Monday, May 05, 2008

आयेंगे हिंदी ब्लौगिंग के भी हसीन दिन

अपने ब्लौग के कारण ही उसे नौकरी मिली, और सबसे मजे की बात तो यह है की जहां उसे ज्वाईन करना था उसका पता उसने नहीं पूछा बल्कि उसने पूछा की क्या आप मुझे अपने आफिस का लोकेशन विकीमैपिया पर दिखा सकते हैं? एक ब्लौग जो खुद को कॉरपोरेट ब्लौगिंग वाली कंपनी बताती है, उसने उसके ब्लौग पर लगभग 1-2 महीने अपनी नजर रखी और जब देखा की उसकी पकर ब्लौगिंग पर बहुत ही अच्छी है तो उसे अपने यहां बुलावा भेज दिया..

चलिये आज मैं आपको ले चलता हूं अपने एक ऐसे मित्र के पास जिसे मैं अपना ब्लौग गुरू मानता हूं.. मुझे अपना ब्लौग बनाने की प्रेरणा उसी से मिली थी.. रूपेश मंडल नाम है उसका, मेरे साथ MCA में था.. जब भी अपने कालेज के कंप्यूटर नेटवर्क पर कुछ नई चीज मिलती थी तो हम सबसे पहले यही सोचते थे की ये जरूर रूपेश ने ही खोजा होगा.. कुछ भी नई खुराफाती चीज मिलने पर सबसे पहली शंका रूपेश पर ही जाती थी.. खैर इसके बारे में फिर कभी मैं आपको बताऊंगा, आज मैं आपको दूसरी तरफ ले चलता हूं..

आज के दिन में उसे हिंदी ब्लौगिंग का बहुत ज्यादा ज्ञान नहीं है पर यदा-कदा वो मुझसे इसकी जानकारी लेता ही रहता है.. मैं ये तो नहीं कहूंगा की मुझे हिंदी ब्लौगिंग में भी वहीं लेकर आया मगर ये तो जरूर है की यूनी कोड के माध्यम से हिंदी में लिखना मैं कहीं ना कहीं उसी से सीखा हूं.. उसने अपना ब्लौग पिछली बार 7 फरवरी को लिखा था और उसके बाद अभी तक उसने कुछ भी नहीं लिखा है फिर भी उसे अपने ब्लौग पर औसतन 250 से ज्यादा पाठक मिल रहें हैं.. जानते हैं कहां से पाटकों का ये प्रवाह आ रहा है? 99% सर्च इंजन से..


इस चित्र पर आप भी गौर फरमाईये.. आप खुद ही देख लेंगे की जब सर्च इंजन के इंडेक्स में आपकी रैंकिंग उपर चढ जाती है तो उसका क्या फायदा होता है.. बस हमें इंतजार करना है कि हिंदी पढने वाले लोग कब सर्च करके अपनी पसंद की चीजें खोंजेंगे..



वैसे आज भी हिंदी में सर्च करने वालों की संख्या कम नहीं है और इसका सबसे बड़ा सबूत खुद मेरा ब्लौग है.. हां मगर हिंदी में सर्च करने वाले हिंदी फांट में सर्च नहीं करते हैं.. उनके सर्च करने का तरीका रोमण में हिंदी के शब्दों को खोजना है.. अगर आपने मेरे चिट्ठे को पिछले एक माह से गौर से पढा होगा तो आप भी पायेंगे की मैं ढेर सारे हिंदी के शब्दों को रोमण में लिख रहा हूं.. मगर वो नंगी आखों से आप नहीं देख पायेंगे क्योंकि मैं उन्हें सफेद रंग में लिखता हूं.. अब सर्च इंजन को रंगों से तो कोई मतलब नहीं है सो वो मेरे पन्नों को बरे ही चाव से दिखा रहा है.. और मैं पिछले लगभग 5-6 दिनों से लगातर नहीं लिख रहा हूं फिर भी लोग मेरे चिट्ठे पर गूगल के माध्यम से आ रहे हैं.. जैसा पहले ना के बराबर होता था..

मेरे चिट्ठे पर सर्च इंजन से आने वालों की संख्या में लगभग 30-40% की बढोत्तरी हुई है.. ये सारा चोंचला किसी भी ब्लौग अग्रीगेटर पर से निर्भरता हटाने की है.. ताकि कल मैं भी ये ना कहूं की मेरे बाद मेरे ब्लौग का क्या होगा.. मेरे बाद भी लोग मेरे ब्लौग को पढेंगें और मैं दावा करता हूं की बड़े चाव से पढेंगें..

hindi bloging, mere baad meraa blog log padhenge.

4 comments:

  1. बहुत खुब खुद पर विशवास होना ही तो असली जीत हे.. आप के शव्दो मे आत्मविशवास हे..धन्यवाद

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  2. अभी तो इब्तेदा इश्क है, देखिए आगे होता है क्या क्या?

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  3. बहुत सही-बनाये रहो विश्वास-आप बनेंगे खास.

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  4. दिल से लिखो ....ये सोचकर ना लिखो की ओरो के लिये लिख रहे हो..अपने लिये लिखो.....वही बहुत है....बीडू अपने जैसे लोग देश विदेश सब जगह फैले है.....

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