क्यों चली आती हो ख्वाबों में क्यों भूल जाती हो तुमने ही खत्म किया था अपने उन सारे अधिकारों को मुझ पर से अब इन ख्वाबों पर भी तुम्हारा कोई अधिकार नहीं
क्यों चली आती हो ख्यालो में कभी नींद चुराने, कभी चैन चुराने तुमने ही तो मुझे अपने ख्यालों से निकाल फेंका था अब मैं तुम्हारा बहिष्कार करना चाहता हूं पर तुम हो कि मानती ही नहीं
मेरे हिस्से कि दिन की गरमी से घबरा उठी थी तुम, अब क्यों रातों कि चांदनी चुराने आती हो ये शीतलता ही मेरे जीने का भरोसा है ये जैसे तुम जानती ही नहीं
त्रिवेणी फिर कभी, आज यह कविता सहीकविता से पहले मैं अनुराग जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने मुझे त्रिवेणी संबंधित कुछ बढिया बाते बताई.. वैसे मैंने एक लिखी भी है मगर वो किसी और मे…Read More
मेरे हिस्से का चांदकभी देखा है उस चांद को तुमने? ये वही चांद है, जिसे बांटा था तुमने कभी आधा-आधा.. कभी तेज भागती सड़कों पर, हाथों में हाथे डाले.. तो कभी उस पहाड़ी वाले शहर…Read More
एक कला और सिखला दोसपने बुनने कि कला,तुमसे सीखा था मैंने..मगर यह ना सोचा,सपने मालाओं जैसे होते हैं..एक धागा टूटने सेबिखर जाते हैं सारे..बिलकुल मोतियों जैसे..वो धागा टूट …Read More
इंतजार है मुझे(एक कविता मनोज द्वारा)जाने किसका इंतजार है मुझे..जब घर में अकेला होता हूं मैं,सन्नाटों से घिरा होता हूं मैं..कोई आहट सी होती है तो,चौंक जाता हूं..दरवाजे पर निगाहें टिकी होत…Read More
अब मैं बड़ा हो गया हूँ माँ..जो आप नहीं कर पाई,वो दुनिया ने कर दिखाया..अब मैं बड़ा हो गया हूँ माँ..कुछ अच्छा लगता है तोमुस्कुरा देता हूँ..कुछ बुरा लगता है तो मुस्कुरा देता हूँ..अब …Read More
बोले तो एकदम सोलिड चोरी का मामला है, चाँद को कहो मुकदमा ठोक दे, ऐसे कैसे चांदनी कोई चुरा के ले जायेगा :P
रही तुम्हारे नींद चैन की बात तो वो तो फ़ोकट की थी, उसका कोई भाव नहीं ;) वैसे हमको तो लगता है तुमने भी कुछ दिल विल टाइप कि चीज़ जरूर चुराई है, आखिर तुम्ही तो कहते हो "जिन्हें नींद नहीं आती हो अपराधी होते हैं"
जब से तुम वो इंजीनियरिंग वाला कमेन्ट लिखे थे तब से ऐसा शक हो रहा था...एक कविता आनी बनती थी :)
लोग जब इतना बोल ही लिए हैं तो थोडा हम भी बोल लें.. :)
यह कविता मैंने पिछले साल सितम्बर में लिखा था और उसे अपने इस ब्लॉग पर पोस्ट किया था.. सो मेरे इस मर्ज को नया ना समझे, यह तो बहुत पुराना है.. ;)
वैसे इस ब्लॉग पर तकनीक से सम्बंधित पोस्ट अधिक मिलेंगे और वो भी अंग्रेजी में.. बता इसलिए रहे हैं जिससे यह साबित हो जाये की हमको अंग्रेजी भी आती है.. ही ही ही..:D
To dil ki baatein kah hi daali tumne
ReplyDeleteयही तो बात है उनकी अदाओं की ....... चैन से सोने भी नही देते ..... बहुत खूबसूरत लिखा है ..........
ReplyDeleteachhi rachna.
ReplyDeleteअरे वाह ये तो हमें पता ही नहीं चला :)
ReplyDeleteजहाँ मैं जाता हूँ वहाँ चली आती हो ....
यहाँ भी कुछ मिलता जुलता भाव है
ReplyDeletehttp://aarambha.blogspot.com/2010/02/blog-post.html
वाह भाई पी डी..यह नया रोग पाला! बढ़िया रचना.
ReplyDeleteअरे बाप रे..कवी जाग गया है.. लगता है मामला संगीन है.. कौन है भाई? हमें भी तो बता दो..
ReplyDeleteकिसने जुर्रत की भाई आने की? जरा नाम पता बताना :)
ReplyDeletelovely poem....
ReplyDeleteनया रोग है तो दर्द तो होगा ही घबराओ मत ये सब तो चलता रहता है |
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबोले तो एकदम सोलिड चोरी का मामला है, चाँद को कहो मुकदमा ठोक दे, ऐसे कैसे चांदनी कोई चुरा के ले जायेगा :P
ReplyDeleteरही तुम्हारे नींद चैन की बात तो वो तो फ़ोकट की थी, उसका कोई भाव नहीं ;) वैसे हमको तो लगता है तुमने भी कुछ दिल विल टाइप कि चीज़ जरूर चुराई है, आखिर तुम्ही तो कहते हो "जिन्हें नींद नहीं आती हो अपराधी होते हैं"
जब से तुम वो इंजीनियरिंग वाला कमेन्ट लिखे थे तब से ऐसा शक हो रहा था...एक कविता आनी बनती थी :)
आखिरी कुछ लाइनें बड़ी प्यारी लगी, बेहद मासूम.
लोग जब इतना बोल ही लिए हैं तो थोडा हम भी बोल लें.. :)
ReplyDeleteयह कविता मैंने पिछले साल सितम्बर में लिखा था और उसे अपने इस ब्लॉग पर पोस्ट किया था.. सो मेरे इस मर्ज को नया ना समझे, यह तो बहुत पुराना है.. ;)
वैसे इस ब्लॉग पर तकनीक से सम्बंधित पोस्ट अधिक मिलेंगे और वो भी अंग्रेजी में.. बता इसलिए रहे हैं जिससे यह साबित हो जाये की हमको अंग्रेजी भी आती है.. ही ही ही..:D
shhhhhhh
ReplyDeleteये कहाँ आ गए हम !