जड़ो एवं तनों-पत्तियों को काट-छांट कर
बहाकर उन मासूम पौधों का खून
तमाशा देखते लोग
हर पौधे पे वाह-वाह का शोर
दमनकारी चक्र के तहत
हमारी जड़ों एवं प्रतिभाओं को काट-छांट कर
बहाकर प्रतिभाओं का खून
तमाशा देखते लोग
हर व्यक्ति पे वाह-वाह का शोर!!!
पापा जी को पैर दबवाने की आदत रही है. जब हम छोटे थे तब तीनों भाई-बहन उनके पैरों पर उछालते-कूदते रहते थे. थोड़े बड़े हुए तो पापा दफ्तर से आये, ख...
जितना सहन करने में सक्षम हैं हमारा उतना ही आकार रखना चाहते हैं नियन्ता।
ReplyDeleteआह........
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अनु
ReplyDeleteपीड़ित की आह ! ....कोई नहीं सुनता
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New post बिल पास हो गया
दमन की सोच ऐसी ही होती ...... सब कुछ नियंत्रण में.....
ReplyDeleteदेखन मे छोटो ...
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन: ताकि आपकी गैस न निकले - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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ReplyDeleteजो ऐसी सोच रखते हैं के सब कुछ मेरे नियंत्रण में हो मेरा मानना है वो मुर्ख होते हैं क्योंकि कभी न कभी पीड़ित विद्रोह करता है और जब विद्रोह का ज्वालामुखी आग उगलता है तब अच्छे अच्छे धराशायी हो जाते हैं |
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत ही दर्द भरा है आपकी गाथा में.
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