Skip to content
उस दिन जब तूने छुवा था
अधरों से और किये थे
कुछ गुमनाम से वादे..
अनकहे से वादे..
चुपचाप से वादे..
कुछ वादियाँ सी घिर आयी थी तब,
जिसकी धुंध में हम गुम हुए से थे..
कुछ समय कि हमारी चुप्पी,
आदिकाल का सन्नाटा..
अपनी तर्जनी से
मुझ पर कुछ आकार बनाती सी,
फिर हवाओं में
उस आकार का घुलता जाना..
किसी धुवें की तरह..
अभी मैं भी तो अधूरा ही हूँ..
Related Posts:
इंतजार है मुझे(एक कविता मनोज द्वारा)जाने किसका इंतजार है मुझे..जब घर में अकेला होता हूं मैं,सन्नाटों से घिरा होता हूं मैं..कोई आहट सी होती है तो,चौंक जाता हूं..दरवाजे पर निगाहें टिकी होत… Read More
मेरे हिस्से का चांदकभी देखा है उस चांद को तुमने? ये वही चांद है, जिसे बांटा था तुमने कभी आधा-आधा.. कभी तेज भागती सड़कों पर, हाथों में हाथे डाले.. तो कभी उस पहाड़ी वाले शहर… Read More
त्रिवेणी फिर कभी, आज यह कविता सहीकविता से पहले मैं अनुराग जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने मुझे त्रिवेणी संबंधित कुछ बढिया बाते बताई.. वैसे मैंने एक लिखी भी है मगर वो किसी और मे… Read More
एक कला और सिखला दोसपने बुनने कि कला,तुमसे सीखा था मैंने..मगर यह ना सोचा,सपने मालाओं जैसे होते हैं..एक धागा टूटने सेबिखर जाते हैं सारे..बिलकुल मोतियों जैसे..वो धागा टूट … Read More
हर तरफ बस तू ही तूउस मोड़ पर खड़ा था मैं फिर.. ये किसी जीवन के मोड़ कि तरह नहीं थी जो अनायास ही कहीं भी और कभी भी पूरी जिंदगी को ही घुमाव दे जाती है.. ये तो निर्जीव सड़… Read More
पुरी कब होगी..
ReplyDeleteहें हें हें ...ई टाईप कविता सब लिखने लगे न .....चलो बढिया है ...देखो शादी का कार्ड नहीं भी भेजोगे तो चलेगा ..हम अपनी तरफ़ से सबको पोस्ट कार्ड डाल देंगे ...अरे ब्लॉगर सबको ...आखिर तुम्हारी कविता पढी है सबने ....तो इस कविता के अंतिम परिणाम तक तुम्हरे साथ रहेंगे कि नहीं ....लिखो लिखो ..और लिखो ...
ReplyDelete.
ReplyDeleteकुछ गुमनाम से वादे..
अनकहे से वादे..
चुपचाप से वादे..
Promises are made to be broken....
.
ठीक ठाक तो हो न भाई ...:)वैसे अधूरी कविता पसंद आई
ReplyDeleteखूबसूरती से लिखे एहसास
ReplyDeletebahut khub....
ReplyDeleteकहाँ भटक रहे हो ? पहले अपने कैरियर पर कन्सेन्ट्रेट करो ।
ReplyDeleteहम्म ! रोमैंटिक ... कोई पुरानी याद आ गयी है, लगता है. होता है, होता है, बरसात है ना...
ReplyDelete:) अधूरी ही सही पर बढ़िया है .
ReplyDeleteअच्छी कविता है.
ReplyDeleteहमारीवाणी को और भी अधिक सुविधाजनक और सुचारू बनाने के लिए प्रोग्रामिंग कार्य चल रहा है, जिस कारण आपको कुछ असुविधा हो सकती है। जैसे ही प्रोग्रामिंग कार्य पूरा होगा आपको हमारीवाणी की और से हिंदी और हिंदी ब्लॉगर के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओँ और भारतीय ब्लागर के लिए ढेरों रोचक सुविधाएँ और ब्लॉग्गिंग को प्रोत्साहन के लिए प्रोग्राम नज़र आएँगे। अगर आपको हमारीवाणी.कॉम को प्रयोग करने में असुविधा हो रही हो अथवा आपका कोई सुझाव हो तो आप "हमसे संपर्क करें" पर चटका (click) लगा कर हमसे संपर्क कर सकते हैं।
टीम हमारीवाणी
आज की पोस्ट-
हमारीवाणी पर ब्लॉग पंजीकृत करने की विधि
इंसान ऐसी कविता लिखने लगे तो उसे शादी कर लेनी चाहिए. :)
ReplyDeleteयह अधूरापन सदा सालता है मुझे।
ReplyDelete@ अभिषेक ओझा - साले हमेशा मेरे पीछे लगा रहता है, तू कब करेगा ये तो बताता नहीं है.. (गाली देकर दोस्ती और भी पक्की कर रहा हूँ.. :) )
ReplyDeleteअच्छी प्रेम कविता है ।
ReplyDeleteबडी भावपूर्ण रचना ... अपने अहसास खूबसूरती से पेश किये हैं आपने
ReplyDeletejab rachna achhi ho to dubara padhne mein harz kya hai..
ReplyDeleteisliye chala aaya..
================================
मेरे ब्लॉग पर इस बार थोडा सा बरगद..
इसकी छाँव में आप भी पधारें....