Tuesday, February 05, 2013

बोंसाई


दमनकारी चक्र के तहत
जड़ो एवं तनों-पत्तियों को काट-छांट कर
बहाकर उन मासूम पौधों का खून
तमाशा देखते लोग
हर पौधे पे वाह-वाह का शोर

दमनकारी चक्र के तहत
हमारी जड़ों एवं प्रतिभाओं को काट-छांट कर
बहाकर प्रतिभाओं का खून
तमाशा देखते लोग
हर व्यक्ति पे वाह-वाह का शोर!!!

8 comments:

  1. जितना सहन करने में सक्षम हैं हमारा उतना ही आकार रखना चाहते हैं नियन्ता।

    ReplyDelete
  2. दमन की सोच ऐसी ही होती ...... सब कुछ नियंत्रण में.....

    ReplyDelete
  3. देखन मे छोटो ...

    ब्लॉग बुलेटिन: ताकि आपकी गैस न निकले - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  4. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  5. जो ऐसी सोच रखते हैं के सब कुछ मेरे नियंत्रण में हो मेरा मानना है वो मुर्ख होते हैं क्योंकि कभी न कभी पीड़ित विद्रोह करता है और जब विद्रोह का ज्वालामुखी आग उगलता है तब अच्छे अच्छे धराशायी हो जाते हैं |

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    ReplyDelete
  6. बहुत ही दर्द भरा है आपकी गाथा में.

    ReplyDelete