मै अक्सर कहता हूँ कि मै हिन्दू हूँ, मगर मुझे जानने वाले ये भी अच्छी तरह जानते है कि मै भगवान का भक्त नही हूँ।
अभी कुछ दिन पहले की बात है, मै अपनी दीदी की शादी मे गाँव गया हुआ था। वहाँ से लौटते समय मेरे पिताजी ने मुझे अपने कुल देवी को प्रणाम करने को कहा। मै ऐसा नही करना चाहता था, पर पिताजी कि इच्छा का सम्मान करते हुये मैने वो किया जिसे करने की मेरी बिलकुल भी इच्छा नही थी। मै उस समय बहुत ही ज्यादा अपमानित महसूस किया।
मैने शुरुवात मे कहा है कि मै हिन्दू हूँ, मैने ऐसा इसलिये कहा है क्योन्कि जब सारे लोग अपने धर्म को लेकर अडिग रहते है तो मेरे अडिग होने पर भी किसी को परेशानी नही होनी चाहिये। लेकिन मै किसी आडम्बर मे नही परता हूँ और ना ही परना चाहता हूँ। और सबसे बडी बात तो ये है की मै भगवान को तर्क कि कसौटी पर कसना चाहता हूँ।
वैसे तो मै किसी धर्म और जात-पात को नही मानता हूँ, और मुझे पता है कि मेरा यह विश्वास जीवन भर बना रहेगा।
सधारनतया मेरे इस ब्लाँग पर मै अपनी कविताये ही लिखता हूँ, पर उस दिन जब मै खुद को अपमानित महसूस किया तो मुझे लगा कि मै अपने विचारो से लोगो को अवगत कराऊँ।
धन्यवाद.
Hi PD
ReplyDeleteaapke vichaar bhi aapki kavitaaon ki tarah hi khoobsoorat hain..
aap inhe apne blog mein awashya likha kariye...
मेरी भावनाओं को समझने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद वंदना जी..
ReplyDeletePrashant... I cant comment on why you felt insulted... but ne thing for sure... as per your post... I am a brahmin.. but never ever favoured the "moorti pooja".. and there is nothing as such Hindu dharm... there was "sanatan" dharam according to purans and vedhs.. ye hindu naam to un logon ka diya hua hai jo jante bhi nahi hai ki iska maatlaab kya hota hai... wait for some time.. I will write something on that...I belive there is nothing as such "GOD" its man who have created him/her. I can proove it also. (that I will do in my post.. :) )good that you follow your heart.. but yuo shouldnt feel insulted when you are fiollowing someone's order.. (for your dad over here)
ReplyDeleteRishabh