
शीर्षक के अनुरूप ही हमारे हालात भी थे वहां.. शनिवार कि रात आसमान में चांदनी घुली हुई थी, कभी बादल चांद को अपने आगोश में ले लेता था और कभी हल्की बूंदा-बांदी भी शुरू हो जाती थी.. मानो प्रकृति अपनी पूरी छटा दिखाने के रंग में...
पापा जी को पैर दबवाने की आदत रही है. जब हम छोटे थे तब तीनों भाई-बहन उनके पैरों पर उछालते-कूदते रहते थे. थोड़े बड़े हुए तो पापा दफ्तर से आये, ख...