Tuesday, February 02, 2010

क्यों चली आती हो


क्यों चली आती हो ख्वाबों में
क्यों भूल जाती हो
तुमने ही खत्म किया था
अपने उन सारे अधिकारों को
मुझ पर से
अब इन ख्वाबों पर भी
तुम्हारा कोई अधिकार नहीं

क्यों चली आती हो ख्यालो में
कभी नींद चुराने, कभी चैन चुराने
तुमने ही तो मुझे
अपने ख्यालों से निकाल फेंका था
अब मैं तुम्हारा
बहिष्कार करना चाहता हूं
पर तुम हो कि मानती ही नहीं

मेरे हिस्से कि दिन की गरमी
से घबरा उठी थी तुम,
अब क्यों रातों कि
चांदनी चुराने आती हो
ये शीतलता ही मेरे
जीने का भरोसा है
ये जैसे तुम जानती ही नहीं

Related Posts:

  • हर तरफ बस तू ही तूउस मोड़ पर खड़ा था मैं फिर.. ये किसी जीवन के मोड़ कि तरह नहीं थी जो अनायास ही कहीं भी और कभी भी पूरी जिंदगी को ही घुमाव दे जाती है.. ये तो निर्जीव सड़… Read More
  • एक कला और सिखला दोसपने बुनने कि कला,तुमसे सीखा था मैंने..मगर यह ना सोचा,सपने मालाओं जैसे होते हैं..एक धागा टूटने सेबिखर जाते हैं सारे..बिलकुल मोतियों जैसे..वो धागा टूट … Read More
  • त्रिवेणी फिर कभी, आज यह कविता सहीकविता से पहले मैं अनुराग जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने मुझे त्रिवेणी संबंधित कुछ बढिया बाते बताई.. वैसे मैंने एक लिखी भी है मगर वो किसी और मे… Read More
  • मेरे हिस्से का चांदकभी देखा है उस चांद को तुमने? ये वही चांद है, जिसे बांटा था तुमने कभी आधा-आधा.. कभी तेज भागती सड़कों पर, हाथों में हाथे डाले.. तो कभी उस पहाड़ी वाले शहर… Read More
  • क्यों चली आती होक्यों चली आती हो ख्वाबों मेंक्यों भूल जाती होतुमने ही खत्म किया थाअपने उन सारे अधिकारों कोमुझ पर सेअब इन ख्वाबों पर भीतुम्हारा कोई अधिकार नहींक्यों चल… Read More

14 comments:

  1. यही तो बात है उनकी अदाओं की ....... चैन से सोने भी नही देते ..... बहुत खूबसूरत लिखा है ..........

    ReplyDelete
  2. अरे वाह ये तो हमें पता ही नहीं चला :)
    जहाँ मैं जाता हूँ वहाँ चली आती हो ....

    ReplyDelete
  3. यहाँ भी कुछ मिलता जुलता भाव है
    http://aarambha.blogspot.com/2010/02/blog-post.html

    ReplyDelete
  4. वाह भाई पी डी..यह नया रोग पाला! बढ़िया रचना.

    ReplyDelete
  5. अरे बाप रे..कवी जाग गया है.. लगता है मामला संगीन है.. कौन है भाई? हमें भी तो बता दो..

    ReplyDelete
  6. किसने जुर्रत की भाई आने की? जरा नाम पता बताना :)

    ReplyDelete
  7. नया रोग है तो दर्द तो होगा ही घबराओ मत ये सब तो चलता रहता है |

    ReplyDelete
  8. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  9. बोले तो एकदम सोलिड चोरी का मामला है, चाँद को कहो मुकदमा ठोक दे, ऐसे कैसे चांदनी कोई चुरा के ले जायेगा :P

    रही तुम्हारे नींद चैन की बात तो वो तो फ़ोकट की थी, उसका कोई भाव नहीं ;) वैसे हमको तो लगता है तुमने भी कुछ दिल विल टाइप कि चीज़ जरूर चुराई है, आखिर तुम्ही तो कहते हो "जिन्हें नींद नहीं आती हो अपराधी होते हैं"

    जब से तुम वो इंजीनियरिंग वाला कमेन्ट लिखे थे तब से ऐसा शक हो रहा था...एक कविता आनी बनती थी :)

    आखिरी कुछ लाइनें बड़ी प्यारी लगी, बेहद मासूम.

    ReplyDelete
  10. लोग जब इतना बोल ही लिए हैं तो थोडा हम भी बोल लें.. :)

    यह कविता मैंने पिछले साल सितम्बर में लिखा था और उसे अपने इस ब्लॉग पर पोस्ट किया था.. सो मेरे इस मर्ज को नया ना समझे, यह तो बहुत पुराना है.. ;)

    वैसे इस ब्लॉग पर तकनीक से सम्बंधित पोस्ट अधिक मिलेंगे और वो भी अंग्रेजी में.. बता इसलिए रहे हैं जिससे यह साबित हो जाये की हमको अंग्रेजी भी आती है.. ही ही ही..:D

    ReplyDelete