पिछले कुछ दिनों से परेशान हूँ, सोशल नेट्वर्किंग साईट्स पर नववर्ष की शुभकामनाओं से.. ऑरकुट पर मेरे जितने भी मित्र हैं लगभग उन सभी को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ, अगर वे मेरे वर्चुअल मित्र हैं तब भी वे आम वर्चुअल मित्र की श्रेणी में नहीं आते हैं.. मगर फेसबुक पर कई लोग ऐसे हैं जिन्हें मैं व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता हूँ और वे लोग ही वर्चुअल शब्द के खांचे में फिट बैठते हैं.. अब ऐसे में जब कोई नववर्ष की शुभकामनाएं भेजते हैं तो मेरे लिए यह किंकर्तव्यविमूढ़ वाली स्थिति हो जाती है.. बधाई के उत्तर में या तो सिर्फ औपचारिकता के लिए आप भी उन्हें उसी तरह कि शुभकामनाएं भेजें, अथवा कुछ भी जवाब ना देकर खुद को एक घमंडी व्यक्ति के रूप में स्थापित कर लें..
मुझसे औपचारिकता निभाना किसी भी क्षण में बेहद दुष्कर कार्य रहा है, और उससे अच्छा खुद को एक अहंकारी व्यक्ति कहलाना अधिक आसान लगता है.. मजाक में कहूँ तो, "अगर मनुष्य एक सामजिक प्राणी है तो मुझमें शत-प्रतिशत मनुष्य वाला गुण शर्तिया तौर से नहीं है.." :)
ऐसा नहीं कि यह सिर्फ नववर्ष के समय ही होता है.. लगभग ऐसी ही स्थिति जन्मदिन की शुभकामनाएं पाते समय भी होती है, ऐसी ही स्थिति होली और दिवाली के समय भी होती है.. मेरे विचार में सभी जानते हैं कि कौन सही में उनका शुभचिंतक है, कौन नहीं है और कौन मात्र औपचारिकता निभाने के लिए बधाई सन्देश भेजते हैं.. अधिकाँश समय मैं भी बधाई सन्देश भेजता हूँ, आखिर सामाजिकता मुझे भी निभानी चाहिए, ऐसे ख्यालात में.. अब ऐसे में मुझे यह मात्र एक तरह का ढोंग जैसा लगने लगता है..
मेरे यह सब लिखने के पीछे का कारण मेरे फेसबुक पर मेरे किये गए अपडेट के उत्तर में आये सन्देश हैं.. मैंने लिखा था कि "Closing my FB for two days to escape from all virtual new year wishes." मेरे कई मित्रों ने प्यार भरी झिडकी सुनाई, उनकी कही बातें मुझे आपत्ति तो कतई नहीं लगा.. इस लेख को उसकी सफाई ही मान लें..
कई लोग मुझे यह कह सकते हैं कि मात्र एक बधाई सन्देश के आदान-प्रदान में ऐसी कंजूसी क्यों? इसके उत्तर में मेरा इतना ही मानना है कि यह मेरा व्यक्तिगत विचार है, और हर किसी के व्यक्तिगत विचार का सम्मान होना भी बेहद जरूरी है..
मित्रों, जरूरी नहीं कि अगर मैं आपसे कभी मिला नहीं, और मात्र आभासी दुनिया से जुड़ाव मात्र रहा हो तो मेरी आपके प्रति आसक्ति कम अथवा अधिक हो जाए.. अलबत्ता कई लोग तो ऐसे हैं वहाँ जिनसे मुझे असल दुनिया के कई लोगों से अधिक जुड़ाव है, जबकि मैं कभी उनसे मिला भी नहीं हूँ.. और वैसे लोगों का प्यार ही है जो मुझे इस आभासी दुनिया में बनाये रखा है.. साथ ही यह बात भी सत्य है कि किसी भी तरह के बधाई सन्देश को पाने के बाद, चाहे वह मेरी सफलता पर दिए गए बधाई सन्देश हों अथवा किसी तीज-त्यौहार पर दिए गए, मैं किंकर्तव्यविमूढावस्था में होता हूँ..
मैं आपके बधाई का उत्तर दूँ अथवा ना दूँ, इससे आपके प्रति मेरा प्यार एवं सम्मान कम अथवा खत्म कतई नहीं होगा.. चाहे वह मेरे आभासी दुनिया के मित्र हो या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.. मैं आप सभी से बेहद प्यार करता हूँ..
मुझसे औपचारिकता निभाना किसी भी क्षण में बेहद दुष्कर कार्य रहा है, और उससे अच्छा खुद को एक अहंकारी व्यक्ति कहलाना अधिक आसान लगता है.. मजाक में कहूँ तो, "अगर मनुष्य एक सामजिक प्राणी है तो मुझमें शत-प्रतिशत मनुष्य वाला गुण शर्तिया तौर से नहीं है.." :)
ऐसा नहीं कि यह सिर्फ नववर्ष के समय ही होता है.. लगभग ऐसी ही स्थिति जन्मदिन की शुभकामनाएं पाते समय भी होती है, ऐसी ही स्थिति होली और दिवाली के समय भी होती है.. मेरे विचार में सभी जानते हैं कि कौन सही में उनका शुभचिंतक है, कौन नहीं है और कौन मात्र औपचारिकता निभाने के लिए बधाई सन्देश भेजते हैं.. अधिकाँश समय मैं भी बधाई सन्देश भेजता हूँ, आखिर सामाजिकता मुझे भी निभानी चाहिए, ऐसे ख्यालात में.. अब ऐसे में मुझे यह मात्र एक तरह का ढोंग जैसा लगने लगता है..
मेरे यह सब लिखने के पीछे का कारण मेरे फेसबुक पर मेरे किये गए अपडेट के उत्तर में आये सन्देश हैं.. मैंने लिखा था कि "Closing my FB for two days to escape from all virtual new year wishes." मेरे कई मित्रों ने प्यार भरी झिडकी सुनाई, उनकी कही बातें मुझे आपत्ति तो कतई नहीं लगा.. इस लेख को उसकी सफाई ही मान लें..
कई लोग मुझे यह कह सकते हैं कि मात्र एक बधाई सन्देश के आदान-प्रदान में ऐसी कंजूसी क्यों? इसके उत्तर में मेरा इतना ही मानना है कि यह मेरा व्यक्तिगत विचार है, और हर किसी के व्यक्तिगत विचार का सम्मान होना भी बेहद जरूरी है..
मित्रों, जरूरी नहीं कि अगर मैं आपसे कभी मिला नहीं, और मात्र आभासी दुनिया से जुड़ाव मात्र रहा हो तो मेरी आपके प्रति आसक्ति कम अथवा अधिक हो जाए.. अलबत्ता कई लोग तो ऐसे हैं वहाँ जिनसे मुझे असल दुनिया के कई लोगों से अधिक जुड़ाव है, जबकि मैं कभी उनसे मिला भी नहीं हूँ.. और वैसे लोगों का प्यार ही है जो मुझे इस आभासी दुनिया में बनाये रखा है.. साथ ही यह बात भी सत्य है कि किसी भी तरह के बधाई सन्देश को पाने के बाद, चाहे वह मेरी सफलता पर दिए गए बधाई सन्देश हों अथवा किसी तीज-त्यौहार पर दिए गए, मैं किंकर्तव्यविमूढावस्था में होता हूँ..
मैं आपके बधाई का उत्तर दूँ अथवा ना दूँ, इससे आपके प्रति मेरा प्यार एवं सम्मान कम अथवा खत्म कतई नहीं होगा.. चाहे वह मेरे आभासी दुनिया के मित्र हो या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.. मैं आप सभी से बेहद प्यार करता हूँ..