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इस तरह कि रंगोली आप दक्षिण भारत के लगभग हर घर के आगे सुबह-सुबह देख सकते हैं.. वैसे मेरे दोस्तों का कहना था कि वह 50 रूपया हम प्रशान्त को दे देते हैं, आखिर उसी ने तो महिने भर बरामदे कि सफाई की है.. ;)
पापा जी को पैर दबवाने की आदत रही है. जब हम छोटे थे तब तीनों भाई-बहन उनके पैरों पर उछालते-कूदते रहते थे. थोड़े बड़े हुए तो पापा दफ्तर से आये, ख...
क्या अच्छी रंगोली है.. पुरी मोटर साइकिल बना दी..:)
ReplyDeleterangoli achhi hai par mujhe ranjanji ki tippani par bahut hansi aayi...ha ha ha ha
ReplyDeleteनहीं प्रशांत भाई..रंगोली के पैंतालीस और सफाई के पांच आपके ..अब हिसाब ठीक है..वैसे रंगोली और दक्षिण भारत के घरों का रिश्ता बहुत रोचक है..मेरे भी कुछ सहयोगी दक्षिण भारतीय हैं..कभी भी जाओ एक
ReplyDeleteमोटरसायकल (रंजन जी के अनुसार ) खड़ी ..नहीं बनी हुई मिलती है..चलिए अब नए घर की फोटू दिखाइये...
रंगोली का होना ही अच्छा लगा। लगे हाथ आप यह कला भी सीख लीजिए। फिर बना कर बताइए।
ReplyDeleteरंगोली का होना ही अच्छा लगा। लगे हाथ आप यह कला भी सीख लीजिए। फिर बना कर बताइए।
ReplyDeleteअरे प्रशांत ,
ReplyDeleteये रंजन क्या सही कह रहे हैं? मुझे भी ऐसा ही लग रहा है.
आजकल की नयी पीढ़ी के लिए छापे की रंगोली भी मिलती है, स्टेंसिल जैसी. कागज रखो, पहले से कटे डिजाइन में आटा भरो, कागज हटा लो, रंगोली हो गयी.
ReplyDeleteदक्षिण ही नही पश्चिम भारत मे और मेरे घर मे भी रंगोली बनाई जाती है।वैसे रंजन जी की बात मे दम तो है।
ReplyDeleteha ha ha ha :)
ReplyDeletekoi rangoli wangoli nahin ji...bike ka showoff hai ye :P
ReplyDeletesudharo bhai sudharo ;)
गोली के फायदे............सफाई की सफाई, सजावट की सजावट
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