें हों
और फिर से मेरे नये सपने का इन्तजार कर रहें हों।।।

8 comments:

  1. u can write decent peoms my friend...i think the job is much metter than writing boring software programs.

    ReplyDelete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  3. You are just amazing. Peoms are really good..I'm proud to have a friend, who is software cum peom developer. Good job. Keep it up..

    ReplyDelete
  4. Thanks to all for your comments...

    ReplyDelete
  5. ki ru..ki bha galu tora..ki sab likh rahal chi...sun na hamro source bata de na..humo likhab...bhad badiya chai..

    ReplyDelete
  6. पंजक, यहाँ कहाँ भटक रहे हो? वैसे बता दूँ, यह मेरी पहली कविता थी.. :)

    ReplyDelete
  7. prashant priyadarshi....hello hello...kaise ho...:P
    jhooth mat bolo...ye kavita maine likhi thi...tumhari kaise ho gayi re :D

    ReplyDelete