Friday, November 27, 2009

दर्द की कोई उम्र नहीं होती

दर्द की कोई उम्र नहीं होती, वो ना तो एक साल की होती है और ना ही सौ साल की.. चाहे वह 26/11 हो, मुंबई बम ब्लास्ट हो, 2002 गुजरात हो, सिख दंगे हो या कुछ भी.. वह हमेशा उतनी ही सिद्दत से महसूस की जाती है जैसे पहली बार..ठीक एक...

Thursday, November 26, 2009

ये बूढ़ी पहाड़ियां अक्सर उदास सी क्यों लगती हैं?

जब कभी किसी हिल स्टेशन पर घूमने जाता हूं तो वहां की पहाड़ियां अक्सर मुझे बहुत उदास सी लगती हैं.. लगता है जैसे कुछ कहना चाहती हों.. अपना दर्द किसी से बांचना चाहती हों, मगर उन्हें सुनने वाला वहां कोई ना हो.. लम्बे-लम्बे देवदार...

Monday, November 23, 2009

क्या शीर्षक दूं, समझ में नहीं आ रहा है

अभी कल ही दो दिनों के ट्रिप से लौटा हूं.. येलगिरी नामक जगह पर गया था जो तमिलनाडु का एक हिल स्टेशन है.. अभी फिलहाल इन चार चित्रों को देखें, लिखने का मन किया तो वहां के भी किस्से सुनाऊंगा..ये पिल्ला अपनी मां और भाई-बहनों को...

Friday, November 20, 2009

भगवान का होना ना होना मेरे लिये मायने नहीं रखता है(एक आत्मस्वीकारोक्ति)

मैंने आज तक इस विषय पर कभी कोई पोस्ट नहीं लिखा है और शायद आगे भी नहीं लिखूं.. मैं भगवान को नहीं मानता हूं और उन्हें मानने या ना मानने को लेकर किसी से कोई तर्क-वितर्क नहीं करता हूं.. जब मैं भगवान को नहीं मानता हूं तो खुदा या ईसा को मानने का सवाल ही पैदा नहीं होता है.. फिर भी मुझे अपने हिंदू होने पर गर्व...

Thursday, November 19, 2009

नौस्टैल्जिक होने के बहाने कुछ गुमे से दिन

यूं तो नौस्टैल्जिक होने के कई बहाने हम-आप ढ़ूंढ़ सकते हैं, तो एक बहाना संगीत का भी सही.. आज सुबह से ही 'माचिस' फिल्म का गीत "चप्पा-चप्पा चरखा चले" का एक लाईन जबान पर चढ़ा हुआ है.. "गोरी-चटखोरी जो कटोरी से खिलाती थी,जुम्मे के...

Saturday, November 14, 2009

अलग शहर के अलग रंग बरसात के

बाहर झमाझम बरखा बरस रही है.. तीन-चार दिन सुस्ताने के बाद फिर से मानो आसमान बरस पड़ा हो.. यह बारिश जब कभी देखता हूं, उसमें एक पागलपन सा मुझे नजर आता है.. ढ़ेर सारी खुशियों को मैं उनमें देखता हूं.. ढ़ेर सारी उदासी भी नजर आती...

Thursday, November 12, 2009

बेवक्त आने वाले कुछ ख्यालात

कभी-कभी कुछ सवाल दिमाग में ऐसे उपजते हैं कि यदि उसे उसी समय पूछ लो तो गदर मचना तय हो जाये.. हर समय उल्टी बातें ही दिमाग में आती है.. अगर हम खुश हैं तो इस तरह के सवाल ज्यादा आते हैं..कुछ दिन पहले एक लंबे-चौड़े मिटिंग के बाद हमारे सुपर बॉस आये.. आते ही कुछ फंडे पिला कर बजा डाला, "यू कैन आस्क अनी काईंड...

Sunday, November 08, 2009

कार्यालय में बनते रिश्ते

हमने एक छोटा सा ही सही जिसमें मात्र तीन सदस्य हुआ करते थे, मगर एक ग्रुप बनाया हुआ था.. जिसका नाम रखा था एस.जी. ग्रुप.. जिसका फुल फार्म हमारे लिये सिंप्ली गॉसिप हुआ करता था.. मगर वही कोई और यदि उसके बारे में पूछे तो उसे सामान्य ज्ञान बताया जाता था.. ये ऑफिस में दोस्ती का दायरा पहली बार बढ़ने पर हुआ था.....

Wednesday, November 04, 2009

बदलाव के चिन्ह एक बार फिर

आजकल खूब हंसता हूं.. जहां गुस्सा आना चहिये होता है, वहां भी हंसने लगा हूं.. कभी खुद पर हंसता हूं तो कभी अपने भाग्य पर.. पहले कभी भी भाग्यवादी नहीं था, मगर अब लगता है जैसे धीरे धीरे भाग्यवादी होता जा रहा हूं.. कारण बस इतना ही है कि कहीं देखता हूं कि लोग मर मर कर काम कर रहे हैं मगर कुछ फायदा उन्हें नहीं...