
आज का ही दिन था. ठीक एक साल पहले. मन अंतर्द्वंदों से घिरा हुआ था, कई प्रश्न थे जो भीतर कुलबुला रहे थे. कल पापा-मम्मी अनुजा से मिलने के लिए जाने वाले थे. हमारे यहाँ के चलनों के मुताबिक आमतौर से मिलने-मिलाने की प्रक्रिया तब...
पापा जी को पैर दबवाने की आदत रही है. जब हम छोटे थे तब तीनों भाई-बहन उनके पैरों पर उछालते-कूदते रहते थे. थोड़े बड़े हुए तो पापा दफ्तर से आये, ख...