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को कभी देखा है कंचे के साथ? जब किसी बच्चे से पहली बार उसका एकलौता कंचा गुमा हो तब उसे बहुत तकलीफ़ हुई होगी.. फूट-फूट कर रोया होगा सारी रात, कभी छिड़ीयाया होगा सारी रात, कभी भोकार पाड़ लार रोया होगा.. कभी माँ ने तो कभी पिता ने उसे तरह-तरह से उसे बहलाया होगा.. चन्द्र खिलौना ला दूँगा.. मगर बच्चे का गम उस चन्द्र खिलौने के नाम से भी कम नहीं होगा..
उसी बच्चे को जब वही कंचा पहली बार मिला होगा तब उस बच्चे के मुताबिक उससे अधिक खुश कोई ना रहा होगा.. सारा दिन अपनी छोटी सी मुट्ठी में कंचे को दबाये फिरता रहा होगा.. मुट्ठी कस कर बंद, के कहीं कोई देख ना ले.. दुनिया से छिप-छिपाकर अपनी मुट्ठी को जरा सा ढीला छोड़कर उसमें झांकता होगा, और फिर से मुट्ठी वैसे ही कस कर बंद.. रात के अँधेरे और लालटेन की हल्की रौशनी में सबसे छुपाकर, आँखों में उस कंचे को लगाकर, लालटेन कि रौशनी में देख-देख कर खुश होता रहा होगा.. वह उसे दिन में सूरज की रौशनी में उसकी चमक देखना चाहता होगा, मगर कहीं सारी दुनिया ही ना देख ले इसे, इस डर से कभी उसने कोशिश भी ना की होगी..
कुछ दिन बाद उसे एक और कंचा मिला जिसे कुछ दिन बाद उसने फिर गुमा दिया लेकिन वह फिर से उसी दुःख से नहीं गुजरा, एक ही टूटे पुल से कोई बार-बार गुजरता है भला? हिचक-हिचक कर रोने से बेहतर वह अकेले गुमसुम बैठा रहा.. रात को लालटेन बुझा कर.. यक़ीनन दुःख तो हुआ ही होगा, क्योंकि अगली बार जब उसे एक और कंचा मिला तब वह जानकर उसे नहीं उठाया, एक भय से, कि वह फिर गुम होना ही है, तो एक और तीसरे कंचे का दुःख क्यों पाले भला?
दुखी आत्मा.. च... च्च... !
ReplyDeleteबेचारा समझदार बच्चा....
ReplyDeleteexperience makes a "Kid" perfect...
ReplyDeleteऔर कंचे...वह भाई वह..मजा आ जाता था कलेक्ट करके...खेलना मना था...बहुत बढ़िया...
कंचे में बड़ी दिखती यह दुनिया।
ReplyDeleteये कंचे हमेशा साथ रहते हैं.. वो जो हमने उठाये, छुपाये और वो भी जो हमने सिर्फ़ इसलिये नहीं उठाये कि वो भी खो गये होते..
ReplyDeleteइस "भोकार पाड़ लार रोया होगा" पर पूरे पोस्ट के लिए सौ में से सौ नंबर पूरे.....
ReplyDeleteजीयो रज्जा !!!
कंचो की कहानी से इस दुनिया और रिश्तों की बड़ी गहरी बात कर दी आप ने
ReplyDeleteसत्यान्वेषी, अपरिग्रही.
ReplyDeleteकचे के बहाने बहुत कुछ कह गए दोस्त....
ReplyDeleteकांचा चीना भी पढ़ेगा तो उदास हो उठेगा..
ReplyDeleteबच्चा समझ गया पर बड़े२ न समझ पाए..
ReplyDeleteprem aur algaav ki kahaani ki taraf ishaara dikhta hai yahaan...
ReplyDeletehttp://teri-galatfahmi.blogspot.com/
जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयाँ .
ReplyDeleteपीडी भाई
ReplyDeleteआरज़ू चाँद सी निखर जाए,
जिंदगी रौशनी से भर जाए,
बारिशें हों वहाँ पे खुशियों की,
जिस तरफ आपकी नज़र जाए।
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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कम्प्यूटर से तेज़!
इस दर्द की दवा क्या है....