Monday, December 26, 2011

हैप्पी बर्थडे पापाजी

कुछ साल पहले आपको एक खत लिखा था, आपको याद है पापा? ई-मेल किया था आपको? आपने कहा था की इसका जवाब आप मुझे डाक से भेजेंगे.. लगभग तीन साल होने आ रहे हैं, अभी भी इन्तजार कर रहा हूँ उस खत का.. शायद आपको याद भी नहीं हो!! दसवीं...

Saturday, November 12, 2011

लफ्ज़ों से छन कर आती आवाजें

१ - वो काजल भी लगाती थी, और गर कभी उसका कजरा घुलने लगता तो उसकी कालिख उसके भीतर कहीं जमा होने लगती.. इस बदरा के मौसम में उस प्यारी की याद उसे बहुत सताने लगती है.. काश के मेघ कभी नीचे उतर कर किवाड़ से अंदर भी झांक जाता.. ये गीत लिखने वाले भी ना!! (कहाँ से आये बदरा गीत के सन्दर्भ में) २ - समय बदल गया...

Sunday, November 06, 2011

कहाँ जाईयेगा सsर? - भाग ३

दिनांक २३-११-२०११ सबसे पहले - मैंने गिने-चुने लोगों को ही बताया था कि मैं घर, पटना जा रहा हूँ.. घर वालों के लिए पूरी तरह सरप्राईज विजिट.. अब आगे - मेरे ठीक बगल में एक लड़का, जिसकी दाढ़ी के बाल भी अभी ठीक से नहीं निकले थे, बैठा हुआ था.. वो काफी देर से मेरे DELL Streak को बालसुलभता से देख रहा था.....

Saturday, November 05, 2011

यह लठंतपना शायद कुछ शहरों की ही बपौती है - भाग २

जब कभी भी इन रास्तों से सफ़र करने का मौका मिला हर दफ़े एक अजब सा लठंतपने को देखने का मौका भी मिला, मगर उसी लठंतपना का ही असर बाकी है जो मुझे पटना की ओर खींचता है.. चेन्नई से देल्ली तक का सफ़र वही आराम से और सुकून भरा था, मगर देल्ली से!! सुभानल्लाह.. दिल्ली उतर कर मुझे दूसरी फ्लाईट पकडनी थी.. दिल्ली...

Friday, November 04, 2011

एक सफ़र और जिंदगी में - भाग १

दिनांक २३-११-२०११ अभी चेन्नई से दिल्ली जाने वाली हवाई जहाज में बैठा ये सोच रहा हूँ की दस महीने होने को आये हैं घर गए हुए और आज जाकर वह मौका मिला है जब बिना किसी को बताए जा रहा हूँ.. मगर जाने क्यों मन बेहद उदास सा हुआ जा...

Wednesday, September 28, 2011

हार-जीत : निज़ार कब्बानी

आजकल निज़ार कब्बानी जी की कविताओं में डूबा हुआ हूँ. अब उर्दू-अरबी तो आती नहीं है, सो उनकी अनुवादित कविताओं का ही लुत्फ़ उठा रहा हूँ जो यहाँ-वहाँ अंतरजाल पर बिखरी हुई है. उनकी अधिकांश कवितायें अंग्रेजी में अंतरजाल पर ढूंढ कर पढ़ी और कुछ कविताओं का हिंदी अनुवादित संस्करण सिद्धेश्वर जी के कर्मनाशा एवं...

Tuesday, September 06, 2011

दादू बन्तल, दादू बन्तल, छू

पापा ने करीब ३ महीने पहले केशू को एक खेल सिखाया बच्चों वाला जिससे वो किसी भी चीज़ को गायब कर सकता था और उसे फिर वापिस भी ला सकता था, बस उसके लिए उसे आँख बंद करके और हाथों की अँगुलियो को शक्तिमान के स्टाईल में घुमाते हुए...

Sunday, August 28, 2011

महुवा घटवारन से ठीक पहले

बचपन से 'बाढ़' शब्द सुनते ही विगलित होने और बाढ़-पीड़ित क्षेत्रों में जाकर काम करने की अदम्य प्रवृति के पीछे - 'सावन-भादों' नामक एक करुण ग्राम्य गीत है, जिसे मेरी बड़ी बहिन अपनी सहेलियों के साथ सावन-भादों के महीने में गाया करती थी । आषाढ़ चढ़ते ही - ससुराल में नयी बसनेवाली बेटी को नैहर बुला लिया जाता...

Wednesday, August 24, 2011

दरवाजा

कुछ दिनों पहले एक अजीब सा वाकया हुआ.रक्षा बंधन के दिन कि बात है.. मेरे घर पे मेरे भाइयों का जमावड़ा लगा था.. उनमे मुन्ना भैया और मुक्ता भाभी भी थे.. सबने खाना खाया.. लगभग रात के साढ़े दस या एग्यारह बजे भैया और भाभी अपने घर जाने को निकले.. नीचे तक छोड़ने के लिए मैं भी साथ निकली और मेरे साथ मेरी दोनों...

Thursday, August 18, 2011

एक सौ सोलह, चाँद की रातें

ये आर्चीज़ वाले जान बूझ कर सेंटीमेंटल और यादगार गीत बजाते हैं. ये चाहते हैं की फ़साने चलते रहें. रिया ने यही सोचते हुए अपनी गिफ्ट में मिली स्टील घडी को कलाई पर कसा और आर्चीज़ वाले को बोला - भैया, ये विंड चाइम्स, वो चोकलेट, और सोनू निगम की 'जान' सी. डी. एक साथ वो वाले रंगीन कवर में पैक कर दो. पैकिंग...

Sunday, August 07, 2011

दो बजिया बैराग्य - एक और भाग

अगर गौर से सोचें तो सुबह उठना हर व्यक्ति के लिए अपने आप में एक इतिहास की तरह ही होता है, और इतिहास अच्छा, बुरा अथवा तटस्थ, कुछ भी हो सकता है और एक साथ सब कुछ भी.. जब तक घर में रहा तब तक मैं भले ही कितनी ही सुबह उठ जाऊं, पापा या मम्मी या फिर दोनों को ही जगा हुआ पाया हूँ.. पता नहीं माता-पिता इतनी जल्दी...

Tuesday, August 02, 2011

पहली कसम

किसी बच्चे को कभी देखा है कंचे के साथ? जब किसी बच्चे से पहली बार उसका एकलौता कंचा गुमा हो तब उसे बहुत तकलीफ़ हुई होगी.. फूट-फूट कर रोया होगा सारी रात, कभी छिड़ीयाया होगा सारी रात, कभी भोकार पाड़ लार रोया होगा.. कभी माँ ने तो...

Monday, August 01, 2011

प्रलाप

एक अरसा हुआ कुछ लिखे हुए.. कई लोग मेल करके पूछ चुके हैं कि कई दिन हुए ! क्यों नहीं लिखता हूँ इसका जवाब जानता हूँ.. जो भी लिखूंगा वह कुछ भला सा नहीं होगा.. वह कुछ ऐसा ही प्रलाप होगा जैसे कोई पागल बीच चौराहे अपने कपड़े फाड़-फाड़ कर अर्धनग्नावस्था में घूमता है, और उसे देखकर या तो लोग बगल हट जाते हैं या...

Saturday, June 11, 2011

एकालाप

किसी के कमेन्ट का इच्छुक नहीं हूँ, सो कमेन्ट ऑप्शन हटा रहा हूँ.. मेरे करीबी मित्र अथवा कोई भी, कृपया इस बाबत फोन या ईमेल करके भी ना ही पूछें तो बेहतर होगा.. इसे एकालाप मान कर ही चलें, जिसमें किसी के दखल कि कोई आवश्यकता नहीं है मुझे.. हर किसी को अपना स्पेस चाहिए होता है, और हर किसी में मैं भी आता हूँ.. शनिवार...

Tuesday, May 31, 2011

मैं तुम में होना चाहता हूँ

कुछ समय इन खिड़कियों से झांकना चाहता हूँ, इस इन्तजार में कि शायद तुम उस रास्ते से गुजरो अपनी उसी काली छतरी के साथ.. मैं उन रास्तों पे चलना चाहता हूँ, इस यकीन के साथ के कि कल तुम यही से गुजरी थी.. और कल फिर गुजरोगी, उसी नीले कपड़े में या शायद गुलाबी.. मैं वह पहाड़ हो जाना चाहता हूँ, इस विश्वास...

Tuesday, May 17, 2011

Space Complexity बनाम वो लड़की

Space Complexity का संगणक अभियांत्रिकी(अब कंप्यूटर इंजीनियरिंग का इससे अच्छा अनुवाद मैं नहीं कर सकता, आपको यही पढ़ना होगा.. समझे?) में बहुत महत्त्व है.. वैसे तो Time Complexity को आप Space Complexity का बड़ा भाई मान सकते...

Saturday, April 23, 2011

ये सिस्टम जो हमें भ्रष्ट होने पर मजबूर करता है

इस पोस्ट को पढ़ने से पहले आप इस लिंक को देख सकते हैं अगर आपने फेसबुक पर अपना कोई अकाउंट खोल रखा है तो.. इस लिंक को पढ़ने के बाद आप इस पोस्ट को अच्छे से समझ सकेंगे..अभी कल ही की बात है, अजित अंजुम जी ने अपने फेसबुक पर Absolute...

Wednesday, April 20, 2011

नम्मा चेन्नई!!!!

मुझे कई लोग मिले हैं जो मुझे चेन्नई शहर से प्रेम करते देख मुझे ऐसे देखते हैं जैसे कोई अहमक हूँ मैं.. बहस करने वाले भी कई मिले हैं जो यह गिनाने को आतुर रहते हैं कि चेन्नई में क्या-क्या खराबियां हैं.. मेरे पास उनसे अधिक वजहें...

Wednesday, April 06, 2011

जब लोग आपको भूलने लगें

अमरत्व प्राप्त किये व्यक्तियों को लोग भूलते नहीं हैंसदियों तक जेहन में बसाये रखते हैंसमय की गर्द भी उसेअनश्वर बनाये रखती हैजैसेमुहम्मद इब्न 'अब्दुल्लाहगौतम बुद्ध, राम अथवा महावीर इत्यादिलोग आपको भूलने लगें उसके कुछ लक्षणआप अचानक से अदृश्य हो जाते हैंआपकी आवाज भी मौन हो जाती हैलोग गोष्ठियों में किसी...

Monday, April 04, 2011

विश्व कप के बाद, भारतीय टीम, सट्टाबाजार शिवसेना और पूनम पांडे

केवल भारतीय टीम के लिए ही न्यूड होगी पूनम पांडे.. यह सुनते ही शिवसेना एवं अन्य भारतीय संगठनों में गुस्सा व्याप्त हो गया.. विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है की वे इसलिए कुपित हैं की सिर्फ भारतीय टीम ही क्यों? टीम ऐसे ही नहीं जीतती, जिताना पड़ता है, और इस तरह हर भारतीय भी उतना ही हकदार है इस कप का.. वे बार-बार...

Wednesday, March 30, 2011

क्रिकेट, फेसबुक और दीवाने लोग

पिछले एक-दो सालों से तुलना करने पर ब्लॉग पर लिखना आजकल बहुत कम हो गया है.. एक तरह से मेरे लिए इसका स्थान फेसबुक ने ले लिया है.. वहाँ ब्लॉग की तुलना में लोगों से वार्तालाप भी बेहद आसान है, और मेरे लिए किसी माइक्रो ब्लोगिंग...